http://web.archive.org/web/20140421051533/http://hindini.com/fursatiya/archives/166
रवि रतलामी- जन्मदिन मुबारक
By फ़ुरसतिया on August 5, 2006
लोकप्रिय चिट्ठों छींटे और बौछारें तथा रचनाकार के लेखक तथा अभी हाल ही में माइक्रोसाफ्ट कम्पनी के भाषाइंडिया पुरस्कार से नवाजे गये ,प्रसिद्ध हिंदी वेबपत्रिका अभिव्यक्ति, के नियमित लेखक हैं। रविरतलामी कुछ दिन तक पहली हिंदी ब्लागजीन निरंतर
के ठहरे संपादक भी रहे। ठहरे इसलिये कि जब वे संपादक रहे उस दौरान कुछ
अपरिहार्य कारणों से ,सबके चाहने के बावजूद,निरंतर का कोई अंक नहीं निकाला
जा सका। अगर किसी गजल के शेर चुराकर कहा जाये तो रविरतलामी के लिये कहा जा
सकता है:-
कितना मुश्किल है इनकी की कहानी कहना,
जैसे बहते हुये पानी पर पानी लिखना।
लेख भी सौतन बनाने का काम करते हैं यह पता तब चला जब कि रविरतलामी का लेख पढ़कर चिट्ठाकारी में कूदे खिलाड़ी के परिवार के लोगों ने कहना शुरु किया -ये ब्लाग तो हमारे लिये सौत हो गये हैं-हमारे ये तो सारा समय ब्लाग से ही उलझे रहते हैं। लोगों की आहों ने असर किया तथा बहुत दिनों से सबसे बुजुर्ग ब्लागर की कुर्सी पर काबिज रवि को उनसे भी बुजुर्ग ब्लागरों ने आकर जवान बना दिया। पर फिलहाल हिंदी चिट्ठाकारी में सबसे ज्यादा शब्द लिखने का खिताब रतलाम, मध्य प्रदेश, निवासी ४८ वर्षिय रविशंकर श्रीवास्तव(रवि रतलामी) के पास बरकरार है। रवि विद्युत अभियांत्रिकी में स्नातक हैं। इन्हें म.प्र.राज्य विद्युत मंडल में २० से अधिक वर्षों का तकनीकी तथा प्रबंधन का अनुभव है। सन् 2003 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले कर रवि भाई ने अपना पूरा समय हिन्दी लिनक्स के अनुवाद कार्य में लगा दिया।
रवि को हिन्दी साहित्य में छिटपुट लेखन का २० वर्षों का अनुभव है। साहित्य के अलावा वे फीचर लेखन में सिद्धहस्त हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स फ़ॉर यू समूह, दिल्ली की पत्रिकाओं आई.टी तथा लिनक्स फ़ॉर यू में पिछले आठ वर्षों से वे तकनीकी लेखन करते आये हैं। आई.टी पत्रिका के तकनीकी लेखक पैनल तथा इंडलिनक्स हिन्दी टीम के सदस्य भी हैं। इसके अतिरिक्त रवि ने हिन्दी दैनिक चेतना में २ वर्ष तक तकनीकी स्तम्भ में लेखन किया तथा संप्रति अभिव्यक्ति तथा प्रभासाक्षी में तकनीकी विषयों पर नियमित लिखते हैं। इंटरनेट पर रामचरित मानस को यूनीकोड में उपलब्ध कराने में भी रविरतलामी का सक्रिय सहयोग रहा।
रवि को तकनीकी दस्तावेज़ों के अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद का ४ से अधिक वर्षों का अनुभव है। उनके किये गए अनुवाद कार्यों में केडीई ३.३ हेड ब्रान्चेस का हिन्दी अनुवाद (९० % से ज़्यादा), गनोम २.८ का अधिकतर अनुवाद तथा ९०% समीक्षा एवं पुनरीक्षण, एक्सएफ़सीई ४.२ का शत प्रतिशत हिन्दी अनुवाद, गेम ०.७ का ९५ प्रतिशत हिन्दी अनुवाद तथा डेबियन संस्थापक का शत प्रतिशत हिन्दी अनुवाद सम्मिलित है।
पंगे लेने की पुरानी आदत है इनकी। जिनसे प्रेम
किया उनसे विवाह भी करना पड़ा।जिजीविषा ऐसी कि मौत के कारिंदे सलाम करके लौट गये।
इनकी चिट्ठाकारी की प्रवीणता और नियमितता इनका परिचय हैं और लगभग हर प्रविष्टि के साथ एक गज़ल उनका ट्रेडमार्क। रवि की चुटीली उक्तियाँ पड़ कर लगता है कि उत्तर भारत के किसी शहर की हवा मन को छूकर निकल गयी, वह हवा जिसमें गज़ल की खुशबू, जमीनी हकीकत, सामजिक पीड़ाओं के बीच भी हँस सकने की हिम्मत और नींद से झझकोर देने वाली अपील शामिल है। सामयिक मुद्दो के साथ गजलों का मिश्रण एक अनूठा प्रयोग है। गजल भी गंगा जमुनी भाषा में, यानि हिंदी भी और उर्दू भी, “बोले तो फुलटुस हिन्दुस्तानी“। रवि आशु कवि है, विषय देते ही पद्य की धारा बहने लगती है। वे बिंदास लिखते हैं, खुद रवि मानते हैं:-
आज रवि रतलामी अपने जीवन के अड़तालीस वर्ष पूरे करके उन्चासवें वर्ष में प्रवेश करने जा रहे हैं। इस अवसर पर रवि रतलामी जी को अनेकानेक बधाइयाँ तथा मंगलकामनायें। यह कामना है कि वे सपरिवार स्वस्थ,सानन्द रहते हुये अपने सारे संकल्प सफलतापूर्वक पूरे कर सकें।
संदर्भ: यह लेख हिंदी की पहली ब्लागजीन निरंतर में पूर्व प्रकाशित रवि रतलामी के परिचय में अद्यतन जानकारी शामिल करके लिखा गया।रवि रतलामी इस पत्रिका के संपादक मंडल में भी हैं।अगली पोस्ट में पढ़ें- रवि रतलामी से साक्षात्कार
कितना मुश्किल है इनकी की कहानी कहना,
जैसे बहते हुये पानी पर पानी लिखना।
लेख भी सौतन बनाने का काम करते हैं यह पता तब चला जब कि रविरतलामी का लेख पढ़कर चिट्ठाकारी में कूदे खिलाड़ी के परिवार के लोगों ने कहना शुरु किया -ये ब्लाग तो हमारे लिये सौत हो गये हैं-हमारे ये तो सारा समय ब्लाग से ही उलझे रहते हैं। लोगों की आहों ने असर किया तथा बहुत दिनों से सबसे बुजुर्ग ब्लागर की कुर्सी पर काबिज रवि को उनसे भी बुजुर्ग ब्लागरों ने आकर जवान बना दिया। पर फिलहाल हिंदी चिट्ठाकारी में सबसे ज्यादा शब्द लिखने का खिताब रतलाम, मध्य प्रदेश, निवासी ४८ वर्षिय रविशंकर श्रीवास्तव(रवि रतलामी) के पास बरकरार है। रवि विद्युत अभियांत्रिकी में स्नातक हैं। इन्हें म.प्र.राज्य विद्युत मंडल में २० से अधिक वर्षों का तकनीकी तथा प्रबंधन का अनुभव है। सन् 2003 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले कर रवि भाई ने अपना पूरा समय हिन्दी लिनक्स के अनुवाद कार्य में लगा दिया।
रवि को हिन्दी साहित्य में छिटपुट लेखन का २० वर्षों का अनुभव है। साहित्य के अलावा वे फीचर लेखन में सिद्धहस्त हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स फ़ॉर यू समूह, दिल्ली की पत्रिकाओं आई.टी तथा लिनक्स फ़ॉर यू में पिछले आठ वर्षों से वे तकनीकी लेखन करते आये हैं। आई.टी पत्रिका के तकनीकी लेखक पैनल तथा इंडलिनक्स हिन्दी टीम के सदस्य भी हैं। इसके अतिरिक्त रवि ने हिन्दी दैनिक चेतना में २ वर्ष तक तकनीकी स्तम्भ में लेखन किया तथा संप्रति अभिव्यक्ति तथा प्रभासाक्षी में तकनीकी विषयों पर नियमित लिखते हैं। इंटरनेट पर रामचरित मानस को यूनीकोड में उपलब्ध कराने में भी रविरतलामी का सक्रिय सहयोग रहा।
रवि को तकनीकी दस्तावेज़ों के अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद का ४ से अधिक वर्षों का अनुभव है। उनके किये गए अनुवाद कार्यों में केडीई ३.३ हेड ब्रान्चेस का हिन्दी अनुवाद (९० % से ज़्यादा), गनोम २.८ का अधिकतर अनुवाद तथा ९०% समीक्षा एवं पुनरीक्षण, एक्सएफ़सीई ४.२ का शत प्रतिशत हिन्दी अनुवाद, गेम ०.७ का ९५ प्रतिशत हिन्दी अनुवाद तथा डेबियन संस्थापक का शत प्रतिशत हिन्दी अनुवाद सम्मिलित है।
पंगे लेने की पुरानी आदत है इनकी। जिनसे प्रेम
किया उनसे विवाह भी करना पड़ा।जिजीविषा ऐसी कि मौत के कारिंदे सलाम करके लौट गये।
इनकी चिट्ठाकारी की प्रवीणता और नियमितता इनका परिचय हैं और लगभग हर प्रविष्टि के साथ एक गज़ल उनका ट्रेडमार्क। रवि की चुटीली उक्तियाँ पड़ कर लगता है कि उत्तर भारत के किसी शहर की हवा मन को छूकर निकल गयी, वह हवा जिसमें गज़ल की खुशबू, जमीनी हकीकत, सामजिक पीड़ाओं के बीच भी हँस सकने की हिम्मत और नींद से झझकोर देने वाली अपील शामिल है। सामयिक मुद्दो के साथ गजलों का मिश्रण एक अनूठा प्रयोग है। गजल भी गंगा जमुनी भाषा में, यानि हिंदी भी और उर्दू भी, “बोले तो फुलटुस हिन्दुस्तानी“। रवि आशु कवि है, विषय देते ही पद्य की धारा बहने लगती है। वे बिंदास लिखते हैं, खुद रवि मानते हैं:-
मेरी ग़ज़लों को लेकर पाठकों की यदा कदा प्रतिक्रियाएँ प्राप्त होती रहती हैं. जो विशुद्ध पाठक होते हैं, वे इन्हें पसंद करते हैं चूंकि ये क्लिष्ठ नहीं होतीं, किसी फ़ॉर्मूले से आबद्ध नहीं होतीं तथा किसी उस्ताद की उस्तादी की कैंची से कंटी छंटी नहीं होतीं। वे सीधी,सपाट पर कुछ हद तक तल्ख़ होती हैं।हिन्दी चिटठा विश्व की बात करें तो रवि काफी और नियमित रूप से लिखते हैं। आजकल रवि के चिट्ठे चित्रमय होने लगे हैं, अक्सर ये अखबार की कतरनों पर त्वरित टिप्पणीयाँ होती हैं। इन टिप्पणियों के साथ की गज़लें कई बार झकझोर देती हैं। लोग तथा खुद रवि यह तय नहीं कर पाये हैं कि ब्लाग लिखने के लिये गज़ल लिखते हैं या गज़ल लिखने के लिये ब्लाग ।पर यह आम अफवाह है कि इनके पास कोई ऐसी मशीन है जरूर जो लगातार गज़लें पैदा करती रहती है।इनकी गज़लों में ऐसा कुछ नहीं है जिसकी पच्चीकारी पर लोग लौट-लौट कर फिदा हों पर यह साफ है कि रवि की गजलें उन पुलों की तरह हैं जो लोगों के दिलों को सामाजिक संवेदनाओं से जोड़ती हैं । जैसे कि यहः-
ये उम्र और तारे तोड़ लाने की ख्वाहिशेंनिरंतर पर रवि के व्यंग्य, समीक्षायें तो आप पढ़ते ही रहते हैं। रवि की लेखनी यूँ ही चलती रहे यही हमारी आशा है।
व्यवस्था ऐसी और परिवर्तन की ख्वाहिशें।
आदिम सोच की जंजीरों में जकड़े लोग
और जमाने के साथ दौड़ने की ख्वाहिशें।
तंगहाल घरों के लिए कोई विचार है नहीं
कमाल की हैं स्वर्णिम संसार की ख्वाहिशें।
कठिन दौर है ये नून तेल और लकड़ी का
भूलना होगा अपनी मुहब्बतों की ख्वाहिशें।
जला देंगे तुझे भी दंगों में एक दिन रवि
फ़िर पालता क्यूँ है भाई-चारे की ख्वाहिशें।
आज रवि रतलामी अपने जीवन के अड़तालीस वर्ष पूरे करके उन्चासवें वर्ष में प्रवेश करने जा रहे हैं। इस अवसर पर रवि रतलामी जी को अनेकानेक बधाइयाँ तथा मंगलकामनायें। यह कामना है कि वे सपरिवार स्वस्थ,सानन्द रहते हुये अपने सारे संकल्प सफलतापूर्वक पूरे कर सकें।
संदर्भ: यह लेख हिंदी की पहली ब्लागजीन निरंतर में पूर्व प्रकाशित रवि रतलामी के परिचय में अद्यतन जानकारी शामिल करके लिखा गया।रवि रतलामी इस पत्रिका के संपादक मंडल में भी हैं।अगली पोस्ट में पढ़ें- रवि रतलामी से साक्षात्कार
Posted in इनसे मिलिये | 17 Responses
17 responses to “रवि रतलामी- जन्मदिन मुबारक”
Leave a Reply
माह के सर्वाधिक टिप्पणी प्राप्त आलेख
माह के लोकप्रिय आलेख
- अनुगूंज २१-कुछ चुटकुले 0 comments
- सीखना है तो खुद से सीखो-रवि रतलामी 0 comments
- हर जोर जुलुम की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है 0 comments
- नये साल में और गये साल में कुछ मुलाकातें 0 comments
- चींटी धप, गरीबा और न्यूनतम मजूरी 0 comments
इससे बढिया भी कुछ मिला?
No related posts.
ऐसे अन्य लेख
- None Found
नई टिप्पणियाँ
- Anonymous on किसकी हवा चल रही है?
- Alpana on बयानों के दूसरे पहलू
- सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी on किसकी हवा चल रही है?
- सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी on किसकी हवा चल रही है?
- दीप्ति सिंह on किसकी हवा चल रही है?
जन्म दिवस आता है खुसियां हम मनाते है, क्यो हम भूल जाते है कि मौत की ओर एक साल आगे और बढ जाते है।
निराशा जनक पक्तियां लिख रहा हूं पर यही सत्य और सत्य अटल है। आपने कहा सीखो सदा अपने से, एकदम सत्य है। प्रेरणा के स्त्रोत जहां मिले उस स्त्रोत को मत छोडो। आप का सादा जीवन उच्च विचार हम सक के लिये प्रेरक स्तंभ बिन्दु है आप मै बस इतना कहना चाहुगां कि प्रत्येक व्यक्ति सत्चरित व्यक्ति का स्वयं को प्रतिबिम्ब मानकार उसका अनुकरण करना चाहिये। आपका साक्षातकार प्रेरणाप्रद था लगा कि सुविधाओ का गलत इस्तेमाल नही करना चाहिये। जिस चीज को हम नष्ट करते है वह किसी की आवश्यकता की पूर्ति कर सकता है। मुझे नही पता था कि रवि रतलामी तथा रवि शंकर श्रीवास्तव एक ही है।
रवि
-प्रेमलता
Aap aise hee shat-shat varshon tak likhte rahe!
Kya uphaar mile, likhiyega kavita ya ghaza ke madhyam se.
रवि भाई ब्लॉगजगत के आकाश पर सदैव चमकते रहे और हम सभी का मार्गदर्शन करते रहें।इन्ही शुभकामनाओं के साथ।
आपका छोटा भाई
-जीतू
रविभाई, आप जिओ हजारों साल!!! (घबराइये नहीं, इस हजार साल में मैंने बुढ़ापे को प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी है… ये सिर्फ और सिर्फ जवानी के हजार साल हैं)
http://raviratlami.blogspot.com/2006/08/blog-post_16.html