फ़ुरसतिया
हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै
Tuesday, September 20, 2011
दफ़्तर में सोते हो
वो बेचारा सुबह से काम करता रहा मेज पर झुकेए हुये
शाम को साहब ने फ़टकारा- दफ़्तर में सोते हो!
-कट्टा कानपुरी
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