इस्कूल पढ़न गये मुन्नाभाई। उसका हाल लिखौं का भाई॥
दिन भर खेलैं गुल्ली डंडा । नित-नित पावैं जीरो अंडा ॥
होमवर्क नहि कबहूं करहीं। जब देखो तब करत बतकही॥
फ़िरि इम्तहान के दिन आये। मुन्ना-सर्किट के होश उड़ाये॥
अपन हाल डैडिहिं बतलावा। डैडी ने गुरुको काल कराया॥
सी द केस मोरे बेटवा केरा। करहु नीडफ़ुल फ़ौरन सेरा॥
नहिं विलंबु केहु कारण कीजै। करके फ़ौरन निज सेलरी लीजै॥
जौ रिजल्ट कुछ होय खराबा। सेलरी फ़िरि न मिलिहै बाबा॥
दिन भर खेलैं गुल्ली डंडा । नित-नित पावैं जीरो अंडा ॥
होमवर्क नहि कबहूं करहीं। जब देखो तब करत बतकही॥
फ़िरि इम्तहान के दिन आये। मुन्ना-सर्किट के होश उड़ाये॥
अपन हाल डैडिहिं बतलावा। डैडी ने गुरुको काल कराया॥
सी द केस मोरे बेटवा केरा। करहु नीडफ़ुल फ़ौरन सेरा॥
नहिं विलंबु केहु कारण कीजै। करके फ़ौरन निज सेलरी लीजै॥
जौ रिजल्ट कुछ होय खराबा। सेलरी फ़िरि न मिलिहै बाबा॥
सुनि प्राब्लम चेलाराज की , गुरुवर भये फ़ौरन ही हलकान।
दूध मंगाया पाव भर, पिया बिद चम्मच भर कम्प्लान॥
कम्प्लान बाद कान्फ़िडेंस आवा। उसके साथ आइडिया आवा॥
दोनों से फ़िर गुरुजी बतियाये । कैसे लौंडे को पास करावैं॥
चर्चा करत करत दिन बीता। लंच डिनर का लगा पलीता॥
सब शार्टकट गुरुवर सोचा । सबमें मिला कछु न कछु लोचा॥
सोचा मोबाइल एक दिलवावैं। इम्तहान में नकल करवावैं॥
कीन्हा डेमो औ मिली निराशा। न मिला कनेक्शन न कोई आशा।
चिट जौ उनका कौनौ दिलवैहैं। लिखि-लिखि कविता पुनि-पुनि गैंहैं।
गुरुजी चर्चा दिन करके हारे। थक हारि के चिंतन कक्ष पधारे॥
-कट्टा कानपुरी
दूध मंगाया पाव भर, पिया बिद चम्मच भर कम्प्लान॥
कम्प्लान बाद कान्फ़िडेंस आवा। उसके साथ आइडिया आवा॥
दोनों से फ़िर गुरुजी बतियाये । कैसे लौंडे को पास करावैं॥
चर्चा करत करत दिन बीता। लंच डिनर का लगा पलीता॥
सब शार्टकट गुरुवर सोचा । सबमें मिला कछु न कछु लोचा॥
सोचा मोबाइल एक दिलवावैं। इम्तहान में नकल करवावैं॥
कीन्हा डेमो औ मिली निराशा। न मिला कनेक्शन न कोई आशा।
चिट जौ उनका कौनौ दिलवैहैं। लिखि-लिखि कविता पुनि-पुनि गैंहैं।
गुरुजी चर्चा दिन करके हारे। थक हारि के चिंतन कक्ष पधारे॥
-कट्टा कानपुरी
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