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प्रत्यक्षा जी को पितृशोक
By फ़ुरसतिया on April 29, 2008
आज अभी कुछ देर पहले प्रत्यक्षाजी की मेल मिली। दुखद समाचार था। उनके पापा एक लम्बी बीमारी के बाद नहीं रहे।
उनके पापाजी पिछले साल से लगातार किसी न किसी बीमारी से परेशान थे। अंतत: वे 27 अप्रैल की रात को दुनिया से विदा हो गये।
अपने पापा के बारे में प्रत्यक्षाजी ने लिखते हुये एक पोस्ट लिखी थी यादों की गठरी और सन्दूक भर तस्वीरें। उन्होंने लिखा था-
पिछले दिनों शायद वे अस्पताल में ही थे जब प्रत्यक्षाजी ने यह पोस्ट लिखी थी।
आज दुख की इस घड़ी में अपनी और अपने तमाम साथियों की तरफ़ से प्रत्यक्षाजी और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर उनको और उनके परिवार को इस विकट दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे। उनके पापा को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।
उनके पापाजी पिछले साल से लगातार किसी न किसी बीमारी से परेशान थे। अंतत: वे 27 अप्रैल की रात को दुनिया से विदा हो गये।
अपने पापा के बारे में प्रत्यक्षाजी ने लिखते हुये एक पोस्ट लिखी थी यादों की गठरी और सन्दूक भर तस्वीरें। उन्होंने लिखा था-
अभी भी कुछ दिन पहले एक पैकेट कूरियर से आया जिसमें चिट्ठी के अलावा मेरे बचपन की कुछ और तस्वीरें थीं. मेरे बच्चों को बहुत मज़ा आया उनको देखने में . खैर, जब माँ और पापा को कहा था वो तस्वीर खोजने को तो मुझे बहुत उम्मीद नहीं थी कि ये मिल ही जायें. पर दो दिन बाद ही उनका फ़ोन आ गया. कई बक्सों और सन्दूकों को खंगालने के बाद उन्होंने आखिर वो तस्वीर खोज निकाली थी. फ़िर तुरत कूरियर भी कर दिया.
ये पैकेट जब खोला , तस्वीरें देखीं तो आँखें भर आईं. बस आँसू उमडते गये. बच्चे परेशान हैरान. संतोष उस वक्त घर पर नहीं थे, वरना मुझे संभाल लेते. खूब रोयी उस दिन. पता नहीं क्या लग रहा था . कुछ छूटने का सा एहसास था, कुछ पाने का सा एहसास था, एक मीठी उदास सी टीस थी. फ़िर कुछ देर बाद जी हल्का हुआ. रात में संतोष ने उन्हें फ़ोन किया और हँसते हुये मेरे रोने के बारे में बताया. मैं क्यों रोई ये मैं उन्हें क्या बताती पर शायद उन्हें पता होगा .
पिछले दिनों शायद वे अस्पताल में ही थे जब प्रत्यक्षाजी ने यह पोस्ट लिखी थी।
आज दुख की इस घड़ी में अपनी और अपने तमाम साथियों की तरफ़ से प्रत्यक्षाजी और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर उनको और उनके परिवार को इस विकट दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे। उनके पापा को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।
Posted in बस यूं ही | 40 Responses
शोक संतप्त परिवार को सांत्वना देने के
शब्द मुझे नहीं सूझ पाते ।
परमपिता के प्रश्रय में पिताजी को शांन्ति मिले ।
ईश्वर उन्हें इस दुख की घड़ी में संभाले रखे.
हमारी श्रद्धांजलि!!
घुघूती बासूती
उनके पिताजी के प्रति मेरे परिवार की श्रध्धाँजलि !
- लावण्या
श्रद्धांजलि।
उनके पिताजी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !
पिताजी की नाज़ुक तबीयत से वाकिफ थे और बहुत डरा हुआ वक़्त था यह ।
ईश्वर प्रत्यक्षा जी व अन्य परिवारजनों को इस दुख से बाहर आने की शक्ति प्रदान करें ।
हम अपनी उम्र से छोटे दिखाई देते हैं
स म वे द ना एँ.
प्रत्यक्षा जी और उनके परिवार को ईश्वर यह आघात सहने की शक्ति देँ
–
रजनी और अनूप