फ़ुरसतिया

हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै

Tuesday, January 15, 2019

किताबें और मेले

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सबको पता है कि मेलों का आयोजन मिलने-जुलने, जरूरत का सामान खरीदने-बेचने के अलावा मनोरंजन के लिये होता था। फ़िल्मों के जुड़वां भाई बिछुड़ने के ल...
Friday, January 11, 2019

धूप की संगत की चाहना

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सुबह दफ्तर जाते हुए लोगों को सड़क पर आरामफर्मा देखता हूँ तो मन करता है वहीं ठहर जाऊं। घंटा आध घण्टा धूप की संगत में बिताऊं। किलो दो किलो धूप...
Monday, January 07, 2019

घुमक्कड़ी की दिहाड़ी

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  कल देर रात लौटे पुस्तक मेले से। जब तक किस्से सुनाएं जाएं पुस्तक मेले के तब तक अगली किताब का मुखड़ा देखा जाए। किताब आ रही है रुझान प्रकाशन स...
Tuesday, January 01, 2019

नये साल की शुभकामनाएं

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नया साल आ ही गया। न पूछा न जांचा। मुंडी उठाकर घुस गया। अठारह की जगह उन्नीस हो गया। नए साल में और कुछ हो या न हो 18 कि जगह 19 लिखने में स्याह...
Monday, December 31, 2018

सूरज की मिस्ड कॉल' को वर्ष 2017 का अज्ञेय सम्मान

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कल दिनांक 30.12.18 को मुझे मेरी किताब 'सूरज की मिस्ड कॉल' के लिए उप्र हिंदी संस्थान के वर्ष 2017 के यात्रा- वृत्तांत/संस्मरण/रेखाचित...
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Sunday, December 30, 2018

’सूरज की मिस्ड कॉल’ पर सम्मान

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1. हर ऐसी मुहिम पर शक करो, फ़जीहत भरी जानो जिसके लिये नये कपड़े पहनने पड़ें। -मुश्ताक अहमद यूसुफ़ी            2.बेइज्जती में अगर दूसरे को भी...
Tuesday, November 20, 2018

सपने में सांड

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मुश्किल है। अब सपने में भी आदमी नहीं दिखते। हर तरफ आदमी का अकाल चल रहा है। दिखते ही नहीं। दो दिन पहले सपने में कुत्ता काट गया। अभी उससे ...
Saturday, November 17, 2018

शराफत का लालच

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अठारह रुपये की चाय। बताओ भला। सबसे पहले बाहर की चाय पीना शुरु किये थे 1981 में। इलाहाबाद में। 30 पैसे की एक चाय। कल बनारसी टी स्टॉल वाल...
Monday, November 12, 2018

लेखन एक संजीवनी की तरह है

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समय को पहचानिये। खराब समय को बदलिए। खराब हालत बहुत दिन तक हम पर हावी न हो सकें हमें यह देखना होगा। उसके लिये मेहनत करनी होगी। वक्त को नजरअ...
Wednesday, November 07, 2018

त्योहार बाजार की गोद में बैठकर आता है

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अभी-अभी पैदा हुआ बच्चा झालर बनाने में लग गया। कूदते हुए कहीं चोट लग जाये तो कौन जिम्मेदार होगा। बालश्रम का सरासर उल्लंघन है यह कानून। ...
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Sunday, November 04, 2018

मुश्ताक़ अहमद युसूफी

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1.ऐसा लगता है मनुष्य में अपने आप पर हंसने का साहस नहीं रहा। दूसरों पर हंसने में उसे डर लगता है। 2. व्यंग्यकार को जो कुछ कहना होता है वो ...
Monday, October 22, 2018

नेहरू की राजनीतिक सूझ-बूझ सुभाष से अधिक परिपक्व तथा सही थी- परसाई

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प्रश्न: पंडित सुभाष और नेहरू में क्या मतभेद थे? कटनी से सुभाष आहूजा देशबन्दु अखबार दिनांक १२.१०.१९८६ उत्तर: पंडित नेहरू और सुभाष बोस...

सुभाष चन्द्र बोस उग्र राष्ट्रवादी और समाजवादी थे-परसाई

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प्रश्न: नेताजी सुभाष चन्द्र बोस महात्मा गांधी के साथ अन्य नेताओं की तरह मिलकर कार्य नहीं कर सके। ऐसा क्यों हुआ? बिलासपुर से रामकिशोर ताम...
2 comments:
Sunday, October 21, 2018

जिंदगी के स्कूल में पढाई की फ़ीस नहीं पडती

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जिंदगी का स्कूल रोज खुल रहता है, कभी छुट्टी नहीं होती यहां सुबह सूरज भाई उगे। देखते-देखते जियो के मुफ़्तिया नेट कनेक्शन की तरह हर तरफ़ ...
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योगदानकर्ता

अनूप शुक्ल
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