tag:blogger.com,1999:blog-7993318.post4216683010505294040..comments2024-03-29T07:42:45.782+05:30Comments on फ़ुरसतिया: मौसम को बूझो मूर्खाधिराज!अनूप शुक्लhttp://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7993318.post-70944114758879725822014-09-28T21:36:53.983+05:302014-09-28T21:36:53.983+05:30चिठेरा: ये तुम कैसी गहन-गम्भीर बातें कर रही हो? ऐस...चिठेरा: ये तुम कैसी गहन-गम्भीर बातें कर रही हो? ऐसी गम्भीरता तो समाज सुधारक, क्रांतिकारियों और भ्रांतिजीवियों में भी नहीं पायी जाती। मुझे तो डर लग रहा है।<br />चिठेरी:तुम क्यों डरते हो? हम हैं न! हम तुम्हारा साथ देंगे। बुद्धिजीवियों की तरह दगा न देंगे।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com