Wednesday, May 19, 2010

….दुनिया बड़ी डम्प्लाट है

http://web.archive.org/web/20140419214601/http://hindini.com/fursatiya/archives/1484

41 responses to “….दुनिया बड़ी डम्प्लाट है”

  1. Khushdeep Sehgal, Noida
    प्रकृति के विधान में दखल…बड़ा कलेजे का काम है…
    लेकिन सुना है प्रकृति खुद ही अपना रास्ता तय करती है…ब्लैक होल भी प्रकृति से बाहर थोड़े ही है…
    हां प्रकृति से पंगा लेने वालों को ज़रूर लेने के देने पड़ जाते हैं…ऐसा न हुआ होता तो डॉयनासोर हमेशा के लिए धरती पर राज न करते…
    माफ़ कीजिएगा महागुरुदेव, बिटवीन द लाइन्स छोड़ने के लिए, आदत से मजबूर हूं…
    पापुलर मेरठी के बहाने ही सही अपने मेरठ का नाम देखकर खुशदीप से दिलखुश हो जाता हूं…
    जय हिंद…
  2. indra awasthi
    ४.अब्बा की मेरे तमन्ना थी मैं अंग्रेजी फ़र्राटे से बोलूं,
    मैं इक बार पोस्टमैन पर पूरा एस्से सुनाना चाहता हूं।
    zabardast!!
  3. माई का लाल
    अमाँ गुरु, जरा ई बताओ के यहू तो होई सकत है, कि खुद ब्लैकहोलवे हमई धरती का व्हाइट डम्पलाट समझ के भागा जाय रहा हो ?
    नाहीं.. तनिक सोचो, जब वैज्ञानिकै तरह तरह के सँभावना के लई के चल रहे हैं, अउर चलत जा रहे हैं.. अउर आगे भी कछु सोचे कछु बिना सोचे चलतै जईहैं.. तौ हम पँचन के सोचे पर कउनो रोक है, भाई ?
    चाहो तो बिना सोचेई आपौ एक सँभावना ठेल देयो, फुरसतिया थ्योरी आँफ लकड़ा एण्ड मकड़ा इन परस्पेक्टिव आफ़ ब्लैकहोल !
    ब्लॉगिंग मॉ बदनामी मिली, होय गवा होय देयो । बाकी अउर कहूँ घुसड़-पुसड़ की गुँजाइश देखि के ईहँई नाम कमा लेयो, पूरब ने दिया ज्ञान तुझे टाइप
  4. pankaj upadhyay
    “सालों से सुलगा बैठा हूं तेरे लिखे लम्बे लम्बे पोस्ट्स को पढ़कर मैं,
    सिर्फ़ एक बार तेरा लिखा तुझको ही पढ़ाना चाहता हूं।”
    बोलो ’पापुलर कनपुरिया’ अनूप जी की जय.. हवन कार्यक्रम जारी रखा जाये :)… घोर क्रियेटिविटी (कर्ट्सी कुश)
    अभी तो बस शेरो, चीतो पर गौर फ़रमाया गया.. ब्लैकहोल की कथा पढने फ़िर आते है…
  5. Dipak 'Mashal'
    कछू के लो.. वा ब्लैकहोल की स्पीड आपके कल्पना के घोडन सें तो हारई चुकी.. आगे सें कौनऊँ रेस में जा के संगें तो बिल्कुलई नईं दौड़हेगो ससुर..
  6. रविकांत पाण्डेय
    स्तब्ध ज्योत्सना में जब संसार
    चकित रहता शिशु सा नादान
    विश्व के पलकों पर सुकुमार
    विचरते हैं जब स्वप्न अजान,
    न जाने नछत्रों से कौन,
    निमंत्रण देता मुझको मौन
    गुरूदेव, क्षमा चाहता हूं, ये “पंत” जी की पंक्तियां लग रही हैं।
  7. दिनेशराय द्विवेदी
    अंतरिक्षीय पिंडों का मानवीकरण अच्छा लगा।
  8. गिरीश बिल्लोरे मुकुल
    सारे ब्लेक होल्स का यही हश्र तय है सुकुल जी
    ब्लाग जगत में भी
  9. मनोज कुमार
    .सालों से सुलगा बैठा हूं तेरे लिखे हुये को पढ़कर मैं,
    सिर्फ़ एक बार तेरा लिखा तुझको ही पढ़ाना चाहता हूं।
    संग्रहणीय प्रस्तुति!
  10. हरीश
    अच्छा लगा. धन्यवाद.
  11. चौपटस्वामी
    अस्सी मन के लकड़े और उस पर बैठे मकड़े को विजुअलाइज़ कर रहा हूं और मगन हो रहा हूं. ब्लैक होल पर धांसू-रसभरी पोस्ट. हमारे यहां गूढ़ विषय इसी तरह क्यों नहीं पढ़ाए जाते जिससे बच्चे क्लास में उबासी न लें,और दूसरे सांस्कृतिक कृत्य न करें.
    पापुलर मेरठी अपने इस रूप में भी जमताऊ हैं . और व्यवहारिक भी. जानते हैं बस एक बार वहां ट्यूशन पढ़ाने का काम मिल जाए तो, द रेस्ट विल फ़ॉलो.
  12. प्रवीण पाण्डेय
    पर एक बात जो संभवतः चर्चा में नहीं आ पायी कि ब्लैक होल का यह चित्र या घटना 1 अरब वर्ष पुरानी है । जो सिग्नल हम पाये, वे एक अरब वर्ष पहले चलने प्रारम्भ हुये होंगे ।
    अभी वहाँ क्या दाँय मची है नहीं ज्ञात ।
    और हाँ, हमारे ब्लॉग जगत की दाँय भी वहाँ पहुँचने में इतना ही समय लगेगा । उस समय कोई कुछ भी कहे ।
  13. Dr.Manoj Mishra
    बढ़िया पोस्ट.
  14. संजय बेंगाणी
    एक बिगडैल टाइप के बंदे ने टाँग तोड़ दी कुछ ऐसे:
    मेरी महबूबा मेरी बीबी न बने तो कोई बात नहीं,
    मैं सिर्फ़ उसके बच्चों का बाप बनना चाहता हूं।
    हमने ज्यों की त्यों धरी है. हमारा कोई कसुर नहीं. शेष चकाचक है.
  15. Shiv Kumar Mishra
    बहुत बढ़िया पोस्ट…सॉरी सॉरी..अद्भुत तो लिखना ही भूल गए.
    ये लीजिये;
    अद्भुत पोस्ट!!!
    कहाँ-कहाँ से क्या खींच लेते हैं..वाह! वैसे हर बात में ब्लागरी और ब्लागरों की बात करने की भी इति होनी चाहिए. ब्लैकहोल में भी ब्लागरी घुसा देना कहाँ तक जायज है?
  16. Anonymous
    हटिया खुली बजाज बंद, झाडे रहो कलेक्टर गंज , येही ब्लैक होल का चक्कर मा बहुत गर्मी करा दी है गुरु. मस्त कनपुरिया पोस्ट.
  17. वन्दना अवस्थी दुबे
    तो ब्लैक होल का भी मानवीकरण कर दिया आपने? एकदम लड़कों सा दिखाई देने लगा, भारी-भरकम ब्लैक होल. और मेरठी…… गजब.
    .सालों से सुलगा बैठा हूं तेरे लिखे हुये को पढ़कर मैं,
    सिर्फ़ एक बार तेरा लिखा तुझको ही पढ़ाना चाहता हूं।
    शानदार.
  18. वन्दना अवस्थी दुबे
    हां, एक बात तो रह ही गई, ये जो शीर्षक में “डम्प्लाट” का इस्तेमाल किया है, तो मेरी मां भी किसी बड़ी चीज़ के लिये हमेशा डम्प्लाट शब्द का प्रयोग करती हैं. मज़ा आ गया पढ के.
  19. rajeysha
    7वां शेर वाकई शेर की तरह अर्थ दे रहा है।
  20. Abhishek Ojha
    ब्लैकहोल में ब्लोगरी घुसा है कि ब्लॉग में ब्लैकहोल? ऐसा भागने वाला ब्लैकहोल इन पोस्ट में घुस गया !
    बहुत बढ़िया !
  21. pankaj upadhyay
    ये भी तो हो सकता है जैसे आप उसके बारे मे इतना कुछ लिखे/ सोचे है ऊ भी कुछ लिखा हो.. हो सकता है वहा के अखबार मे आपका रेफ़ेरेन्स भी हो.. हो सकता है ब्लैकहोल समूह वाले आपका इन्टरव्यू लेने की तैयारी मे हो.. हो सकता है कि उनका नाम ब्लैकहोल ही न हो और आपके ऊपर वो रंग भेद की बाते फ़ैलाने का केस ठोंक दें.. वैसे कौन सा सरकार ने सोचने पर टैक्स लगाया हुआ है.. आराम से सोचिये.. वैसे इस डम्प्लाट दुनिया के बारे मे थोडा और जानना हो तो स्टीफ़न हाकिग की इस किताब को पढे –
    The Theory of Everything – http://www.amazon.com/Theory-Everything-Origin-Fate-Universe/dp/1893224546
  22. कुश भाई.. "कनाडा रिटर्न"
    पंकज की पहली टिपण्णी मैं करने वाला था.. पर उसने हमसे पहले ही हमारा विचार जान लिया.. ‘पोपुलर कानपुरिया’ का खिताब तो आपके नाम..
    ब्लैक होल की तबियत पूछने हम भी लौटेंगे..
  23. Gyan Dutt Pandey
    इत्ती डम्पलाट चीज पर इत्ती जरा सी पोस्ट?! पर चुकायमान नहीं कहेंगे। शंख न बजने लगें! :)
  24. Gyan Dutt Pandey
    अरे हमारी टिप्पणी गुम गई? हमने कहा था कि इतनी डम्पलाट चीज पर इतनी छोटी पोस्ट?! अब हम चुकायमान तो नहीं कहेंगे – क्या पता शंख बजने लगें! :)
  25. सतीश पंचम
    जब यह पोस्ट पब्लिश हुई थी तब ही इसको पढ़ लिए थे और एकदम रापचिक मूड में टिप्पणी लिखने वाले ते कि तभी नेट गाबिडगिल्ला करने लगा।
    आज दूबारा पढा और फिर से मजा लिया। मेरे भी मन में प्रवीण जी की तरह यही विचार आया था कि ये जो तस्वीर दिख रही है काफी पहले की है और अब वहां क्या वस्तुस्थिति होगी कोई नहीं जानता।
    बकि पापुलर मेरठी के बहाने बडा डम्पलाट चीज पढ़ने मिल रहा है…..दो चार पसेरी और ठेला जाय :)
  26. डॉ महेश सिन्हा
    मनुष्य की सोच तो प्रकाश की गति से भी तेज है :) तभी तो वह बहुत कुछ सोचा करता है .
    प्रकाश की गति विज्ञान की नहीं इंसान की उलझन है क्योंकि वह इससे ज्यादा गतिमान वस्तु अभी समझ नहीं पाया इसीलिये हर गति को इसी से नापता रहता है .
    मेरठी बढ़िया है
  27. amrendra nath tripathi
    ब्लैक होल जैसे विषय को भी ख़ूबसूरती के साथ फुरसतियापन का
    मुलम्मा लगा कर पेश किया है , काबिले-तारीफ ! पूर्ववत !
    टिप्पणियों को पढ़कर सोच रहा हूँ कि इस लेख का और ब्लॉग – जगत
    से क्या सम्बन्ध जुड़ रहा है ! यह समझ में नहीं आया ! वो कहते हैं न
    कि ” टाइपराइटर भी अजीब शै है , मारो कहीं , लगता है वहीं ! ”
  28. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    @क्या पता वहां का भी कोई प्रधानमंत्री वहां किसी से कहता हो कि जित्ती ऊर्जा सतह के लिये चलती है उसका बहुत छोटा सा हिस्सा ही सतह तक पहुंचता है। बहुत भ्रष्टाचार है यहां|
    इसे पढ़कर राजीव गान्धी याद आ गये। आज उनकी पुण्यतिथि है। विडम्बना देखिए कि आपकी पो्स्ट पढ़कर आज हम देर तक हँसते रहे और पूरे देश के साथ कांग्रेस पुण्यतिथि मनाती रही।
    मैने हँसकर बहुत बुरा किया है गुमसुम दिन
    इसी पछताव में अब फड़फड़ाना चाहता हूँ।
  29. बेचैन आत्मा
    ई पोस्ट भी डम्प्लाट है. आधा मन से पढ़े आधा सरसराय के भाग लिए..! विज्ञान से शुरुए से भागा किये हैं हम. टीवी कs बतिया त सबै झूठ लागे है हमका . दुनिया २००१२ में नष्ट हो जायेगी..! का पागलपन है..!
    आपकी लेखन शैली इतनी रोचक है कि का बताएं ..इत्ता भी पढ़ लिए..अब मत भी व्यक्त करे लगे..!
    ई पोस्ट में एक्कै चीज काम की हाथ लगी..पापुलर भाई का पापुलर शेर….
    मेरी महबूबा मेरी बीबी न बने तो कोई बात नहीं,
    मैं सिर्फ़ उसके बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना चाहता हूं।
    .एकरे गति के आगे सब फेल.
    …भाड़ में जाय ब्लैक होल ..प्रकाश की गति..
    चाचा सही कहत रहेन..
    अस्सी मन का लकड़ा, उसपर बैठा मकड़ा। रत्ती-रत्ती रोज चुने तो बताओ कित्ते दिन में चुन जाये?
  30. चला बिहारी ब्लॉगर बनने
    हमरे आँगन में पधारने और टिप्पणी करने परः
    सबसे पहिले त आप जईसे परतापी पंडित जी का हमरी कुटिया में आगमने हमरे लिए सौभाग्य का बात है. अब आप से का छिपा है किसन महराज!
    न था कुछ तो खुदा था, कुछ न होता तो खुदा होता.
    डुबाया हमको होने ने, न होते हम त का होता.
    कऊन पहिलौठ का है अऊर कऊन पेटपोंछन, एही फेर में बेचारा कंस केतना सिसु का हत्या कर गया.
    आपका आसिस स्वीकार!!
  31. Om Arya
    वैसे तो कई ब्लॉग हैं इस ब्लॉग्गिंग की दुनिया में
    पर आपका है कुछ अनूठा, ये टिपियाना चाहता हूँ
  32. hempandey
    यह ब्लेक होल ब्रह्माण्ड में मनुष्य की स्थिति को उजागर करता है.
  33. संजीव द्विनेदी
    ये आकाशीय पिंड कद-काठी में चाहे जितने डम्प्लाट हों लेकिन गुरु इनकी जिंदगी बड़ी नरक है। एक्को दिन का वीकेन्ड नहीं न कोई होली दीवाली की छुट्टी। हर समय घूमते रहो, भागते रहो, चरैवैति-चरैवेति जपते हुये।
    बहुत बढ़िया जी,उनके चरैवैति-चरैवेति जपने से ही हम होली दीवाली की छुट्टियाँ मनाते हैं ।
  34. Ojha
    Sir mere computer mein hindi ke phont nahin hain. mujhe hindi ki type bhi nahin ati hai. lakin phir bhi age se mera prayas hoga ki mein devnagri main na likhun. kya aap apni education ke dino main bhi itna vyapak sochte the ya keval ab itna deep aur dur tak sochate hain
  35. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] ….दुनिया बड़ी डम्प्लाट है [...]
  36. Swapna Manjusha 'ada'
    ये आपकी डम्प्लाट सी पोस्ट पढ़ कर
    हम कितने फ्लाट हुए ये बताना चाहते हैं
    जब देखो किसिम किसिम का रंग देखाते रहते हैं
    कोई आपको भी रंग देखाए, ई मनाना चाहते हैं
    Swapna Manjusha ‘ada’ की हालिया प्रविष्टी..SAUDIS TRAVELING FOR "HALAL SEX" TO INDONESIA
  37. एक स्वयं सेवक का आवेदन पत्र
    [...] ट्विलाइट फ़ेरी को भी आभार! 2.ये लाइनें पॉपुलर मेरठी की इस्टाइल की नकल करके लिखीं। इनको शायरी या गजल [...]
  38. ठेले पर कयामत
    [...] उन्नत सभ्यता अपने वायुयान में समेटे डम्प्लाट ब्रह्मांड में भटकते फ़िरेंगे। यह [...]
  39. मसिजीवी
    इस बलैक होल से बस अपने नेता लोग ही पार पा सकते हैं इतने लाख/करोड/अरब या तो 2जी/कोयला में सुने थे या अब आपने सुनाए।
    आप भी लगता सहज नहीं रहे तभी तो एक बार प्रकाश की गति सही बताए तीन लाख किलोमीटर….. अगले पेरा में लाख खा गए (बिना डकार लिए) और प्रकाश को वंचित सी “जिस प्रकाश की गति तीन किलोमीटर प्रति सेकेंड है ” पा टिका गए।
    मसिजीवी की हालिया प्रविष्टी..दर्शक की परीक्षा है शांघाई
  40. : डम्प्लाट दुनिया में सितारों की आइस-पाइस
    [...] की जाये। तो याद आई ये पोस्ट दुनिया बड़ी डम्प्लाट है। अब आप पूछेंगे कि डम्प्लाट क्या होता [...]

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