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एक पति ऐसा भी
By फ़ुरसतिया on March 24, 2012
{अगर
मुझसे पूछो तो तो मैं हर पत्नी को एक सलाह दे सकती हूं। वह अपने पति को
अपने से बाहर-घर से बाहर अगर वह पति का प्यार पाना चाहती है तो- घर से बाहर
प्रेम करने की छूट दे; उकसाये उसके लिये! क्योंकि वह कहीं किसी और को
प्यार करेगा तो, उसके अन्दर का कड़वापन रूखपन भरता रहेगा और इसका लाभ उसकी
बीबी को भी मिलता रहेगा! बीबी को ही नहीं बच्चों को भी मिलेगा। समझा!
“और पत्नी भी ऐसा करे तो?”
“तो जीवन भर नर्क भोगने को तैयार रहे! पति तो पति, बच्चे तक माफ़ नहीं करेंगे इसके लिये!”}
[पेज 39 रेहन पर रग्घू- लेखक काशी नाथ सिंह]
काशी नाथ सिंह जी का यह उपन्यास मैं दुबारा पढ़ रहा हूं। इसके पहले इसे तद्भव में पढ़ चुका था। आज सुबह ही उपरोक्त प्रसंग पढ़ा। चाय पीते हुये समाचार सुनने के लिये टीवी खोला। एन डी टीवी खुला।
टेलीविजन में एक समाचार दिखाया गया। किसी गांव का किस्सा था। एक नवविवाहित पुरुष की पत्नी अपने प्रेमी के साथ चली गयी। फ़िर प्रेमी जोड़ा पकड़ा गया। पुलिस के पास मामला गया। ऐसे में आमतौर पर औरत को कुल्टा-कुलच्छिनी कहकर उसकी भर्त्सना करते हैं लोग और प्रेमी को मारपीट कर अधमरा। लेकिन इस घटना में पति ने ऐसा कुछ नहीं किया। उसने अपनी पत्नी का विवाह उसके प्रेमी से करा दिया।
आज जब अपने जीवन साथी द्वारा बेवबाई करने पर सभ्य माने जाने वाले लोग तक जान लेने में नहीं हिचकते तो ऐसी घटना एक आम इंसान की उदारता की मिशाल है। अभी हाल ही में भोपाल में एक हत्याकाण्ड हुआ। उसमें एक हाईप्रोफ़ाइल महिला द्वारा अपनी सहेली की पैसे देकर हत्या करवा दी गयी क्योंकि उसकी सहेली के संबंध उस व्यक्ति से नजदीकी होने लगे थे जिससे कि उसके खुद के “इंटीमेट संबंध” थे।
वह पति जिसने अपनी पत्नी की प्रेमी के साथ चले जाने पर उसकी लानत-मलानत करने की बजाय उसकी शादी उसके प्रेमी से करा दी वह जरूर बेहद समझदार उदार मनोवृत्ति का होगा। देखने में किसी तथाकथित पिछड़े इलाके का लग रहा वह व्यक्ति वास्तव में बधाई का पात्र है जिसने अपनी पत्नी को मात्र एक सामान न समझकर उसके प्रेमी से उसका मिलन कराया।
क्या पता उसके समाज में उसको धिक्कारने वाले भी लोग हों। वे कहते हों कैसा मर्द है जो अपनी बीबी को भगा ले जाने वाले के साथ उसका विवाह करा रहा है। उसकी जगह वे होते काट डालते। ऐसे मामलों में खून- खराबा, मार पीट, सामाजिक बहिष्कार तो आम व्यवहार है। ऐसे समाज में ऐसी उदार सोच रख पाना और उस पर अमल कर पाना वाकई काबिले तारीफ़ और बहादुरी का काम है।
यह समाचार मैं सिर्फ़ एक बार देख पाया। इसके बाद दुबारा दिखा नहीं समाचार। कई बार खोला टेलिविजन लेकिन उसमें पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद आफ़रीदी की अपने प्रशंसको को पीटने की घटना बार-बार दोहराई जा रही थी। यह तो अक्सर होता है। पर पता नहीं क्यों यह सूचना सिर्फ़ एक बार फ़्लैश करके दुबारा नहीं दिखाई गयी। किसी समाचार पत्र में भी इसका जिक्र नहीं है। मीडिया सिर्फ़ सेलिब्रिटी लोगों के चोंचले दिखाने में जुटा रहता है।
ऊपर की फोटो फ़्लिकर से साभार!
“और पत्नी भी ऐसा करे तो?”
“तो जीवन भर नर्क भोगने को तैयार रहे! पति तो पति, बच्चे तक माफ़ नहीं करेंगे इसके लिये!”}
[पेज 39 रेहन पर रग्घू- लेखक काशी नाथ सिंह]
काशी नाथ सिंह जी का यह उपन्यास मैं दुबारा पढ़ रहा हूं। इसके पहले इसे तद्भव में पढ़ चुका था। आज सुबह ही उपरोक्त प्रसंग पढ़ा। चाय पीते हुये समाचार सुनने के लिये टीवी खोला। एन डी टीवी खुला।
टेलीविजन में एक समाचार दिखाया गया। किसी गांव का किस्सा था। एक नवविवाहित पुरुष की पत्नी अपने प्रेमी के साथ चली गयी। फ़िर प्रेमी जोड़ा पकड़ा गया। पुलिस के पास मामला गया। ऐसे में आमतौर पर औरत को कुल्टा-कुलच्छिनी कहकर उसकी भर्त्सना करते हैं लोग और प्रेमी को मारपीट कर अधमरा। लेकिन इस घटना में पति ने ऐसा कुछ नहीं किया। उसने अपनी पत्नी का विवाह उसके प्रेमी से करा दिया।
आज जब अपने जीवन साथी द्वारा बेवबाई करने पर सभ्य माने जाने वाले लोग तक जान लेने में नहीं हिचकते तो ऐसी घटना एक आम इंसान की उदारता की मिशाल है। अभी हाल ही में भोपाल में एक हत्याकाण्ड हुआ। उसमें एक हाईप्रोफ़ाइल महिला द्वारा अपनी सहेली की पैसे देकर हत्या करवा दी गयी क्योंकि उसकी सहेली के संबंध उस व्यक्ति से नजदीकी होने लगे थे जिससे कि उसके खुद के “इंटीमेट संबंध” थे।
वह पति जिसने अपनी पत्नी की प्रेमी के साथ चले जाने पर उसकी लानत-मलानत करने की बजाय उसकी शादी उसके प्रेमी से करा दी वह जरूर बेहद समझदार उदार मनोवृत्ति का होगा। देखने में किसी तथाकथित पिछड़े इलाके का लग रहा वह व्यक्ति वास्तव में बधाई का पात्र है जिसने अपनी पत्नी को मात्र एक सामान न समझकर उसके प्रेमी से उसका मिलन कराया।
क्या पता उसके समाज में उसको धिक्कारने वाले भी लोग हों। वे कहते हों कैसा मर्द है जो अपनी बीबी को भगा ले जाने वाले के साथ उसका विवाह करा रहा है। उसकी जगह वे होते काट डालते। ऐसे मामलों में खून- खराबा, मार पीट, सामाजिक बहिष्कार तो आम व्यवहार है। ऐसे समाज में ऐसी उदार सोच रख पाना और उस पर अमल कर पाना वाकई काबिले तारीफ़ और बहादुरी का काम है।
यह समाचार मैं सिर्फ़ एक बार देख पाया। इसके बाद दुबारा दिखा नहीं समाचार। कई बार खोला टेलिविजन लेकिन उसमें पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद आफ़रीदी की अपने प्रशंसको को पीटने की घटना बार-बार दोहराई जा रही थी। यह तो अक्सर होता है। पर पता नहीं क्यों यह सूचना सिर्फ़ एक बार फ़्लैश करके दुबारा नहीं दिखाई गयी। किसी समाचार पत्र में भी इसका जिक्र नहीं है। मीडिया सिर्फ़ सेलिब्रिटी लोगों के चोंचले दिखाने में जुटा रहता है।
चलते-चलते
आम तौर पर प्रेमी-प्रेमिका के घर छोड़कर चले के लिये समाचार पत्रों की भाषा होती है- नवविवाहिता अपने प्रेमी के संग फ़रार। फ़रार पर विचार किया तो लगा कि जेल से भागे कैदी को फ़रार होना कहते हैं। इससे क्या यह निष्कर्ष लगाया जाये कि समाचार पत्र गृहस्थ जीवन को जेल मानते हैं और वहां से भाग निकलने वाले के साथ उनकी सहज सहानुभूति होती है।ऊपर की फोटो फ़्लिकर से साभार!
Posted in बस यूं ही | 28 Responses
भारतीय नागरिक की हालिया प्रविष्टी..क्या ऐसा भी संभव है.?
एक बात और…
अनूप जी, आप घर से जबलपुर आकर कैसा भी महसूस कर रहे हों, लेकिन आपके पाठकों को ज़रूर फायदा हुआ है…आपकी पोस्ट की फ्रीक्वेंसी बढ़ने से…
जय हिंद…
पोस्ट की फ़्रीक्वेन्सी फ़िर पंक्चर हो गयी न! पर कुछ दिन बाद नियमित हो जायें शायद!
मुझे भी यही लगता है जोर जबरदस्ती ,समाज दुनिया के भय से लोगों को आजीवन न चाहते हुए भी साथ रहने को अभिशप्त नहीं होना चाहिए …
मगर शुभस्य शीघ्रम …नहीं तो बहुत देर हो जाती है ..
इस पोस्ट पर आपकी लानत मलामत तय है -ब्लॉग ठेकेदार ठेकेदारिने आ रहे होंगे …
मगर मुद्दा आपने अच्छा कैच किया है -सचिन की प्रेरणा है क्या ?
arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..चिट्ठाकार चर्चा की नीरवता को तोड़तीं अमृता तन्मय!
…दर-असल अधिकांश घटनाओं में प्यार का मामला कम वासना का अधिक होता है जो कुछ समय बाद हवा हो जाता है तब सम्बंधित पार्टी कहीं की नहीं रहती !!
संतोष त्रिवेदी की हालिया प्रविष्टी..मददगार ब्लॉगर :अविनाश वाचस्पति !
संतोष जी की बात पते की है, लेकिन शत-प्रतिशत ऐसा नहीं होता.
रापचिक !!!!
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..हाँ!!!वही देश, जहाँ गंगा बहा करती थी…
वैसे हमारी शुभकामनाये उस पति के साथ है भगवान् करे उसे और अच्छी लड़की मिले (और पति या पत्नी किसी को फरार न होना पड़े ) :):)
आशीष श्रीवास्तव
रही बात “फरार” होने की.. तो यह पत्रकारिता की टर्मीनोलॉजी है.. एक बन्दा समाचार लिख कर ले गया कि भारत के प्रधानमंत्री श्री अमुक अपनी पत्नी के साथ आज दिल्ली के इंडिया गेट पर एक कार्यक्रम के उदघाटन में पहुंचे.
संपादक ने रिपोर्ट उसके मुंह पर दे मारी.. बाद में समाचार इस प्रकार छापा:
भारत के तथाकथित प्रधानमंत्री श्री अमुक, इंडिया गेट पर एक कार्यक्रम में पहुंचे. विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि यह स्थान दिल्ली में है.. उनके साथ एक स्त्री भी देखी गयी, जिसे वे अपनी पत्नी बताते हैं.
अब ऐसे में फरार, तथाकथित, सनसनीखेज, संगीन जैसे शब्द उद्वेलित नहीं करते!!
जबलपुर रास आ रहा है सुकुल जी को!!
सलिल वर्मा की हालिया प्रविष्टी..सम्बोधि के क्षण
अच्छा लगा तद्भव पे जाना………..
बकिया २ दिन सबर रखने का कोई फैदा नै हुआ…………
प्रणाम