जब मैनें देखादेखी ब्लाग बनाने की बात सोची तो सवाल उठा नाम का.सोचा
फुरसत से तय किया जायेगा.इसी से नाम हुआ फुरसतिया.अब जब नाम हो
गया तो पूछा गया भाई फुरसतिया की जगह फोकटिया काहे नही रखा नाम.
हम क्या बतायें?अक्सर ऐसा होता है कि काम करने के बाद बहाना तलाशा
जाता है.यहाँ भीयही हुआ.तो बहाना यह है कि ब्लाग फुरसत में तो बन
सकता है पर फोकट में नहीं.इसलिये नाम को लेकर हम निशाखातिर हो गये.
अब बची बात काम की.तो वो भी शुरुहुआ ही समझा जाये.आगे के अंकों में
और बात आगे बढाई जायेगी.फिलहाल मेरे हालिया पसंदीदा शेर से बात
खतम करता हूं:-
१.मैं कतरा सही मेरा अलग वजूद तो है,
हुआ करे जो समंदर मेरी तलाश मे है.
२.मुमकिन है मेरी आवाज दबा दी जाये
मेरा लहजा कभी फरियाद नहीं हो सकता.
फिलहाल इतना ही .जल्दी ही बात आगे बढेगी.
WAH USTAD WAH . kya blog banaya hai ..ultimate . aisa na kabhi bana na hi hoga.............
ReplyDeletetau maine thik lekha na ..jaisa aapne bataya tha agar kuch choota ho to fir bata digiyega agli bar lekh doongi
ab ham kaise hindi mein likhe? Hamne user-id create kiya, ShuSha download kiya, lekin comment mein kuchh option hee naheen hai font select karne kaa?
ReplyDeleteहम पहले ही बताये थे कि हिंदी में लिखने के लिये यूनीकोड फांट
ReplyDeleteचाहिये.www.chhahari.com/unicode में आनलाईन हिंदी फांट उपलब्ध हैं.टाइप करके पेस्ट कर दो.ज्यादा जरूरी है कि लिखो.सुषा फांट यूनीकोड नहीं होगा.
Shukul,
ReplyDeleteSet 'Show email setting' in your setting. This way an envelope will appear next to 'post your comment' message and when you click on that you should be able to email the post to anybody/
वाह... शुक्ल भाई, तुम्हारा ब्लाग पढकर तो कनपुरिया दिन याद आ गये.
ReplyDeleteजियो प्यारे लाल जियो.
तनिक वक्त मिले तो हमरा ब्लाग भी पढ डाला जाये.... ज्यादा दूर नही है...
http://merapanna.blogspot.com
एक कनपुरिया ही दूसरे कनपुरिया को ठीक से समझ सकता है.
शुरुआत ही भौकाली है (कनपुरिया इश्टाइल)
ReplyDeleteसादर
'fursatiya' unique name
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