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डूबे जी की कार्टून लीला शुरु
By फ़ुरसतिया on October 29, 2012
और कल डूबे जी की कार्टूनलीला का विमोचन हो गया। कार्टूनिस्ट इरफ़ान (जनसत्ता),
पत्रकार राजीव मित्तल (लखनऊ) ,चित्रकार सुरेश श्रीवास्तव और अन्य की
उपस्थिति में रानीदुर्गावती संग्रहालय कला वीथिका में कार्टूनलीला परिवार
एवम सव्यसाची कला ग्रुप जबलपुर के संयुक्त तत्वावधान कार्टूनलीला के पहले
अंक का विमोचन हुआ। पत्रिका का यह पहला अंक व्यंग्य शिल्पी हरिशंकर परसाई
को समर्पित है। राजेश दुबे के अनुरोध पर इरफ़ान पर दिल्ली से जबलपुर आये।
वरिष्ठ पत्रकार राजीव मित्तल ने ’डूबेजी’ का पहला कार्टून नई दुनिया में छापा था। उन्होंने अपने अनुभव सुनाये।
इरफ़ान ने कार्टून की दुनिया में आ रहे बदलाव की बात की। पहले लोग कार्टून को सहज भाव से लेते थे। नेता बुरा नहीं मानते थे। बल्कि कार्टून बनाने का आग्रह करते थे। आज माहौल बदल गया है। कार्टूनिस्ट का खतरा बढ़ गया है। कार्टून अखबारों से गायब होते जा रहे हैं। ऐसे माहौल में कार्टूनलीला जैसी पत्रिका की जरूरत बढ़ जाती है। इरफ़ान का कहना है किसी की फ़ोटो पर कुछ कैप्शन सटा देना कार्टून नहीं होता। कार्टून बनाने के लिये कुछ और सूझ, कला, नयेपन, चुटीलेपन की जरूरत के साथ अपने समय और समाज की समझ भी जरूरी होती है।
आज के दैनिक भास्कर में इरफ़ान को कहते हुये बताया गया है- एक अच्छा कार्टूनिस्ट बनने के लिये सबसे पहले आदमी को खुद पर हंसना सीखना चाहिये। वरना चंद लकीरें मिलकर एक कार्टून तो बन जायेगा लेकिन उसमें जान नहीं रहेगी। जान आयेगी, पढ़ने, जानने और समझने से। एक बेहतर कार्टूनिस्ट वह है जिसे खुद पर हंसने की कला आती है। यह भी जानकारी हुयी कि इरफ़ान 2005 में ’बेस्ट कार्टूनिस्ट ऑफ़ एशिया’ घोषित हुये थे।
इरफ़ान इंडिया अगेन्स्ट करप्शन और केजरीवाल के समर्थन में होने के बावजूद कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी के बनाये कार्टून बनाने के तरीके को सही नहीं मानते। उनका मानना है कार्टून बनाने के नाम पर देश के प्रतीकों की खिल्ली उड़ाते हुये कार्टून बनाना भीड़ में कपड़े उतारकर खड़े हो जाने जैसा है। बिग बॉस में असीम त्रिवेदी के अच्छे बच्चे सरीखे व्यवहार पर सलमान खान ने असीम से चुटकी ली थी कि यहां उनकी अभिव्यक्ति मंद क्यों है? वे किसी के झगड़े के बीच में बोलते नहीं हैं। अच्छा बच्चा बने रहना चाहते हैं। उधर असीम के बिग बास से जबरियन निकाले जाने की खबरे भीं चल रही हैं।
एक वक्ता ने राजेश दुबे के बारे में बोलते हुये कहा- वे दूसरे को धकिया कर आगे होने की प्रवृत्ति और ईर्ष्या भाव से मुक्त हैं।
राजेश दुबे ने अपनी बात बहुत विनम्रता से रखी। बताया कि कार्टून पत्रिका निकालने का उनका सपना उनके इष्ट-मित्रों के सहयोग से पूरा हुआ। अब इस सपने को और आगे ले जाने की आशा भी उन्होंने जताई। एक शरीफ़ पति की तरह अपनी जीवन संगिनी श्रीमती सीमा दुबे के सहयोग/संबल का भी उल्लेख किया।
गिरीश बिल्लौरे (सव्यसाची कला ग्रुप )भी इस कार्यक्रम के सह आयोजक थे। उन्होंने भी राजेश जी की खूब तारीफ़ की। ’कार्टून लीला’ की पहली प्रति 501 रुपये में खरीदी। चित्र प्रदर्शनी ढिढौरी में करने की घोषणा जिसमें हाईस्कूल में पढ़ने वाली एक बच्ची के चित्र शामिल किये जायेंगे। सर्जन पिता की इस बेटी की एक चित्र प्रदर्शनी इसी हाल में 23 नवंबर में होने वाली है।
और लोगों ने भी अपनी-अपनी बातें कहीं। कम समय में। बेहद आत्मीय, अनौपचारिक माहौल , घरेलू टाइप माहौल में कार्टून लीला शुरु हुई। पत्रिका की कीमत तीस रुपये है। 120 रुपये देकर 8989535140 पर संपर्क करके आप भी पत्रिका परिवार के सदस्य बन सकते हैं। पत्रिका की अपनी साइट भी है।
पत्रिका में विभिन्न कार्टूनिस्टों के बनाये कार्टून शामिल किये गये हैं। आपके आइडिये पर कार्टून बनाने की भी जानकारी है। अगर आपको कोई आइडिया आता है जिस पर कार्टून बनाया जा सकता है तो आप उसे cartoonleela@gmail.com पर भेज दीजिये। आपके आइडिये पर आइडिया आपका कार्टून हमारा की योजना के तहत कार्टून बनाया जायेगा जिसमें कार्टूनिस्ट के साथ आपका भी नाम होगा। इस योजना के खतरे हैं कि आगे जब कभी जेल जाने हिसाब बनेगा तो यह तय करना भी एक काम होगा कि असल लफ़ड़ेबाज कौन है- कार्टूनिस्ट या आइडियाबाज।
हाल में राजेश दुबे और जबलपुर के एक अन्य कार्टूनिस्ट मोहन खत्री के कार्टून और स्केच लगाये गये थे। मोहन खत्री जी ने अपने कार्टून बनाने के तरीके पर विस्तार से जानकारी दी। कार्टून वे कम्प्यूटर पर माउस और कोरल ड्रा की सहायता से बना लेते हैं। रंग माइक्रोसाफ़्ट के पेंट-ब्रश करते हैं। कार्टूनों में आम आदमी के रूप में अपनी फ़ोटो लगाते हैं। वे दिखते भी आम आदमी की तरह से हैं। उनकी फोटो खींचते हुये हमने उनकी नाक पर रखा चश्मा जरा ऊपर उठाकर रखने की कोशिश की तो वे बोले कि नाक पर चश्मा रखना उनका अपना इश्टाइल है। इससे वे ज्यादा आम दिखते हैं। हमने फ़िर उनकी वैसी ही फोटो खैंची। उनके रंग संयोजन मोहक हैं।
जबलपुर में ही गुप्तेश्वर में रहते हैं। कुछ दिन तक नई दुनिया में कार्टून बनाते रहे। फ़िलहाल स्वतंत्र कार्टूनिस्ट हैं।
राजेश दुबे के परसाई जी पर बनाये गये स्केच बहुत अच्छे हैं। वहीं एक स्केच देखते हुये एक बुजुर्गवार को बातचीत के दौरान मैंने जानकारी दी कि ये स्केच परसाईजी के लेखों में आये वाक्यों को लेकर बनाये गये हैं। इस वे बोले – क्या कार्टूनिस्ट बेवकूफ़ है? उनको शायद लग रहा होगा कि हम उनकी तारीफ़ में अडंगा लगा रहे हैं। हमने जब उनको और जानकारी दी और वहां एकाध लोगों ने मेरी बात का समर्थन किया तब वे मुझसे सहमत हुये।
कार्यक्रम का संचालन राजेश पाठक जी ने किया। प्रांजल भाषा और मोहक आवाज वाले राजेश की उपस्थिति जबलपुर के हर कार्यक्रम में इनवर्टेड कॉमा सरीखी रहती है। संचालन (शुरुआत से आखिर तक) तक का जिम्मा उनका ही रहता है।
कार्टूनिस्ट राजेश दुबे की खूबसूरत प्रेरणा और संबल श्रीमती सीमा दुबे जी के दर्शन भी वहां हुये। पिछली मुलाकात में उनके बनाये नाश्ते की तारीफ़ से खुश होकर उन्होंने आगे खाना पर आने का निमंत्रण दिया है।
इरफ़ान ने कार्टून की दुनिया में आ रहे बदलाव की बात की। पहले लोग कार्टून को सहज भाव से लेते थे। नेता बुरा नहीं मानते थे। बल्कि कार्टून बनाने का आग्रह करते थे। आज माहौल बदल गया है। कार्टूनिस्ट का खतरा बढ़ गया है। कार्टून अखबारों से गायब होते जा रहे हैं। ऐसे माहौल में कार्टूनलीला जैसी पत्रिका की जरूरत बढ़ जाती है। इरफ़ान का कहना है किसी की फ़ोटो पर कुछ कैप्शन सटा देना कार्टून नहीं होता। कार्टून बनाने के लिये कुछ और सूझ, कला, नयेपन, चुटीलेपन की जरूरत के साथ अपने समय और समाज की समझ भी जरूरी होती है।
आज के दैनिक भास्कर में इरफ़ान को कहते हुये बताया गया है- एक अच्छा कार्टूनिस्ट बनने के लिये सबसे पहले आदमी को खुद पर हंसना सीखना चाहिये। वरना चंद लकीरें मिलकर एक कार्टून तो बन जायेगा लेकिन उसमें जान नहीं रहेगी। जान आयेगी, पढ़ने, जानने और समझने से। एक बेहतर कार्टूनिस्ट वह है जिसे खुद पर हंसने की कला आती है। यह भी जानकारी हुयी कि इरफ़ान 2005 में ’बेस्ट कार्टूनिस्ट ऑफ़ एशिया’ घोषित हुये थे।
इरफ़ान इंडिया अगेन्स्ट करप्शन और केजरीवाल के समर्थन में होने के बावजूद कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी के बनाये कार्टून बनाने के तरीके को सही नहीं मानते। उनका मानना है कार्टून बनाने के नाम पर देश के प्रतीकों की खिल्ली उड़ाते हुये कार्टून बनाना भीड़ में कपड़े उतारकर खड़े हो जाने जैसा है। बिग बॉस में असीम त्रिवेदी के अच्छे बच्चे सरीखे व्यवहार पर सलमान खान ने असीम से चुटकी ली थी कि यहां उनकी अभिव्यक्ति मंद क्यों है? वे किसी के झगड़े के बीच में बोलते नहीं हैं। अच्छा बच्चा बने रहना चाहते हैं। उधर असीम के बिग बास से जबरियन निकाले जाने की खबरे भीं चल रही हैं।
एक वक्ता ने राजेश दुबे के बारे में बोलते हुये कहा- वे दूसरे को धकिया कर आगे होने की प्रवृत्ति और ईर्ष्या भाव से मुक्त हैं।
राजेश दुबे ने अपनी बात बहुत विनम्रता से रखी। बताया कि कार्टून पत्रिका निकालने का उनका सपना उनके इष्ट-मित्रों के सहयोग से पूरा हुआ। अब इस सपने को और आगे ले जाने की आशा भी उन्होंने जताई। एक शरीफ़ पति की तरह अपनी जीवन संगिनी श्रीमती सीमा दुबे के सहयोग/संबल का भी उल्लेख किया।
गिरीश बिल्लौरे (सव्यसाची कला ग्रुप )भी इस कार्यक्रम के सह आयोजक थे। उन्होंने भी राजेश जी की खूब तारीफ़ की। ’कार्टून लीला’ की पहली प्रति 501 रुपये में खरीदी। चित्र प्रदर्शनी ढिढौरी में करने की घोषणा जिसमें हाईस्कूल में पढ़ने वाली एक बच्ची के चित्र शामिल किये जायेंगे। सर्जन पिता की इस बेटी की एक चित्र प्रदर्शनी इसी हाल में 23 नवंबर में होने वाली है।
और लोगों ने भी अपनी-अपनी बातें कहीं। कम समय में। बेहद आत्मीय, अनौपचारिक माहौल , घरेलू टाइप माहौल में कार्टून लीला शुरु हुई। पत्रिका की कीमत तीस रुपये है। 120 रुपये देकर 8989535140 पर संपर्क करके आप भी पत्रिका परिवार के सदस्य बन सकते हैं। पत्रिका की अपनी साइट भी है।
पत्रिका में विभिन्न कार्टूनिस्टों के बनाये कार्टून शामिल किये गये हैं। आपके आइडिये पर कार्टून बनाने की भी जानकारी है। अगर आपको कोई आइडिया आता है जिस पर कार्टून बनाया जा सकता है तो आप उसे cartoonleela@gmail.com पर भेज दीजिये। आपके आइडिये पर आइडिया आपका कार्टून हमारा की योजना के तहत कार्टून बनाया जायेगा जिसमें कार्टूनिस्ट के साथ आपका भी नाम होगा। इस योजना के खतरे हैं कि आगे जब कभी जेल जाने हिसाब बनेगा तो यह तय करना भी एक काम होगा कि असल लफ़ड़ेबाज कौन है- कार्टूनिस्ट या आइडियाबाज।
हाल में राजेश दुबे और जबलपुर के एक अन्य कार्टूनिस्ट मोहन खत्री के कार्टून और स्केच लगाये गये थे। मोहन खत्री जी ने अपने कार्टून बनाने के तरीके पर विस्तार से जानकारी दी। कार्टून वे कम्प्यूटर पर माउस और कोरल ड्रा की सहायता से बना लेते हैं। रंग माइक्रोसाफ़्ट के पेंट-ब्रश करते हैं। कार्टूनों में आम आदमी के रूप में अपनी फ़ोटो लगाते हैं। वे दिखते भी आम आदमी की तरह से हैं। उनकी फोटो खींचते हुये हमने उनकी नाक पर रखा चश्मा जरा ऊपर उठाकर रखने की कोशिश की तो वे बोले कि नाक पर चश्मा रखना उनका अपना इश्टाइल है। इससे वे ज्यादा आम दिखते हैं। हमने फ़िर उनकी वैसी ही फोटो खैंची। उनके रंग संयोजन मोहक हैं।
जबलपुर में ही गुप्तेश्वर में रहते हैं। कुछ दिन तक नई दुनिया में कार्टून बनाते रहे। फ़िलहाल स्वतंत्र कार्टूनिस्ट हैं।
राजेश दुबे के परसाई जी पर बनाये गये स्केच बहुत अच्छे हैं। वहीं एक स्केच देखते हुये एक बुजुर्गवार को बातचीत के दौरान मैंने जानकारी दी कि ये स्केच परसाईजी के लेखों में आये वाक्यों को लेकर बनाये गये हैं। इस वे बोले – क्या कार्टूनिस्ट बेवकूफ़ है? उनको शायद लग रहा होगा कि हम उनकी तारीफ़ में अडंगा लगा रहे हैं। हमने जब उनको और जानकारी दी और वहां एकाध लोगों ने मेरी बात का समर्थन किया तब वे मुझसे सहमत हुये।
कार्यक्रम का संचालन राजेश पाठक जी ने किया। प्रांजल भाषा और मोहक आवाज वाले राजेश की उपस्थिति जबलपुर के हर कार्यक्रम में इनवर्टेड कॉमा सरीखी रहती है। संचालन (शुरुआत से आखिर तक) तक का जिम्मा उनका ही रहता है।
कार्टूनिस्ट राजेश दुबे की खूबसूरत प्रेरणा और संबल श्रीमती सीमा दुबे जी के दर्शन भी वहां हुये। पिछली मुलाकात में उनके बनाये नाश्ते की तारीफ़ से खुश होकर उन्होंने आगे खाना पर आने का निमंत्रण दिया है।
Posted in बस यूं ही, संस्मरण | 15 Responses
संजय बेंगाणी की हालिया प्रविष्टी..नदी नालों के उपासक हम
Kajal Kumar की हालिया प्रविष्टी..कार्टून:- मंत्रिमंडल से निकाले जाने पर दुखी हूँ
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..हैप्पी बड्डे टू मी !!!!
आदरणीय दुबे जी का यह प्रयास सफलता की नयी ऊंचाइयों को छूए,यही शुभकामना है।
सादर
यशवन्त माथुर की हालिया प्रविष्टी..दर्द
यह एक अच्छा इंसान बनने के लिए भी उतना ही जरुरी है
दुबे जी को अनेकों शुभकामनाएं .
Indian Citizen की हालिया प्रविष्टी..और अब फैजाबाद में हिंसा
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..डिजिटल जीवनशैली
अब एक मज़ाक की बात— मोहन खत्री जी तो आम आदमी लग रहे हैं, पर आप एकदम ‘सरकारी शरीफ आदमी’ लग रहे हैं. डूबे जी से कहिये एकाध आपके भी बना दें. आपका कार्टून बहुत अच्छा बनेगा और कोट किया जाएगा ‘सरकारी शरीफ आदमी’ हे हे हे !
aradhana की हालिया प्रविष्टी..Embedding Images from Instagram
विष्णु बैरागी की हालिया प्रविष्टी..इंकार, इंकार में अन्तर
गिरीश बिल्लोरे की हालिया प्रविष्टी..हिंदुस्तानी मुसलमानों में दहेज का चलन : फ़िरदौस खान