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मैडोनाजी, आप चिंता न करें हम आपके साथ हैं
By फ़ुरसतिया on December 13, 2007
कल एक समाचार पढ़ा अखबार में कि मैडोना को बुढ़ापे से डर लगता है।
मुझे बड़ा अजीब लगा। अभी तक हम सुनते आये थे कि सुन्दरियां, गायिकायें और माडल काक्रोच , छिपकली, सांप, चूहे, बिल्ली आदि से डरते हैं।
लेकिन पचास की होने को आई मैडोना बुढ़ापे से डरती हैं।
कारण बताते हुये उन्होंने बताया कि बुढ़ापें में लोग उत्ता भाव नहीं देते जित्ता जवान रहने पर मिलता है।
हमारी बात नहीं हुई मैडोना से वर्ना उनको समझाते कि भई, इत्ता परेशान मत हो। बुढ़ापे के भी मजे हैं।
लेकिन मुझे पता है कि न मेरी उनसे बात हो पायेगी न मैं उनको दिलासा दे पाउंगा। बेचारी ऐसे ही बुढ़ापे से बुढ़ा जायेगी।
पहली बार मुझे मैडोना से जान-पहचान न होने का दुख हो रहा है।
अफ़सोस हो रहा है कि उसका अता-पता जुगाड़ करके रखना चाहिये था।
वैसे अगर मैं उनके सम्पर्क में होता तो शायद समझाने की कोशिश करता कि मैडोना जी आप दुखी न हों । हम आपके साथ हैं। आपके साथ ही बूढे़ हो रहे हैं। आप अकेलापन मत फ़ील करें जी। हम ही नहीं आलोक पुराणिक भी हैं, ज्ञानजी भी हैं, अनीताकुमारजी भी हैं। प्रमोदसिंह अभी चीन फ़ीन गये हैं लेकिन दिल से वे आपके साथ हैं। किसको-किसको गिनायें! आप ये समझ लें कि सब हैं। चिंता काहे करती हैं। साथ-साथ बूढ़े़ हो लेंगे। चिंता जिन करा।
आलोक पुराणिक से कहेंगे- भाई ये मल्लिका सहरावत, राखी सावंत जैसे आइटम के लिये किसी कायदे के , विलिंग आदमी को लगाओ। ऐसे को लगाओ जो भविष्य का कोई ब्लुप्रिंट बनाना चाहता है। पाण्डेयजी को इस जिम्मेदारी से मुक्त करो। मैडोनाजी के साथ लगाओ। वे इनको कुछ ब्लाग-स्लाग भी लिखना सिखा देंगे। अनीताजी को भी साथ कर दो इनके। अनीताजी और मडोनाजी दोनों लोग मुंबई ब्लागर मीट में साथ-साथ जाया करेंगे। फ़िर अनीताजी की फोटो किनारे न आयेगी। मैडोनाजी के साथ बीच में होगी।
हम मैडोनाजी को दिलासा देंगे। आप चिंता न करें। चैन से बूढ़ी होयें। हम आपके ऐसे ही हमेशा -हमेशा प्रशंसक बनेगे। ऐसे ही आपके शो देखते रहेंगे। हमारे इस लगाव में जरको अन्तर न आयेगा। (न अभी देखते हैं न बाद में देखेंगे
हम उनको सुझायेंगे भी कि आप भी अपना ब्लाग बना लो हिंदी में। अपने अनुभव लिखो। आपके अनुभव तो मामाजी के अनुभवों से ज्यादा रंगदार होंगे। जब आप ब्लाग लिखेंगी तो विज्ञापन भी लगा लेना। लोग खूब पढे़गे। खूब कमेंट करेंगे। खूब मजा आयेगा। खूब पैसा आयेगा आपके पास। तमाम लोग आपसे पूछेंगे -आपका पसंदीदा ब्लाग कौन सा है? तब आप हमसे पूछेंगी- फ़ुरसतियाजी , लोग ये सवाल पूछ रहे हैं क्या जवाब दूं। मैं तो केवल आपके बारे में जानती हूं। बताइये क्या जवाब दूं?
मैं सलाह दूंगा- आप जो-जो पढ़ती हों, जो अच्छे लगते हों उनके नाम बता दें।
तब आप कहेंगी- लेकिन मैं तो कोई भी ब्लाग नहीं पढ़ती। कैसे बताऊं? लिखती भी कहां हूं। कुवैत से कोई सम मिस्टर चौधड़ी मेन्टेन करते हैं मेरा ब्लाग। अपने मन से।
आप चौधरी को कैसे जानती हैं? -मैं पूछूंगा!
मैं कहां जानती हूं! उनके ही मेल आये सैकड़ो। बोलते हैं मैं उनके सपनों में रोज-डेली जाती हूं। दो-दो, चार-चार घंटे के लिये। इसी से उनको मन है कि मेरे ब्लाग में वे मेरी बात कहें। मैं कहा कहिये- हू स्टाप्स यू?
मैं सोचता हूं- ये जीतेन्द्र किसके-किसके ब्लाग लिखेगा? चंपा का ब्लाग लिखेगा, चमेली का लिखेगा और अब मैडोना का! क्या हो गया इस लड़के को। सबसे ई-मेल की दूरी पर रहने वाला अब खाली फ़ीमेल के ब्लाग लिख रहा है। क्या अजीब खेल है। बड़ी रेल-पेल है?
जीतेंद्र का जबाब फ़टाक से आ जाता है- क्या दादा, हम दो-चार घंटा एक तरफ़ा साथ रह लेते हैं उसमें तुम इत्ता परेशान हो रहे हो? तुम अपना हमेशा का जुगाड़ बना रहे! यही इन्सानियत है? तुम वरिष्ठ ब्लागर हो। कुछ तो लिहाज करो। शरम नहीं आती तुमको?
हमने कहा- बहुत शरम आती है। हमें बहुत अफ़सोस हो रहा है कि इतने दिन मैडोनाजी को अकेले क्यों छोड़ा? साथ-साथ बड़े होते तो साथ-साथ बूढ़े होने में ज्यादा मजा आता। इत्ता टाइम बेफ़ालतू में बरबाद कर दिया।
मुझे मैडोनाजी के डर का कारण भी समझ में आ रहा है। उनको लगने लगा है कि आगे आने वाले समय में लोग उनको सामने तो देखना कम कर ही देंगे। सपने में भी कोई नहीं पूछेगा उनको।
डर जायज है उनका।
मैं उनसे कहता हूं। अभी आप चलें मुझे आफ़िस जाने दें। फिर आपकी चिंता पर चिंतन करुंगा।
तुरन्त रिलीफ़ के लिये मैं उनके प्रति अच्छी-अच्छी शुभकामनायें व्यक्त करता हूं-
ईश्चर आपकी उमर को समय के जाम ऐसे ही फ़ंसाये रखे। जरा सा भी आगे न बढ़ने दे। आपके जलवे भारत में ब्लैक मनी के जलवों की तरह बरकरार रहें। आपकेचाहने वाले भारत में भ्रष्टाचार की तरह बढ़ते रहें। आपके लटके-झटके सेन्सेक्स की तरह हलचल मचाते रहें।
और भी बहुत कुछ रह गया। अनकहा। सदा की तरह।
आप अकेली नहीं मैंडोना। हम आपके साथ बूढ़े हो रहे हैं। हमारे साथ हजार हिंदी के और ब्लागर भी हैं। पूरा चिट्ठाजगत है। सब आपके साथ हैं जी। जब हम चिंतित नहीं हैं तो आप काहे हो रही हो?
मैडोनीजी ,चिंता नकू करा। चिंता चिता से बढ़कर है। फिकर नाट करो जी। आप सहमो नहीं। धड़ल्ले से बूढ़ी हो। हम आपसे साथ धड़धड़ा के हो रहे हैं। धड़ाधड़ महाराज भी साथ हैं। और न जाने कित्ते लोग हैं।
आप भी साथ हैं न!
मुझे बड़ा अजीब लगा। अभी तक हम सुनते आये थे कि सुन्दरियां, गायिकायें और माडल काक्रोच , छिपकली, सांप, चूहे, बिल्ली आदि से डरते हैं।
लेकिन पचास की होने को आई मैडोना बुढ़ापे से डरती हैं।
कारण बताते हुये उन्होंने बताया कि बुढ़ापें में लोग उत्ता भाव नहीं देते जित्ता जवान रहने पर मिलता है।
हमारी बात नहीं हुई मैडोना से वर्ना उनको समझाते कि भई, इत्ता परेशान मत हो। बुढ़ापे के भी मजे हैं।
लेकिन मुझे पता है कि न मेरी उनसे बात हो पायेगी न मैं उनको दिलासा दे पाउंगा। बेचारी ऐसे ही बुढ़ापे से बुढ़ा जायेगी।
पहली बार मुझे मैडोना से जान-पहचान न होने का दुख हो रहा है।
अफ़सोस हो रहा है कि उसका अता-पता जुगाड़ करके रखना चाहिये था।
वैसे अगर मैं उनके सम्पर्क में होता तो शायद समझाने की कोशिश करता कि मैडोना जी आप दुखी न हों । हम आपके साथ हैं। आपके साथ ही बूढे़ हो रहे हैं। आप अकेलापन मत फ़ील करें जी। हम ही नहीं आलोक पुराणिक भी हैं, ज्ञानजी भी हैं, अनीताकुमारजी भी हैं। प्रमोदसिंह अभी चीन फ़ीन गये हैं लेकिन दिल से वे आपके साथ हैं। किसको-किसको गिनायें! आप ये समझ लें कि सब हैं। चिंता काहे करती हैं। साथ-साथ बूढ़े़ हो लेंगे। चिंता जिन करा।
आलोक पुराणिक से कहेंगे- भाई ये मल्लिका सहरावत, राखी सावंत जैसे आइटम के लिये किसी कायदे के , विलिंग आदमी को लगाओ। ऐसे को लगाओ जो भविष्य का कोई ब्लुप्रिंट बनाना चाहता है। पाण्डेयजी को इस जिम्मेदारी से मुक्त करो। मैडोनाजी के साथ लगाओ। वे इनको कुछ ब्लाग-स्लाग भी लिखना सिखा देंगे। अनीताजी को भी साथ कर दो इनके। अनीताजी और मडोनाजी दोनों लोग मुंबई ब्लागर मीट में साथ-साथ जाया करेंगे। फ़िर अनीताजी की फोटो किनारे न आयेगी। मैडोनाजी के साथ बीच में होगी।
हम मैडोनाजी को दिलासा देंगे। आप चिंता न करें। चैन से बूढ़ी होयें। हम आपके ऐसे ही हमेशा -हमेशा प्रशंसक बनेगे। ऐसे ही आपके शो देखते रहेंगे। हमारे इस लगाव में जरको अन्तर न आयेगा। (न अभी देखते हैं न बाद में देखेंगे
हम उनको सुझायेंगे भी कि आप भी अपना ब्लाग बना लो हिंदी में। अपने अनुभव लिखो। आपके अनुभव तो मामाजी के अनुभवों से ज्यादा रंगदार होंगे। जब आप ब्लाग लिखेंगी तो विज्ञापन भी लगा लेना। लोग खूब पढे़गे। खूब कमेंट करेंगे। खूब मजा आयेगा। खूब पैसा आयेगा आपके पास। तमाम लोग आपसे पूछेंगे -आपका पसंदीदा ब्लाग कौन सा है? तब आप हमसे पूछेंगी- फ़ुरसतियाजी , लोग ये सवाल पूछ रहे हैं क्या जवाब दूं। मैं तो केवल आपके बारे में जानती हूं। बताइये क्या जवाब दूं?
मैं सलाह दूंगा- आप जो-जो पढ़ती हों, जो अच्छे लगते हों उनके नाम बता दें।
तब आप कहेंगी- लेकिन मैं तो कोई भी ब्लाग नहीं पढ़ती। कैसे बताऊं? लिखती भी कहां हूं। कुवैत से कोई सम मिस्टर चौधड़ी मेन्टेन करते हैं मेरा ब्लाग। अपने मन से।
आप चौधरी को कैसे जानती हैं? -मैं पूछूंगा!
मैं कहां जानती हूं! उनके ही मेल आये सैकड़ो। बोलते हैं मैं उनके सपनों में रोज-डेली जाती हूं। दो-दो, चार-चार घंटे के लिये। इसी से उनको मन है कि मेरे ब्लाग में वे मेरी बात कहें। मैं कहा कहिये- हू स्टाप्स यू?
मैं सोचता हूं- ये जीतेन्द्र किसके-किसके ब्लाग लिखेगा? चंपा का ब्लाग लिखेगा, चमेली का लिखेगा और अब मैडोना का! क्या हो गया इस लड़के को। सबसे ई-मेल की दूरी पर रहने वाला अब खाली फ़ीमेल के ब्लाग लिख रहा है। क्या अजीब खेल है। बड़ी रेल-पेल है?
जीतेंद्र का जबाब फ़टाक से आ जाता है- क्या दादा, हम दो-चार घंटा एक तरफ़ा साथ रह लेते हैं उसमें तुम इत्ता परेशान हो रहे हो? तुम अपना हमेशा का जुगाड़ बना रहे! यही इन्सानियत है? तुम वरिष्ठ ब्लागर हो। कुछ तो लिहाज करो। शरम नहीं आती तुमको?
हमने कहा- बहुत शरम आती है। हमें बहुत अफ़सोस हो रहा है कि इतने दिन मैडोनाजी को अकेले क्यों छोड़ा? साथ-साथ बड़े होते तो साथ-साथ बूढ़े होने में ज्यादा मजा आता। इत्ता टाइम बेफ़ालतू में बरबाद कर दिया।
मुझे मैडोनाजी के डर का कारण भी समझ में आ रहा है। उनको लगने लगा है कि आगे आने वाले समय में लोग उनको सामने तो देखना कम कर ही देंगे। सपने में भी कोई नहीं पूछेगा उनको।
डर जायज है उनका।
मैं उनसे कहता हूं। अभी आप चलें मुझे आफ़िस जाने दें। फिर आपकी चिंता पर चिंतन करुंगा।
तुरन्त रिलीफ़ के लिये मैं उनके प्रति अच्छी-अच्छी शुभकामनायें व्यक्त करता हूं-
ईश्चर आपकी उमर को समय के जाम ऐसे ही फ़ंसाये रखे। जरा सा भी आगे न बढ़ने दे। आपके जलवे भारत में ब्लैक मनी के जलवों की तरह बरकरार रहें। आपकेचाहने वाले भारत में भ्रष्टाचार की तरह बढ़ते रहें। आपके लटके-झटके सेन्सेक्स की तरह हलचल मचाते रहें।
और भी बहुत कुछ रह गया। अनकहा। सदा की तरह।
आप अकेली नहीं मैंडोना। हम आपके साथ बूढ़े हो रहे हैं। हमारे साथ हजार हिंदी के और ब्लागर भी हैं। पूरा चिट्ठाजगत है। सब आपके साथ हैं जी। जब हम चिंतित नहीं हैं तो आप काहे हो रही हो?
मैडोनीजी ,चिंता नकू करा। चिंता चिता से बढ़कर है। फिकर नाट करो जी। आप सहमो नहीं। धड़ल्ले से बूढ़ी हो। हम आपसे साथ धड़धड़ा के हो रहे हैं। धड़ाधड़ महाराज भी साथ हैं। और न जाने कित्ते लोग हैं।
आप भी साथ हैं न!
Posted in बस यूं ही | 15 Responses
मॉं : एक कविता श्रद्वांजली
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अरे यह नया वेराइटी का मेल आ गया। हमारे जी-मेल के ई-मेल में आजकल बहुत स्पैम आ रहा है। कुवैती बाबू से जरा पता करें इस फी-मेल का पोर्टल।
साथ मेँ ब्लॉग सुविधा भी है – ब्लॉगस्पाट से बदल कर ब्लॉग इसी सर्वर पर ले जाया जाये?! चौधड़ी जी एक बार यह नया मेल/ब्लॉग पोर्टल बता दें – सारे ब्लॉग उसपर शिफ्ट हो लेंगे ओवरनाइट!
(यह सीरियस टिप्पणी कतई नहीं है। इसे ले कर कोई नीछना चाहे तो सुकुल-चौधरी द्वय को ही लपेटे! )
मजेदार पोस्ट
हंसते-हंसते, कट जाए रस्ते…
जिंदगी यूँ ही चलती रहे……
मैडोना से मिल लिए,कथित तौर पर बतिया लिए, वो सब तो ठीक है, लेकिन आधी अधूरी बाते काहे बता रहे हो, तुम अकेले इन्टरव्यू तो लेने से रहे….बकिया भी खुलासा किया जाए, क्या भौजी से डर रहे हो? अब बता भी दो…. (भले ही पोस्ट को पासवर्ड प्रोटेक्टेड करके बताया जाए।)
सिर्फ मल्लिका सहरावत, प्रीति जिंटा का ध्यान करते हैं।
@संजय बेंगाणी, बाली उमर पर बारे जाऊं।मेडोना ने थैंक्स भेजा है।
@ज्ञानजी,चौधड़ी जी ने दो हफ़्ते की छुट्टी ली है आपका काम करने के लिये। देखिये क्या करते हैं।
@जगदीश भाटिया, जीतेंद्रजी ने अपराध कुबूल कर लिया है।
@सृजन शिल्पी, मेडोना को जब पता चलेगा कि तुम भी साथ् में हो तो वो न जाने क्या-क्या काट लेंगी, सफ़र कौन चीज है।
@जीतेंद्र, पत्नीजी ने हड़काते हुये पूछा है कि क्या सच में तुम डरते हो? हमने कहा नहीं। केवल बहाना करते हैं। वे मान भी गयीं। असलियत बयान कर दी है। अब आगे क्या बतायें।
@आलोक पुराणिक, आपको ग्लोबल बनने का मौका मिल् रहा है। आपने न जाने कौन से दल के दबाब में इसे खो दिया। दबाब हम महसूस कर रहे हैं किस तरफ़ से है।
@दिनेशजी, मेडोनाजी को आपका संदेश पहुंचा दिया। आपका पता, फोन नं भी दे दिया। आपको वे फ़ुनियायेंगी।
@प्रतीक, तुम्हारे भरोसे ही हम फ़ैन बने हैं मेडोनाजी के। आशा है होइस्सा करते रहोगे।