tag:blogger.com,1999:blog-7993318.post111042237350181765..comments2024-03-20T11:14:50.481+05:30Comments on फ़ुरसतिया: मेरे बचपन के मीतअनूप शुक्लhttp://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-7993318.post-82763319366112535392015-10-03T22:05:24.359+05:302015-10-03T22:05:24.359+05:30Bahut din baad aaj fir padha.. :) Bahut din baad aaj fir padha.. :) Prem Piyushhttps://www.blogger.com/profile/04751075880833019986noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993318.post-13838133261421010842014-09-08T01:49:52.857+05:302014-09-08T01:49:52.857+05:30आनन्द आया पढ़कर...आनन्द आया पढ़कर...Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993318.post-1111150209902072402005-03-18T18:20:00.000+05:302005-03-18T18:20:00.000+05:30भइये, तुम्हारा ब्लाग पढकर तो मानो बचपन इन्टरनैट पर...भइये, तुम्हारा ब्लाग पढकर तो मानो बचपन इन्टरनैट पर उतर आया, वो क्या दिन थे यार!<BR/>ना किसी बात की चिन्ता ना फिक्र, बस मन की मर्जी चलती थी. वो गोपाल टाकीज मे नयी फिल्म के पोस्टर देखने हो या फिर सिन्धी हलवाई के गुलाब जामुन खाने के लिये पैसे इकट्ठे करना, कभी नही भूल सकते हम कि कैसे मास्टर श्यामसुन्दर ने हमारी पिटाई की थी.कसूर सिर्फ इतना था कि हम दीवाल पर पेन्सिल से लिख रहे थे.मै बचपन मे कक्षा ३ तक आलमचन्द विद्या मन्दिर मे पढता था, जो लेनिन पार्क के पास, जैन मन्दिर के ठीक बगल मे है, अरे यार, बहुत मजा आता था, काफी सारी कथा तो लिख चुका हूँ, थोड़ी बहुत बाद मे लिखूंगा.<BR/><BR/>आजकल समयाभाव के कारण कमेन्टस ज्यादा नही लिख पा रहा हूँ, आशा है तुम समझोगे,मेरी प्रोबलम, वैसे ब्लाग तो कई कई बार पढता हूँ.Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993318.post-1110849124027606102005-03-15T06:42:00.000+05:302005-03-15T06:42:00.000+05:30बचपन की यादें ताजा हो गईं आपका लेख पढ़कर .. लेख अच्...बचपन की यादें ताजा हो गईं आपका लेख पढ़कर .. लेख अच्छा है .Ramanhttps://www.blogger.com/profile/09481877734095247091noreply@blogger.com