tag:blogger.com,1999:blog-7993318.post7865999348533856237..comments2024-03-29T07:42:45.782+05:30Comments on फ़ुरसतिया: सस्ती किताबें- एक सच यह भी अनूप शुक्लhttp://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7993318.post-84408760074586411832015-11-28T10:17:56.136+05:302015-11-28T10:17:56.136+05:30हमने मंगाई है तुम्हारी किताब। एकदम सामने ही धरी है...हमने मंगाई है तुम्हारी किताब। एकदम सामने ही धरी है मेरी किताबों की आलमारी में। बस पढ़नी है कहानियां एक-एक करके। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993318.post-39177051666194722742015-11-28T04:09:00.882+05:302015-11-28T04:09:00.882+05:30किताबों के मामले में बड़ा घालमेल है. मेरी किताब, त...किताबों के मामले में बड़ा घालमेल है. मेरी किताब, तीन रोज़ इश्क़, पेंग्विन से आयी. मैंने कोई पैसे नहीं दिये छपवाने के, लेकिन जैसा कि अंग्रेजी में होता है, या पुराने लेखकों के साथ होता है कि ऐडवांस मिलता है, ऐसा कुछ नहीं दिया गया. हाँ ये जरूर है कि किताबें जब भी चाहिये, जितनी चाहिये अपने पर्सनल इस्तेमाल के लिये(मुफ्त के बाँटने के लिये), वो 50% डिस्काउंट पर मिलती हैं :)<br /><br />रौयल्टी अक्टूबर में आयेगी ऐसा बताया गया था...किताब का दूसरा एडिशन छपने चला गया...नवंबर खत्म होने को आया, अभी भी कोई बात नहीं चल रही इस बारे में. पेंग्विन जैसे बड़े प्रकाशन का ये हाल है तो बाकियों का तो भगवान भरोसे ही होगा. <br /><br />लिखने और उससे मिलने वाली रौयल्टी में कोई तालमेल नहीं दिखता...मिली तो मिली वरना किताब देख कर खुश रहिये. Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.com