http://web.archive.org/web/20140420082721/http://hindini.com/fursatiya/archives/4190
मैं अपना बयान वापस लेता हूं
By फ़ुरसतिया on April 19, 2013
मीडिया ने मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया।
रोज किसी न किसी का कोई न कोई ऊटपटांग बयान आता है। पीछे यह बयान भी कि उनका बयान तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।
गोया जैसे ही बयान मुंह से निकला। मीडिया ने लपक के उसे पकड़ा होगा। पहले उसे तोड़ा होगा फ़िर गीले कपड़े की तरह मरोड़ा होगा। इसके बाद दुनिया को दिखा दिया।
पार्टियां परेशान हैं। चिंतनरत हैं। कैसे बयानबाजी ठीक से हो।
हमें सोचसमझ कर बयान देने चाहिये- एक ने गंभीर सुझाव दिया।
सुझाव सुनते ही सब हंसने लगे। बयानबाजी राजनीति का प्राणतत्व है। लाइफ़लाइन है। सोचने लगे तब तो दे चुके बयान। सोचने-समझने और बयानबाजी को राजनीति और ईमानदारी की तरह अलग-अलग ही रखना होगा।
एक ने सुझाया कि इस समस्या कोई न कोई वैज्ञानिक हल सोचा जाना चाहिये। कोई किट बनवायी जाये जिससे बयान कैसे भी दिये जायें लेकिन निकलें साफ़-सुथरे। धुले-पुंछे।
बयान किट चिंतन शुरु हो गया। सुझाव आने शुरु हुये। बयान किट कैसी होगी, कैसे काम करेगी। देखिये कुछ सुझाव:
किट ऐसी होनी जिससे बयान का सारा कूड़ा फ़िल्टर होकर दिमाग में ही रह जाये। एक दम पानी छानने वाली मशीन की तरह होगी बयान किट।
आम नेताओं के पास स्टोरेज वाली बयान किट होगी। वह सुबह-सुबह अपने सारे बयान किट से पास करके साफ़ कर लेगा। फ़िर केवल साफ़ बयान ही जारी करेगा। अगर बयान खतम हो गये तो फ़िर किट से और बयान साफ़ करेगा। तब जारी करेगा।
जिन कार्यकर्ताओं और नेताओं को बयान किट जारी नहीं किये जा सकेंगे उनके लिये पास के शहर में बयान फ़िल्टर मशीन लगायी जायेगी। वे अपनी सुविधानुसार आयेंगे। अपने सारे बयान फ़िल्टर करके ले जायेंगे तब जारी करेंगे। अगर किसी के पास फ़िल्टर्ड बयान खतम हो गये हैं तो हेडआफ़िस से आनलाइन फ़िल्टर हासिल कर सकता है। इसके लिये उसको अपने दिमाग और मुंह का आनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
प्रवक्ताओं और बड़े नेताओं के लिये स्टोरेज वाली किट से अलग बयान किट जारी की जायेगी। वे अपने मुंह में किट को ऐसे बांधे रहेंगे जैसे स्वाइन फ़्लू के डर से लोग मुंह में पट्टी बांधे रहते हैं। वे जो मन आये बयान देते जायेंगे। बयान किट से गुजरते हुये निकलेंगे। वे बयान कैसा भी दें, वे बाहर साफ़ होकर ही निकलेंगे।
कोई ऐसे भी बयान होंगे जिनको किट साफ़ नहीं कर पायेगी? उनका क्या होगा, वे बयान कैसे जारी होंगे?- एक ने जिज्ञासा जाहिर की?
अव्वल तो जितनी तरह की बेवकूफ़ियां हम लोग बयान देने में करते हैं उन सबको फ़िल्टर करने का उपाय है इसमें। लेकिन अगर ऐसी कोई बेवकूफ़ी मिलती है बयान में जिसको बयान किट साफ़ नहीं कर पायेगी तो इसमें आटोमैटिक व्यवस्था है कि बयान के साथ में ही खंडन वाला बयान भी निकलेगा। बेवकूफ़ी वाला बयान पहले और “मैं अपने इस बयान का खंडन करता हूं” साथ-साथ निकलेगा। इससे थोड़ी खिल्ली भले उड़ेगी लेकिन नुकसान कम होगा। थोड़ी खिल्ली उड़ना भी फ़ायदेमंद रहता है। राजनीतिक पार्टियों को खिल्ली फ़्रेंडली होना चाहिये।
किट चिंतन अभी जारी है। मैं उस दिन की कल्पनाकर रहा हूं जब लोगों के बयान बयान किट से फ़िल्टर होकर आयेंगे। तब के सीन सोचिये:
-मैं अपना बयान वापस लेता हूं।
रोज किसी न किसी का कोई न कोई ऊटपटांग बयान आता है। पीछे यह बयान भी कि उनका बयान तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।
गोया जैसे ही बयान मुंह से निकला। मीडिया ने लपक के उसे पकड़ा होगा। पहले उसे तोड़ा होगा फ़िर गीले कपड़े की तरह मरोड़ा होगा। इसके बाद दुनिया को दिखा दिया।
पार्टियां परेशान हैं। चिंतनरत हैं। कैसे बयानबाजी ठीक से हो।
हमें सोचसमझ कर बयान देने चाहिये- एक ने गंभीर सुझाव दिया।
सुझाव सुनते ही सब हंसने लगे। बयानबाजी राजनीति का प्राणतत्व है। लाइफ़लाइन है। सोचने लगे तब तो दे चुके बयान। सोचने-समझने और बयानबाजी को राजनीति और ईमानदारी की तरह अलग-अलग ही रखना होगा।
एक ने सुझाया कि इस समस्या कोई न कोई वैज्ञानिक हल सोचा जाना चाहिये। कोई किट बनवायी जाये जिससे बयान कैसे भी दिये जायें लेकिन निकलें साफ़-सुथरे। धुले-पुंछे।
बयान किट चिंतन शुरु हो गया। सुझाव आने शुरु हुये। बयान किट कैसी होगी, कैसे काम करेगी। देखिये कुछ सुझाव:
किट ऐसी होनी जिससे बयान का सारा कूड़ा फ़िल्टर होकर दिमाग में ही रह जाये। एक दम पानी छानने वाली मशीन की तरह होगी बयान किट।
आम नेताओं के पास स्टोरेज वाली बयान किट होगी। वह सुबह-सुबह अपने सारे बयान किट से पास करके साफ़ कर लेगा। फ़िर केवल साफ़ बयान ही जारी करेगा। अगर बयान खतम हो गये तो फ़िर किट से और बयान साफ़ करेगा। तब जारी करेगा।
जिन कार्यकर्ताओं और नेताओं को बयान किट जारी नहीं किये जा सकेंगे उनके लिये पास के शहर में बयान फ़िल्टर मशीन लगायी जायेगी। वे अपनी सुविधानुसार आयेंगे। अपने सारे बयान फ़िल्टर करके ले जायेंगे तब जारी करेंगे। अगर किसी के पास फ़िल्टर्ड बयान खतम हो गये हैं तो हेडआफ़िस से आनलाइन फ़िल्टर हासिल कर सकता है। इसके लिये उसको अपने दिमाग और मुंह का आनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
प्रवक्ताओं और बड़े नेताओं के लिये स्टोरेज वाली किट से अलग बयान किट जारी की जायेगी। वे अपने मुंह में किट को ऐसे बांधे रहेंगे जैसे स्वाइन फ़्लू के डर से लोग मुंह में पट्टी बांधे रहते हैं। वे जो मन आये बयान देते जायेंगे। बयान किट से गुजरते हुये निकलेंगे। वे बयान कैसा भी दें, वे बाहर साफ़ होकर ही निकलेंगे।
कोई ऐसे भी बयान होंगे जिनको किट साफ़ नहीं कर पायेगी? उनका क्या होगा, वे बयान कैसे जारी होंगे?- एक ने जिज्ञासा जाहिर की?
अव्वल तो जितनी तरह की बेवकूफ़ियां हम लोग बयान देने में करते हैं उन सबको फ़िल्टर करने का उपाय है इसमें। लेकिन अगर ऐसी कोई बेवकूफ़ी मिलती है बयान में जिसको बयान किट साफ़ नहीं कर पायेगी तो इसमें आटोमैटिक व्यवस्था है कि बयान के साथ में ही खंडन वाला बयान भी निकलेगा। बेवकूफ़ी वाला बयान पहले और “मैं अपने इस बयान का खंडन करता हूं” साथ-साथ निकलेगा। इससे थोड़ी खिल्ली भले उड़ेगी लेकिन नुकसान कम होगा। थोड़ी खिल्ली उड़ना भी फ़ायदेमंद रहता है। राजनीतिक पार्टियों को खिल्ली फ़्रेंडली होना चाहिये।
किट चिंतन अभी जारी है। मैं उस दिन की कल्पनाकर रहा हूं जब लोगों के बयान बयान किट से फ़िल्टर होकर आयेंगे। तब के सीन सोचिये:
- कोई नेता धड़ल्ले से बयान जारी कर रहा है। अचानक उसकी बयान किट खराब हो गयी। उसकी बयानबाजी रुक जायेगी। अखबार में छपेगा- घटिया बयान किट के चलते अधूरा बयान।
- किसी की बयान किट खराब हो गयी तो वह किसी दूसरे की किट लगाकर देने लगेगा। ऐसे बदल-बदलकर बयान देने से उसको बयान संक्रमण हो सकता है। क्या पता आगे चलकर यह बीमारी ’बयान एड्स’ के रूप में जानी जाये और बयान देने वाले के कैरियर की असमय मौत हो जाये।
- चुनाव के मौसम में जैसे आजकल नेताओं के दल परिवर्तन होते हैं वैसे ही बड़े नेता बयान किट बदलेंगे। समाचार आयेगा- हजार बयान किट के साथ फ़लाने का दल परिवर्तन। जिस दल के पास सबसे ज्यादा बयान किटें होंगे वह सरकार बनाने का दावा पेश करेगा।
- चुनाव के बाद विश्लेषण होगा- अमेरिकी किटों ने जिताया चुनाव। यूरोपियन बयान किट धड़ाम। अफ़्रीकी बयान किटों ने डुबोई लुटिया। चीनी बयान किटों ने राजनीति में कब्जा किया।
- किसी की बयान किट बयान देते-देते अचानक फ़ट जायेगी। उनके साफ़-सुथरे बयान के साथ कूड़ा बयान आने लगेंगे। अखबार में छपेगा- नेताजी की बयान किट फ़टी। बयानों की असलियत दिखी।
- किसी फ़ायरब्रांड नेता को काबू में करने के लिये उसके मुंह में अहिंसक बयान किट फ़िट कर दी जायेगी। शेर बयान की जगह मेमने बयान निकलने लगेंगे।
- चुनाव के समय जैसे आजकल पैसा चलता है वैसे ही आगे किटें भी चलेंगी। खबर आयेगी – उपचुनाव के लिये दिल्ली से हजार बयान किटें रवाना। किटें दिल्ली से चलीं, पटना में अटकीं।
- जैसे चुनाव में हथियार जमा कराये जातें हैं वैसे ही अदालतें चुनाव के समय भड़कीली बयान किटें पास के थाने में जमा करा लेंगी।
- बयान किटों का बीमा होगा, गारंटी होगी, वारंटी होगी। ठीक से काम न करने पर किट सप्लाई कंपनियां हर्जाना देंगी। बयान किटों के अलग से कन्ज्यूमर फ़ोरम होंगे।
- सारी पार्टियां अपना काम-धाम छोड़कर अपनी बयान किटों का रखरखाव करती रहेंगी। ये ठीक तो सब ठीक।
-मैं अपना बयान वापस लेता हूं।
Posted in बस यूं ही | 21 Responses
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..एक दुपहरी
काजल कुमार की हालिया प्रविष्टी..कार्टून:-छोटे ब्लाॅगर इस रेस से दूर रहें
रवि की हालिया प्रविष्टी..प्रकृति, तेरे रंग, रूप हजार…
“बाढ़ ज़मीन पर और नेता आसमान से निरीक्षण करने गए. लानत है!!”
और अगर वो ट्रेन से जाएँ तो हमारा बयान होगा..
“बाढ़ की विभीषिका के आगे नेता जी कोई जल्दी नहीं, हवाई जहाज से न जाकर ट्रेन से गए हैं! लानत है!!”
/
सुकुल जी, जिनके दिमाग में कचरा ही रहा तो तो वो चिल्लाते रहेंगे और सब फ़िल्टर हो जाएगा.. इनको तो एक ऐसी मशीन की आवश्यकता है जो दोगले बयान जारी कर सके.. और बजाये बयान वापस लेने के उसी को दूसरी तरह इंटरप्रेट कर सके..
/
आपके इंजीनियरी दिमाग की वैज्ञानिक सोच के लिए जय हो!!!
सलिल वर्मा की हालिया प्रविष्टी..Diamonds are forever!!
मज़ा नहीं आया महाराज ??
दुबारा सोंचो …
मज़ा नहीं आया महाराज ??
दुबारा सोंचो …
arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..हंगामा है क्यूं बरपा? डोयिचे वेले पुरस्कारों पर दो टूक!
तुलसी बाबा के साथ क्या हुआ था!
समीर लाल “टिप्पणीकार” की हालिया प्रविष्टी..चचा का यूँ गुजर जाना….हाय!!
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..पाँच के दाम में नौ का मजा…
Rashmi Swaroop की हालिया प्रविष्टी..अपना गाँव… पार्ट 3
Rashmi Swaroop की हालिया प्रविष्टी..अपना गाँव… पार्ट 3