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देखिये जरा हाथ से लिखे हैं आज
By फ़ुरसतिया on November 25, 2012
बहुत दिन बाद आज एक पन्ना हाथ से लिखे। देखिये जरा कईसा लगता है। अगर छोटा लगे तो Ctrl+ दबा के बड़ा करके बांचिये तो जरा।
ब्लॉगिंग की ये खुराफ़ात सभ्य भाषा में इंकब्लॉगिंग कहलाती है। इसमें हम अखबार भी निकाल चुके हैं। देखिये जरा आप भी। अखबार की प्रस्तावना तो देख ही लीजिये न हो तो
ये नीचे वाला फोटू सुबह-सुबह दफ़्तर आते हुये खैंचा गया। धूप देखिये कैसी आरामफ़र्मा है पेड़ों के बिस्तरे पर। जलवे हैं भाई धूपरानी के। उनको कोई दफ़्तर तो जाना नहीं है। पेड़ों से उतरकर अभी जमीन पर पसर जायेंगी।
इस फोटो की धूप-छांह देखकर महेश सक्सेना जी की कविता याद आ गयी:
पुन: तपेगी वात
झरेंगे पीले-पीले पात
सहेंगे मौसम के आघात
बता दो पात-पात पर लिखे गये
अनुबन्धों का क्या होगा!
धूप-छांव में बुने गये
अनुबन्धों का क्या होगा!
ब्लॉगिंग की ये खुराफ़ात सभ्य भाषा में इंकब्लॉगिंग कहलाती है। इसमें हम अखबार भी निकाल चुके हैं। देखिये जरा आप भी। अखबार की प्रस्तावना तो देख ही लीजिये न हो तो
फ़ुरसतिया खाली भये छाप दिहिन अखबार,आप को इतवार मुबारक हो।
खुद तो बैठे मौज से दुखिया सब संसार।
दुखिया सब संसार कि हंसने से डरते लोग
हंसने केवल मात्र से, भाग जायें सब रोग।
हंसत-हंसत रहिये सदा, दुख को न डालो घास
घोड़े, खच्चर खा जायेंगे, फ़िर होगे और उदास।
छोड़ उदासी संगत को, मस्त रहो मेरे भइया,
पढो इसे ,पढ़कर बतलाओ, कैसाहै’फुरसतिया’।
ये नीचे वाला फोटू सुबह-सुबह दफ़्तर आते हुये खैंचा गया। धूप देखिये कैसी आरामफ़र्मा है पेड़ों के बिस्तरे पर। जलवे हैं भाई धूपरानी के। उनको कोई दफ़्तर तो जाना नहीं है। पेड़ों से उतरकर अभी जमीन पर पसर जायेंगी।
इस फोटो की धूप-छांह देखकर महेश सक्सेना जी की कविता याद आ गयी:
पुन: तपेगी वात
झरेंगे पीले-पीले पात
सहेंगे मौसम के आघात
बता दो पात-पात पर लिखे गये
अनुबन्धों का क्या होगा!
धूप-छांव में बुने गये
अनुबन्धों का क्या होगा!
Posted in इंक-ब्लागिंग, बस यूं ही | 44 Responses
amit srivastava की हालिया प्रविष्टी.." ब्लॉग पर पोस्ट पब्लिश करने का मुहूर्त ………"
वैसे आप तो कार्टून, कविता, तस्वीर वगैरह चिपका के छोटा-मोटा अख़बार ही तैयार कर दिए
बढ़िया है… इतवार को दफ्तर के मजे लीजिये
Padm Singh पद्म सिंह की हालिया प्रविष्टी..ज्योति पर्व की हार्दिक मंगल कामनाएँ
ajit gupta की हालिया प्रविष्टी..केरियर, बॉस और विदेश के कारण विस्मृत पिता और परिवार
Padm Singh पद्म सिंह की हालिया प्रविष्टी..ज्योति पर्व की हार्दिक मंगल कामनाएँ
विवेक रस्तोगी की हालिया प्रविष्टी..खोह, वीराने और सन्नाटे
अच्छा लगा
Kajal Kumar की हालिया प्रविष्टी..कार्टून :- ज़िंदा क़ौमें ताका करती हैं यहॉं
Kajal Kumar की हालिया प्रविष्टी..कार्टून :- ज़िंदा क़ौमें ताका करती हैं यहॉं
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..शिक्षा – रिक्त आकाश
हम सरकारी लोग फाइल पर यदा कदा हिंदी दिवस आदि पर इंक से हिंदी लिख लेते हैं
जबाब नहीं बहुत ही खूबसूरत लग रही है पोस्ट.
आप का एक लेख मैं ने मार्च २०१२ में एक हिंदी समाचार पत्र में भी देखा था.शायद उसका तो आप को ज्ञान भी नहीं होगा …लेख कौन सा था अब मुझे याद नहीं.
इंक ब्लॉग्गिंग का आईडिया बहुत अच्छा लगा..आप को आपत्ति न हो तो यह मैं आईडिया कभी मैं भी प्रयोग में लाऊं .
२००७ में छपा आप का निशुल्क दो पृष्ठों का समाचार पत्र भी बांच लिया.
मेरे विचार में आप के ब्लॉग जितनी अधिक विविधता और नए प्रयोग लिए पोस्ट्स अन्यत्र दिखाई नहीं देतीं.
बधाई!
******हस्तलेख विशेषग्य अब तक आप की लिखाई व् दस्तखत का विश्लेषण कर चुके होंगे!
Alpana की हालिया प्रविष्टी..छोटी-छोटी बातें
लेख तो अखबार वाले जब पसन्द आता है या जरूरत होती है उठा लेते हैं। कभी पूछकर कभी बिना पूछे। सब ब्लॉगरो के साथ भी ऐसा होता होगा।
इंकब्लॉगिंग का आइडिया प्रयोग करिये। मजेदार रहेगा।
तारीफ़ के लिये धन्यवाद!
वैसे इंक ब्लोगिंग के थोडा प्रचलित होते ही ,अनुमान है उस के बाद कहीं हस्तलेख की समीक्षाओं की बाढ़ आ जाएगी जैसे आज कल पुस्तक समीक्षाओं की आती है!
Alpana की हालिया प्रविष्टी..बरसे मेघ…अहा!
अनोखा अन्दाज़ आपका.. ग्रेट!!
सलिल वर्मा की हालिया प्रविष्टी..चोखेर बाली
.
.
मस्त इंकब्लॉगिंग रही यह तो, वह भी दफ्तर जाने से पहले की…
…
aradhana की हालिया प्रविष्टी..Free Custom Design with a Premium Theme Purchase on Black Friday
कट्टा कानपुरी वाली अनुबंध टूटी जा रही है……………….
प्रणाम.
फुरसतिया टाइम्स फिर से निकला जाए
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..राम भरोसे की चाय भरोसे !!!!
सच्ची बताओ , पहले रफ में लिख कर बाद में फेयर तो नहीं किया है| काहे से कि एक बार हमहूँ टिराई मारे तो ५ लाइन में ४ बार काटे|
Abhishek की हालिया प्रविष्टी..वो लोग ही कुछ और होते हैं – III
बहुत दिनों बाद हाथ से लिखा देखा ,इतना साफ़-सुथरा – स्थानीय रंग भी जम रहा है..