मैं ,
अक्सर,
एक गौरैया के बारे में सोचता हूं,
वह कहाँ रहती है -कुछ पता नहीं।
खैर, कहीं सोच लें,
किसी पिजरें में-
या किसी घोसले में,
कुछ फर्क नहीं पड़ता।
गौरैया ,
अपनी बच्ची के साथ,
दूर-दूर तक फैले आसमान को,
टुकुर-टुकुर ताकती है।
कभी-कभी,
पिंजरे की तीली,
फैलाती,खींचती -
खटखटाती है ।
दाना-पानी के बाद,
चुपचाप सो जाती है -
तनाव ,चिन्ता ,खीझ से मुक्त,
सिर्फ एक थकन भरी नींद।
जब कभी मुनियाँ चिंचिंयाती है,
गौरैया -
उसे अपने आंचल में समेट लेती है,
प्यार से ,दुलार से।
कभी-कभी मुनिया गौरैया से कहती होगी -
अम्मा ये दरवाजा खुला है,
आओ इससे बाहर निकल चलें,
खुले आसमान में जी भर उड़ें।
इस पर गौरैया उसे,
झपटकर डपट देती होगी-
खबरदार, जो ऐसा फिर कभी सोचा,
ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।
अक्सर,
एक गौरैया के बारे में सोचता हूं,
वह कहाँ रहती है -कुछ पता नहीं।
खैर, कहीं सोच लें,
किसी पिजरें में-
या किसी घोसले में,
कुछ फर्क नहीं पड़ता।
गौरैया ,
अपनी बच्ची के साथ,
दूर-दूर तक फैले आसमान को,
टुकुर-टुकुर ताकती है।
कभी-कभी,
पिंजरे की तीली,
फैलाती,खींचती -
खटखटाती है ।
दाना-पानी के बाद,
चुपचाप सो जाती है -
तनाव ,चिन्ता ,खीझ से मुक्त,
सिर्फ एक थकन भरी नींद।
जब कभी मुनियाँ चिंचिंयाती है,
गौरैया -
उसे अपने आंचल में समेट लेती है,
प्यार से ,दुलार से।
कभी-कभी मुनिया गौरैया से कहती होगी -
अम्मा ये दरवाजा खुला है,
आओ इससे बाहर निकल चलें,
खुले आसमान में जी भर उड़ें।
इस पर गौरैया उसे,
झपटकर डपट देती होगी-
खबरदार, जो ऐसा फिर कभी सोचा,
ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।
Posted in कविता | 6 Responses
ringtone And what a snow-pass vestures it, ringtone and secret-place to be target-shooting danger from frasers gray-stone people! It has
और अब इस कविता को पढ़कर सोच रहा हूँ कि हर हमेशा मौज लेने वाले, परसाई के व्यंग्य और हँसी-मजाक के जुमले बिखेरने वाले फुरसतिया के इस रूप की जानकारी जाने कितने लोगों को होगी…???
…वो अभी जो “पत्नि” वाला लिंक था, वो कोई दूसरा ब्लौग है क्या आपका? क्योंकि उसका ले-आउट कुछ दूसरा था
घुघूती बासूती