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या ह्रदय तल पर उतरती रागिनी हो ।
है अधर या दीपमालाये सजी है
या नदी तट पर खड़ी सम्भावनाये ,
ये नयन संदेश उर का वांचते क्या
वेणियाँ है या कि उर की अर्गलाये ।।
खोल दो सच छाँव युग युग की मिलेगी
तुम सघन संघर्ष युग में चंदनी हो ।
स्वपन हो या सत्य हो ,तुम चांदनी हो ,
या ह्रदय तल पर उतरती रागिनी हो ।
हाथ मे अंगुली छुई ,स्पर्श हे यह ,
या की सम्मोहन दर्गो मे कांपता हे
यह मेरा मन यंत्र मापन का बना हे
कंबु ग्रीवा तक तुम्हे जो मापता हे ।।
प्रीति के इतिहास की अन्धी गली मे
तुम प्रिये शाश्वत सरलतम रोशनी हो ।
स्वपन हो या सत्य हो ,तुम चांदनी हो ,
या ह्रदय तल पर उतरती रागिनी हो ।
फिर वही विश्वास अधरों आंसुओ मे
जागकर चितवन तुम्हारी मांगता है
दूरियाँ पल की लगे ज्यो सीपिया हे
रिक्तता मे अश्रु मोती लापता हें ।।
तुम रेत पर बिखरी गुलाबी आस्था हो
या की फिर अभिसार की आशा बनी हो
स्वपन हो या सत्य हो ,तुम चांदनी हो ,
या ह्रदय तल पर उतरती रागिनी हो ।
-सरोज मिश्र शाहजहांपुर
एयरहोस्टेस, खूबसूरत दांत, मोटरसाइकिल, बजट और चांदनी
By फ़ुरसतिया on February 28, 2013
- हवाई यात्रा में जेट एयरवेज और इंडिगो में एयरहोस्टेसों को देखकर लगा कि इन एयरलाइनों ने हाईस्कूल करते ही इनको अपने यहां नौकरी में लगा लिया। लगा कि नाबालिग बच्चियों को हवा में उड़ा दिया गया है।
- एयर इंडिया में पुरुष एयरहोस्टेस देखकर लगा अब दुनिया स्त्री-पुरुष बराबरी की तरफ़ बढ़ रही हैं।
- चालीस पार की एक महिला सहयात्री काफ़ी देर से व्यक्तित्व विकास की किताब अंग्रेजी में पढ़ रही थीं। पता चला कि वो 1988 में जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज से इंजीनियरिंग किये हैं। हमने कहा कि व्यक्तित्व जो बनना था बन चुका अब और क्या पर्सनालिटी डेवेलपमेंट होगा इस उमर में? वे हंसने लगी- बोली ऐसे ही पढ़ लेते हैं टाइम पास के लिये।
- सहयात्री सिंगापुर की सफ़ाई और अन्य सुविधाओं की तारीफ़ करती रहीं। हमने पूछा -अच्छा बताइये कि वहां क्या मानसिक रूप से इतना निश्चिंत रह पाती होंगी जितना अपने मायके (जबलपुर में ) रह लेती हैं। बोली -नहीं। वहां डर लगा रहता है कि जिस चीनी डाक्टर को दांत दिखा रहे हैं कहीं वो खराब न कर दे। यहां जबलपुर में सब जानते हैं। ध्यान से देखते हैं। सोचा उनके दांतों की खूबसूरती की तारीफ़ कर दें लेकिन तब तक जहाज में बैठने के लिये लाइन लगाने की घोषणा हो गयी। समय पर तारीफ़ न कर पाने की कसक अब तक हो रही है।
- कोलकता एयरपोर्ट पर एक आदमी टिकट बनाने वाली बच्ची (बच्चियां सी ही लगती हैं वहां तैनात कर्मचारी) पर झुंझलाते हुये जल्दी टिकट बनाने के लिये कह रहा था। उसकी फ़्लाइट छूटने वाली थी। लगा कि हवाई जहाज का टिकट लेने के साथ ही लोग झंझलाने का इंजेक्शन ठोंक लेते हैं अपने। जरा पहले निकलना था अगले को। अभी तक वो झुंझलाता आदमी दिख रहा है मुझे। उसके चक्कर में मोहतरमा के खूबसूरत दांत कम दिख रहे हैं।
- कलकत्ता में दो दिन के बंद के बावजूद शहर चल रहा था। लेकिन दुकाने बंद थीं। सड़क पर भीड़ जरा कम थी लेकिन शटर गिरे होने के चलते चहल-पहल कम दिखी।
- दो दिन पहले कानपुर में गलत तरफ़ से आ रही एक मोटरसाइकिल से डिवाइडर से उतरता एक आदमी टकरा गया। मोटर साइकिल में पीछे बैठी युवती कपड़े की गुडिया की तरह उछलकर नीचे जा गिरी। मोटरसाइकिल वाला हेलमेट लगाये-लगाये आदमी को हड़काने लगा -देखकर नहीं चलते। आदमी ने भी हड़काया – रांग साइड क्यों चलते हो। इत्ते में युवती उठकर वापस चुपचाप मोटर साइकिल पर बैठ गयी। लेकिन वे लड़ने में लगे रहे। हेलमेट तब भी नहीं उतारा अगले ने। मुझे लगा कानपुर में सड़क पर गलत साइड चलने वाले तक अपनी सुरक्षा के प्रति कितने जागरूक हैं- बहस करते समय तक हेलमेट पहने रहता है।
- आज बजट पेश होगा। सबकी तमन्ना है कि कर में कुछ छूट मिल जाये, सुविधाओं में बढोत्तरी हो जाये। हमें सिर्फ़ यही लग रहा है कि किसी मद में भ्रष्टाचार के लिये भी कुछ राशि का प्रावधान होता होगा क्या?
- ये ऊपर तस्वीर में दिख रहे बुजुर्ग कल हमारे मेस के पास की पुलिया पर बैठे दिखे। हमारे फोटो खींचने पर बुजुर्गवार ने बुढिया का मुंह कैमरे की तरफ़ कर दिया। बताया कि बागवानी का काम करते हैं। आज काम नहीं मिला सो बैठे हैं। इनको क्या पता कि आज बजट पेश होने वाला है जिसमें शायद उनके लिये भी कुछ प्रावधान हो। हो सकता बजट पेश हो जाये और उनको पता ही न चले।
मेरी पसन्द
स्वपन हो या सत्य हो ,तुम चांदनी हो ,या ह्रदय तल पर उतरती रागिनी हो ।
है अधर या दीपमालाये सजी है
या नदी तट पर खड़ी सम्भावनाये ,
ये नयन संदेश उर का वांचते क्या
वेणियाँ है या कि उर की अर्गलाये ।।
खोल दो सच छाँव युग युग की मिलेगी
तुम सघन संघर्ष युग में चंदनी हो ।
स्वपन हो या सत्य हो ,तुम चांदनी हो ,
या ह्रदय तल पर उतरती रागिनी हो ।
हाथ मे अंगुली छुई ,स्पर्श हे यह ,
या की सम्मोहन दर्गो मे कांपता हे
यह मेरा मन यंत्र मापन का बना हे
कंबु ग्रीवा तक तुम्हे जो मापता हे ।।
प्रीति के इतिहास की अन्धी गली मे
तुम प्रिये शाश्वत सरलतम रोशनी हो ।
स्वपन हो या सत्य हो ,तुम चांदनी हो ,
या ह्रदय तल पर उतरती रागिनी हो ।
फिर वही विश्वास अधरों आंसुओ मे
जागकर चितवन तुम्हारी मांगता है
दूरियाँ पल की लगे ज्यो सीपिया हे
रिक्तता मे अश्रु मोती लापता हें ।।
तुम रेत पर बिखरी गुलाबी आस्था हो
या की फिर अभिसार की आशा बनी हो
स्वपन हो या सत्य हो ,तुम चांदनी हो ,
या ह्रदय तल पर उतरती रागिनी हो ।
-सरोज मिश्र शाहजहांपुर
Posted in बस यूं ही | 12 Responses
पचास पार हो गए हैं कम से कम अब तो गगन (परिचारिका ) और सहयात्री विहार से तोबा कीजिये बाल बच्चों का कुछ तो लिहाज करिए
arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..एक अजूबा यह भी-दास्तान एक विषखोर पक्षी की …..
वैसे बजट में उनके लिए प्रावधान हों या न हों, दोनों बूढ़ा-बूढ़ी साथ लग बहुत खुश रहे हैं. इनकी खुशी किसी वित्त मंत्री के बजट की मुहताज नहीं. आमीन
aradhana की हालिया प्रविष्टी..Two Cities, Two Launches: A Pair of Sites Built on WordPress.com Enterprise
बजट में आम लोग ही करते हैं सफ़र (अंग्रेजी वाला :)).
बढ़िया गगन से लेकर सड़क तक की रिपोर्ट रही.
रवि की हालिया प्रविष्टी..फ्लिपकार्ट से 1000 शानदार म्यूजिक एलबम डाउनलोड करें एकदम मुफ़्त!
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..टा डा डा डिग्डिगा
Abhishek की हालिया प्रविष्टी..नए जमाने के विद्वान (पटना १६)