मुंबई में आंदोलन थोड़ा तो और सौंन्दर्यपूर्ण लगेगा। जब बालीवुड के लोग भ्रष्टाचार हटाने की बात करेंगे तो हम भी आंख खोल के उनके बयान सुनेंगे। (24-12-11)
आजकल का भ्रष्टाचार बहुत जटिल टाइप का हो गया है। इसकी पहचान के लिये एक्सपर्ट की आवश्यकता पड़ती है। (24-12-11)
नौकरशाही में आदमी जब आता है तो ईमानदार होता है। नौकरशाही उसे बेईमान बना देती है।-- भूतपूर्व चेयरमैन विजिलेंस कमीशन (24-12-11)
भ्रष्टाचार अगर अच्छी-अच्छी संस्थायें बनाने से दूर होता तो अब तक यह अपने देश से कब का गो,वेन्ट,गॉन हो गया होता। (24-12-11)
बेचारी सी.बी.आई. की हालत दौप्रदी सरीखी होती जा रही है। लोकपाल आने पर पांच-पांच लोगों को रिपोर्ट करना पड़ेगा उसे। (24-12-11)
टीम अन्ना के लोगों के मुंह से भी बयान झरते रहते हैं। देखकर लगता है जैसे सर्दी के मौसम में पहाड़ों पर बर्फ़ गिर रही है। (24-12-11)
राजनीति करने वालों का तो खैर काम ही पालिटिक्स करना होता है। बयान देना,मुकर जाना, पलट जाना उनकी कोर कम्पीटेन्सी होती है। (24-12-11)
मीडिया वाले जिस किसी के भी मुंह के माइक आगे सटा देते हैं। लोकपाल के बारे में उनके मुंह से बयान घसीट लेते हैं। (24-12-11)
सारा देश इंतजार कर रहा है। लोकपाल का अवतार हो- भ्रष्टाचार के राक्षस का संहार करे। बवाल कटे। (24-12-11)
शासन का घूंसा किसी बडी और पुष्ट पीठ पर उठता तो है पर न जाने किस चमत्कार से बडी पीठ खिसक जाती है और किसी दुर्बल पीठ पर घूंसा पड जाता है-परसाई (24-12-11)
कामचोरी को नौकरीशुदा कर्मचारी का मौलिक अधिकार माना जाये या सहज सामाजिक शिष्टाचार!- इस मुद्दे पर आध्यात्मिक चिँतन होना चाहिए! (19-12-11)
सचिन को भारत रत्न देने से ठाकरे जी खफा हो सकते है कि मुँबई वाले को भारत रत्न कैसे दे दिया? (16-12-11)
रेल में दाल, सब्जी, चावल,दही, पराठा 32/- में. पानी,अचार मुफ्त. माल मेँ समोसा 40/- का मिलता है. हमे माल नहीं रेल चाहिये. (14-12-11)
आज समय और बाजार दो गुँडोँ की तरह एक हो गये हैँ.इसलिए आज का समय कठोर और हिँसक तो होगा हीऔर माहौल को वैसा ही बनाएगा. हदयेश (14-12-11)
Waiting room attendent ne sab detail likhwane ke bad andar aane diya lekin usane mere blog ka URL nahi poochha.Surprising hai na? (14-12-11)
Lokpal aur Sachin ki century ka masla nipatane ke bad Gabbar poochhega - Ab tera kya hoga Media? (14-12-11)
Doller aur Rupaya milkar sachin se pahale century banane ke chaakkar me hain. (13-12-11)
अपनी पोस्ट लिखने के बाद एक आम ब्लॉगर की तरह मुझे भी हमेशा यह डर लगता है कि उसको पढ़ने के बाद कहीं कोई पकड़कर सम्मानित न कर दे! (12-12-11)
लोकपाल, करप्शन, शराबबँदी आदि के बाद मीडिया अन्ना से परिवार नियोजन, नाभिकीय ऊर्जा, सोलर सिस्टम आदि के बारे में भी सवाल पूछ सकती है . (24-11-11)
रेल रात भर अकेली पटरी पर खरामा खरामा चलती रही. किसी ने उससे कोई बदसलूकी नहीं की. इससे लगा कि पटरी पर कानून व्यवस्था अच्छी है. (22-11-11)
रेल किस्तोँ मेँ लेट हो रही है ऎसे मेँ यह इल्जाम भी नहीं लगाया जा सकता कि रेलवे ने हमको धोखा दिया. (22-11-11)
मत कहो नोयडा में कोहरा घना है / यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है. (22-11-11)
कलकत्ता में वाहन अपराध और राजनीति की तरह सट के चलते है (14-11-11)
कलकत्ता में सब कुछ चौङा है समय,सङक,गाङी और आदमी भी. (14-11-11)
शाही जोड़े का पहला चुम्बन देखकर लगा जैसे दो बड़े बच्चे प्रेम-पीटी कर रहे हों जिनको हिदायत दी गयी हो-खबरदार होंठ के अलावा कोई और अंग छुआ तो सब कुछ दुबारा करना पड़ेगा! (30-04-11)
मिस्बाहुल हक से एक संवाददाता ने पूछा कि उन्होंने तेज खेलना शुरू करने में इतनी देर क्यों की!
इस पर मिस्बाहुल हक ने जबाब दिया- मुझे लगा जैसे अपने यहां जम्हूरियत बहाल करने और जनरलों की वर्दी उतारने की तारीख बढ़ती है वैसे ही ओवर भी जरूर बढ़ेंगे। लेकिन वहां ऐसा हुआ नहीं! मैं गफ़लत में रहा!(03-04-11)
एक संवाददाता: धोनी जब आप बैटिग कर रहे थे उस समय आपके मन में क्या चल रहा था?
धोनी : मैं सोच रहा था कि अगर मैं अच्छा नहीं खेला और भारत हार गया तो लोग फ़िर मेरा घर तोड़ डालेंगे। भगवान का लाख-लाख शुक्र है कि उसने मेरा घर बचा लिया। (03-04-11)
पिछले दिनों उन्होंने विज्ञापन विभाग के सभी कर्मचारियों को निकाल दिया है। बस एक कम्प्यूटर आपरेटर को रखा है। वह विज्ञापन के सारे मसाले को विकीलिक्स को भेज देता है। विकीलिक्स वाले उस जानकारी/बातचीत/मसाले को अखबारों और मीडिया को लीक कर देता है। वे उसे प्रमुखता से कवरेज देते हैं। इसे कहते हैं नयी तकनीक का त्वरित उपयोग। (30-03-11)
महाभारत में दिन भर के यु्द्ध के बाद योद्धा लोग शाम को विरोधी शिविरों में जाकर आपस में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते थे। बहुत दिनों बाद यह मोहाली शिविर में चर्चा का कार्यक्रम तय हुआ है। उस दिन चूंकि क्रिकेट का सेमीफ़ाइनल होना तय हुआ है अत: एक दिन का युद्धविराम रखा गया है।(29-03-11)
खाक चेष्टा, नको ध्यानम, चटक निद्रा तथैव च,
पिज्जाहारी, कक्षात्यागी विद्यार्थी पंच लक्षणम।(28-03-11)
गूगलस्था तु या विद्या, स्विस बैंक गतम धनम,
कार्य काले समुत्पन्ने , न सा विद्या न तदधनम।(26-03-11)
आजकल का भ्रष्टाचार बहुत जटिल टाइप का हो गया है। इसकी पहचान के लिये एक्सपर्ट की आवश्यकता पड़ती है। (24-12-11)
नौकरशाही में आदमी जब आता है तो ईमानदार होता है। नौकरशाही उसे बेईमान बना देती है।-- भूतपूर्व चेयरमैन विजिलेंस कमीशन (24-12-11)
भ्रष्टाचार अगर अच्छी-अच्छी संस्थायें बनाने से दूर होता तो अब तक यह अपने देश से कब का गो,वेन्ट,गॉन हो गया होता। (24-12-11)
बेचारी सी.बी.आई. की हालत दौप्रदी सरीखी होती जा रही है। लोकपाल आने पर पांच-पांच लोगों को रिपोर्ट करना पड़ेगा उसे। (24-12-11)
टीम अन्ना के लोगों के मुंह से भी बयान झरते रहते हैं। देखकर लगता है जैसे सर्दी के मौसम में पहाड़ों पर बर्फ़ गिर रही है। (24-12-11)
राजनीति करने वालों का तो खैर काम ही पालिटिक्स करना होता है। बयान देना,मुकर जाना, पलट जाना उनकी कोर कम्पीटेन्सी होती है। (24-12-11)
मीडिया वाले जिस किसी के भी मुंह के माइक आगे सटा देते हैं। लोकपाल के बारे में उनके मुंह से बयान घसीट लेते हैं। (24-12-11)
सारा देश इंतजार कर रहा है। लोकपाल का अवतार हो- भ्रष्टाचार के राक्षस का संहार करे। बवाल कटे। (24-12-11)
शासन का घूंसा किसी बडी और पुष्ट पीठ पर उठता तो है पर न जाने किस चमत्कार से बडी पीठ खिसक जाती है और किसी दुर्बल पीठ पर घूंसा पड जाता है-परसाई (24-12-11)
कामचोरी को नौकरीशुदा कर्मचारी का मौलिक अधिकार माना जाये या सहज सामाजिक शिष्टाचार!- इस मुद्दे पर आध्यात्मिक चिँतन होना चाहिए! (19-12-11)
सचिन को भारत रत्न देने से ठाकरे जी खफा हो सकते है कि मुँबई वाले को भारत रत्न कैसे दे दिया? (16-12-11)
रेल में दाल, सब्जी, चावल,दही, पराठा 32/- में. पानी,अचार मुफ्त. माल मेँ समोसा 40/- का मिलता है. हमे माल नहीं रेल चाहिये. (14-12-11)
आज समय और बाजार दो गुँडोँ की तरह एक हो गये हैँ.इसलिए आज का समय कठोर और हिँसक तो होगा हीऔर माहौल को वैसा ही बनाएगा. हदयेश (14-12-11)
Waiting room attendent ne sab detail likhwane ke bad andar aane diya lekin usane mere blog ka URL nahi poochha.Surprising hai na? (14-12-11)
Lokpal aur Sachin ki century ka masla nipatane ke bad Gabbar poochhega - Ab tera kya hoga Media? (14-12-11)
Doller aur Rupaya milkar sachin se pahale century banane ke chaakkar me hain. (13-12-11)
अपनी पोस्ट लिखने के बाद एक आम ब्लॉगर की तरह मुझे भी हमेशा यह डर लगता है कि उसको पढ़ने के बाद कहीं कोई पकड़कर सम्मानित न कर दे! (12-12-11)
लोकपाल, करप्शन, शराबबँदी आदि के बाद मीडिया अन्ना से परिवार नियोजन, नाभिकीय ऊर्जा, सोलर सिस्टम आदि के बारे में भी सवाल पूछ सकती है . (24-11-11)
रेल रात भर अकेली पटरी पर खरामा खरामा चलती रही. किसी ने उससे कोई बदसलूकी नहीं की. इससे लगा कि पटरी पर कानून व्यवस्था अच्छी है. (22-11-11)
रेल किस्तोँ मेँ लेट हो रही है ऎसे मेँ यह इल्जाम भी नहीं लगाया जा सकता कि रेलवे ने हमको धोखा दिया. (22-11-11)
मत कहो नोयडा में कोहरा घना है / यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है. (22-11-11)
कलकत्ता में वाहन अपराध और राजनीति की तरह सट के चलते है (14-11-11)
कलकत्ता में सब कुछ चौङा है समय,सङक,गाङी और आदमी भी. (14-11-11)
शाही जोड़े का पहला चुम्बन देखकर लगा जैसे दो बड़े बच्चे प्रेम-पीटी कर रहे हों जिनको हिदायत दी गयी हो-खबरदार होंठ के अलावा कोई और अंग छुआ तो सब कुछ दुबारा करना पड़ेगा! (30-04-11)
मिस्बाहुल हक से एक संवाददाता ने पूछा कि उन्होंने तेज खेलना शुरू करने में इतनी देर क्यों की!
इस पर मिस्बाहुल हक ने जबाब दिया- मुझे लगा जैसे अपने यहां जम्हूरियत बहाल करने और जनरलों की वर्दी उतारने की तारीख बढ़ती है वैसे ही ओवर भी जरूर बढ़ेंगे। लेकिन वहां ऐसा हुआ नहीं! मैं गफ़लत में रहा!(03-04-11)
एक संवाददाता: धोनी जब आप बैटिग कर रहे थे उस समय आपके मन में क्या चल रहा था?
धोनी : मैं सोच रहा था कि अगर मैं अच्छा नहीं खेला और भारत हार गया तो लोग फ़िर मेरा घर तोड़ डालेंगे। भगवान का लाख-लाख शुक्र है कि उसने मेरा घर बचा लिया। (03-04-11)
पिछले दिनों उन्होंने विज्ञापन विभाग के सभी कर्मचारियों को निकाल दिया है। बस एक कम्प्यूटर आपरेटर को रखा है। वह विज्ञापन के सारे मसाले को विकीलिक्स को भेज देता है। विकीलिक्स वाले उस जानकारी/बातचीत/मसाले को अखबारों और मीडिया को लीक कर देता है। वे उसे प्रमुखता से कवरेज देते हैं। इसे कहते हैं नयी तकनीक का त्वरित उपयोग। (30-03-11)
महाभारत में दिन भर के यु्द्ध के बाद योद्धा लोग शाम को विरोधी शिविरों में जाकर आपस में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते थे। बहुत दिनों बाद यह मोहाली शिविर में चर्चा का कार्यक्रम तय हुआ है। उस दिन चूंकि क्रिकेट का सेमीफ़ाइनल होना तय हुआ है अत: एक दिन का युद्धविराम रखा गया है।(29-03-11)
खाक चेष्टा, नको ध्यानम, चटक निद्रा तथैव च,
पिज्जाहारी, कक्षात्यागी विद्यार्थी पंच लक्षणम।(28-03-11)
गूगलस्था तु या विद्या, स्विस बैंक गतम धनम,
कार्य काले समुत्पन्ने , न सा विद्या न तदधनम।(26-03-11)
आशीष ‘झालिया नरेश’ विज्ञान विश्व वाले की हालिया प्रविष्टी..स्ट्रींग सिद्धांत : परिचय
बनारस जैसे शहरों में जहां गढ्ढों पर सड़क नाम की चींज रेंगती है, धूल से दुकाने हमेशा तर रहती हैं, वाल मार्क सांस लेने से पहले ही दम तोड़ देगा। हम तो राह चलते, झटके में, पटरी-ठेले पर लगी ताजा सब्जी खरीदने के आदी हैं। ई वाल मार्क समय भी बर्बाद करेगा। ब्लागिंग का कीमती समय ई वाल मार्क से सब्जी खरीदने में ही जाया हो जायेगा। यह अलग बात है कि ब्लॉगरों को रोज नई पोस्ट लिखने के लिए विषय मिल जायेगा।
मूल बात यह कि विदेशी यहां पैसा, कमाने के लिए लगायेंगे कोई परोपकार करने के लिए नहीं। पहले सड़कें बना लो, लोगों को बिल भरने लायक पढ़ा लिखा दो, दवा-दारू का इंतजाम कर लो, फिर सोचना वाल मार्क..साल मार्क।
….ब्लॉगरों का इस विषय में ध्यान केंद्रित कर नींद से जगाने की दृष्टि से यह पोस्ट मस्त है।
कर्फुर भी मुझे दिल्ली में दिखा
जहाँ तक मेरा ख्याल हैं वाल मार्ट में बिकने वाला सामान सब चाइना का होगा , दाल सब्जी समेत क्युकी वहाँ से सस्ता कहीं नहीं मिलता . वहाँ से खरीद कर वालमार्ट सब जगह बेचता हैं
भारत से भी तमाम एक्सपोर्टर अपना माल इन कंपनियों को बेचते हैं लेकिन ओपन अकाउंट और क्रेडिट पर लेकिन उन मे से ९० प्रतिशत भी खुद कुछ नहीं बनाते हैं . सब बनवाते हैं
यानी बिचोलिये ही हैं
वाल मार्ट की अपनी ऑफिस बंगलौर में २० साल से माल खरीदने कर आगे बेचने के लिये वहाँ भारतीये नौकरी करते हैं पर एक्सपोर्टर से तगड़ा कमीशन लेते हैं माल पास करने का
छोटे एक्सपोर्टर को कोई नहीं गिनता
वालमार्ट के आने से बेरोजगारी बढ़ेगी
और हाँ अभी जो बच्चे खेतो में काम करते हैं वो भी नहीं कर सकेगे क्युकी बाल मजदूरी वालमार्ट को मंजूर नहीं
तैयार हो जाए चाइना का ५० किलो का कद्दू का एक टुकड़ा खाने के लिये या २० किलो के टमाटर का एक टुकड़ा खाने के लिये
अभी अगर फ्रीज से काम चला लेते हैं तो पत्नी श्री के लिये डीप फ्रीजर लेने के लिये वालमार्ट ही जाना होगा
rachna की हालिया प्रविष्टी..अनामिका की उलझन हैं की वो क्या करे
arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..कौए की निजी ज़िंदगी
आपसे किसने कह दिया कि माल-वगैरह में चाय के पैसे लिए जाते हैं.लोग तो वहाँ ‘चक्षु-दर्शन’ का टैक्स देते हैं !
संतोष त्रिवेदी की हालिया प्रविष्टी..ब्लॉगिंग के साइड-इफेक्ट !
घनश्याम मौर्य की हालिया प्रविष्टी..इंदिरा गोस्वामी जी का निधन
Gyandutt Pandey की हालिया प्रविष्टी..आठ बिगहा पर आगे चर्चा
लीजिए इस चक्कर में पहले वाली बात तो रह गयी “हडबडिया” वाली… आपने लिखा है:
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१. पता नहीं क्यों इसपर अभी तक अन्ना हजारे जी का बयान क्यों नहीं आया है.
२. इससे विकसित देशों के गोदामों में सड़ रही मोबाइलों का सामाजिक उपयोग हो सकेगा।
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मस्त है बाकी तो!!
सलिल वर्मा की हालिया प्रविष्टी..ब्लॉग-बस्टर पखवाड़ा
कुछ बातें तो इस लेख की वाकई सच होने वाली हैं सच्ची. आपने ठग्गू के लड्डू की याद दिलाकर जाने क्या-क्या याद दिला दिया, जिसमें मुख्य है- शुक्लागंज की दूध की बर्फी.चाचा गंगाघाट में पोस्टेड थे तो जब आते थे, ये बर्फी ज़रूर लाते थे.
‘उद्दार’ को ‘उद्धार’ कर लीजिए. बकिया तो सब ठीक ही है.
aradhana की हालिया प्रविष्टी..दिए के जलने से पीछे का अँधेरा और गहरा हो जाता है…
वालमार्ट मन्दिर के बाद वालमार्ट पुराण, वालमार्टेश्वर महादेव। वालमार्ट की – जय कोई बोलेगा कैसे, लिख हम अकेले रहे हैं…
साहित्य का इतिहास नहीं हिन्दी चिट्ठेकारी का सच्चा इतिहास- रामचन्द्र शुक्ल नहीं, अचार्य अनूप शुक्ल जी…काल विभाजन- किताब आएगी जल्द ही, तब पढेंगे। …
चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..योद्धा महापंडित: राहुल सांकृत्यायन (भाग-3)
चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..योद्धा महापंडित: राहुल सांकृत्यायन (भाग-3)
shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..जीना यहाँ.. मरना यहाँ ..
vijay gaur की हालिया प्रविष्टी..तीन सौ पैंसठ दिन तीन सौ पैंसठ प्रजातियों के भात का भोग
अभी कुछ दिन पहले ही उदय प्रकाश जी का ही शायद कथन था कहीं – “जो कमजोर हैं, वो मारे जाएंगे”।
सतीश पंचम की हालिया प्रविष्टी..जिन्दगी का एक एपिसोड ऐसा भी रहा……
मनोज कुमार की हालिया प्रविष्टी..प्रभावकारी अहिंसक शस्त्र
Abhishek की हालिया प्रविष्टी..माल में माल ही माल (पटना ९)
समझने वाली बात ये भी है कि वालमार्ट को स्टोर्स खोलने कि इजाजत तो न्यूयोर्क में भी नहीं है …
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..साल्ट लेक सिटी ट्रिप…
प्रकृति के नियम ये कहती है गरीब जित्ते कमेगी(मरेगी)…..गरीबी उत्ते बढ़ेगी(जियेगी) ……………….
बकिया त्रिवेदीजी ने लाख टेक की बात कहे ‘चक्षु दर्शन’…….सच्ची बात……….
pranam.
अंतर्मन की हालिया प्रविष्टी..कुछ शेर
चंद्र मौलेश्वर की हालिया प्रविष्टी..एक पुराना लेख
सतीश चंद्र सत्यार्थी की हालिया प्रविष्टी..हिन्दी दिवस से नयी शुरुआत
dhirusingh की हालिया प्रविष्टी..आजादी में गिरफ्तार हम ….हमारा कसूर क्या
sonal rastogi की हालिया प्रविष्टी..हरि अनंत हरी कथा अनंता !!!
फिर रियल प्रॉब्लम पर ध्यान ही हट जाय, की बस बयान बाजियों से पेट भर ले.