http://web.archive.org/web/20140420082505/http://hindini.com/fursatiya/archives/4266
धरे गये घूस के नाते में,
पैंट उतर गयी घाते में। हाल-बड़ा बेहाल हुआ जी,
नंगा शरम से लाल हुआ जी।
कल अखबार में एक खबर पढ़ी। एक पटवारी टाइप कोई पदाधिकारी एक हजार रुपये की घूस लेते पकड़ा गया। पैसे लेकर उसने पैंट की जेब में रख लिये। सोचा आराम से खर्चा करेंगे। लेकिन पुलिस को छापा मारना पड़ा। पकड़े गये लेते हुये। पैसे के साथ पैंट भी जब्त हो गयी। इज्जत के साथ पैंट भी उतर गयी।
घूस के पैसे जब्त करने के लिये पैंट उतरवाना खराब बात है। यह पुलिस वालों के खराब सौंन्दर्य बोध का परिचायक है। कल्पना करिये कैसा वह क्षण रहा होगा जब उसकी पटवारी की पैंट उसके पटरा वाले जांघिये से विदा हो रही होगी। जांघिया अपना नाड़ा समेटते हुये बिलख रहा होगा और पैंट से कह रहा होगा- न जाओ भैया छुड़ा के संगत ,कसम तुम्हारा मैं रो पडूंगा।
पुलिस ने पक्का इस मामले में जानबूझकर देरी की होती। चाहती तो लेते समय ही पकड़ लेती। लेकिन पुलिस वाला मुंह ऊपर उठाकर पान मसाला मुंह में डालने में व्यस्त हो गया होगा। यह सोचकर कि जब पैसा ले ही लिया तो जायेगा कहां? जेब में ही तो धरेगा। उतरवा लेंगे पैंट के साथ।
यह भारतीय पुलिस के भदेश सौंन्दर्यबोध की मिशाल है। जिनसे उनका भाईचारा रहता है उनके प्रति भी संवेदनशील नहीं है। घूस लेते आदमी की पैंट उतरवा देती है।
क्या पता वह अपने शायद उसके नाप की पैंट ले गयी हो। वो उतारो ये वाली पहनो। लेकिन वह फ़िट न आयी हो। अटक गयी हो या लटक गयी हो। फ़िर दूसरी मंगाई हो। लेकिन तब तक तो पकड़ा जाने वाला आदमी पैंट विहीन ही रहा होगा। कितना खराब फ़ील हुआ होगा पकड़े जाने वाले को।
क्या पता पटवारी पटरे वाला जांघिया न पहनता हो। वो वाला पहनता हो जिसके पहनने मात्र से एक आदमी पांच लोगों को ढिढुम-ढिढुंम करके उड़ा देता हो। उसने सोचा होगा कि ये वाला पहनेंगे तो जब कोई हथकड़ी लगाने आये तो मार के भगा देंगे। भाग लेंगे। कोई पकड़ न पायेगा। बाद में बैकडेट में छुट्टी भेज देंगे कि तबियत नासाज थी। कोई और होगा जो ले रहा था। हम तो उस दिन छुट्टी पर थे। डाक्टर के पास गये थे।
पकड़े जाने पर वह छूटने के लिये कसमसाया होगा। मार के भगाने की बात तो छोड़िये खुद भाग नहीं पाया होगा तो उसने अंडरवीयर वाली कंपनी को बहुत कोसा होगा। ससुरों ने झूठ बोला। शायद उसने कहा भी हो कि भैया कचहरी के पहले कन्ज्यूमर फ़ोरम ले चलो। पहले वहां मुकदमा कर लें फ़िर जहां मन आये ले चलो।
शायद उसका जांघिया पैंट उतरने से खुश हो गया हो। हमें आजादी मिली। हमारे ऊपर लदा रहता था हमेशा। शायद जाघिया का जेब के पास वाला हिस्सा थोड़ा दुखी हो कि गर्मी कम हो गयी। क्या पता क्या हुआ होगा लेकिन ये अच्छा नहीं हुआ कि हजार रुपये पकड़ने के लिये किसी की पैंट उतरवा दी जाये।
कुल मिलाकर अपने देश में घूस लेते हुये पकड़े जाने वालों की बड़ी मरन है। चाहे जितना मेहनत से काम करता हो बंदा लेकिन घूस लेते हुये पकड़े जाने पर बड़ी बेइज्जती करते हैं। पैंट तक उतरवा लेते हैं। इसीलिये समझदार लोग सीधे घूस का लेन-देन नहीं करते। सेकेट्ररी, आधिकारिक दलाल और अन्य सुरक्षित तरीके अपनाते हैं। अपनी पैंट बचाते हैं।
घूस के पैसे जब्त करने के लिये मानवीय और वैज्ञानिक तरीके अपनाये जाने चाहिये। उनमें से कुछ यह हो सकते हैं:
चलिये टी.वी. देखते हैं। कर्नाटक में नई सरकार बनने वाली है। जिसकी भी बनेगी उसके मुखिया का स्वच्छ प्रशासन देने का वायदा सुनते हैं।
धरे गये घूस के नाते में
By फ़ुरसतिया on May 8, 2013
पैंट उतर गयी घाते में। हाल-बड़ा बेहाल हुआ जी,
नंगा शरम से लाल हुआ जी।
कल अखबार में एक खबर पढ़ी। एक पटवारी टाइप कोई पदाधिकारी एक हजार रुपये की घूस लेते पकड़ा गया। पैसे लेकर उसने पैंट की जेब में रख लिये। सोचा आराम से खर्चा करेंगे। लेकिन पुलिस को छापा मारना पड़ा। पकड़े गये लेते हुये। पैसे के साथ पैंट भी जब्त हो गयी। इज्जत के साथ पैंट भी उतर गयी।
घूस के पैसे जब्त करने के लिये पैंट उतरवाना खराब बात है। यह पुलिस वालों के खराब सौंन्दर्य बोध का परिचायक है। कल्पना करिये कैसा वह क्षण रहा होगा जब उसकी पटवारी की पैंट उसके पटरा वाले जांघिये से विदा हो रही होगी। जांघिया अपना नाड़ा समेटते हुये बिलख रहा होगा और पैंट से कह रहा होगा- न जाओ भैया छुड़ा के संगत ,कसम तुम्हारा मैं रो पडूंगा।
पुलिस ने पक्का इस मामले में जानबूझकर देरी की होती। चाहती तो लेते समय ही पकड़ लेती। लेकिन पुलिस वाला मुंह ऊपर उठाकर पान मसाला मुंह में डालने में व्यस्त हो गया होगा। यह सोचकर कि जब पैसा ले ही लिया तो जायेगा कहां? जेब में ही तो धरेगा। उतरवा लेंगे पैंट के साथ।
यह भारतीय पुलिस के भदेश सौंन्दर्यबोध की मिशाल है। जिनसे उनका भाईचारा रहता है उनके प्रति भी संवेदनशील नहीं है। घूस लेते आदमी की पैंट उतरवा देती है।
क्या पता वह अपने शायद उसके नाप की पैंट ले गयी हो। वो उतारो ये वाली पहनो। लेकिन वह फ़िट न आयी हो। अटक गयी हो या लटक गयी हो। फ़िर दूसरी मंगाई हो। लेकिन तब तक तो पकड़ा जाने वाला आदमी पैंट विहीन ही रहा होगा। कितना खराब फ़ील हुआ होगा पकड़े जाने वाले को।
क्या पता पटवारी पटरे वाला जांघिया न पहनता हो। वो वाला पहनता हो जिसके पहनने मात्र से एक आदमी पांच लोगों को ढिढुम-ढिढुंम करके उड़ा देता हो। उसने सोचा होगा कि ये वाला पहनेंगे तो जब कोई हथकड़ी लगाने आये तो मार के भगा देंगे। भाग लेंगे। कोई पकड़ न पायेगा। बाद में बैकडेट में छुट्टी भेज देंगे कि तबियत नासाज थी। कोई और होगा जो ले रहा था। हम तो उस दिन छुट्टी पर थे। डाक्टर के पास गये थे।
पकड़े जाने पर वह छूटने के लिये कसमसाया होगा। मार के भगाने की बात तो छोड़िये खुद भाग नहीं पाया होगा तो उसने अंडरवीयर वाली कंपनी को बहुत कोसा होगा। ससुरों ने झूठ बोला। शायद उसने कहा भी हो कि भैया कचहरी के पहले कन्ज्यूमर फ़ोरम ले चलो। पहले वहां मुकदमा कर लें फ़िर जहां मन आये ले चलो।
शायद उसका जांघिया पैंट उतरने से खुश हो गया हो। हमें आजादी मिली। हमारे ऊपर लदा रहता था हमेशा। शायद जाघिया का जेब के पास वाला हिस्सा थोड़ा दुखी हो कि गर्मी कम हो गयी। क्या पता क्या हुआ होगा लेकिन ये अच्छा नहीं हुआ कि हजार रुपये पकड़ने के लिये किसी की पैंट उतरवा दी जाये।
कुल मिलाकर अपने देश में घूस लेते हुये पकड़े जाने वालों की बड़ी मरन है। चाहे जितना मेहनत से काम करता हो बंदा लेकिन घूस लेते हुये पकड़े जाने पर बड़ी बेइज्जती करते हैं। पैंट तक उतरवा लेते हैं। इसीलिये समझदार लोग सीधे घूस का लेन-देन नहीं करते। सेकेट्ररी, आधिकारिक दलाल और अन्य सुरक्षित तरीके अपनाते हैं। अपनी पैंट बचाते हैं।
घूस के पैसे जब्त करने के लिये मानवीय और वैज्ञानिक तरीके अपनाये जाने चाहिये। उनमें से कुछ यह हो सकते हैं:
- घूस लेते हुये फ़ुर्तीले पुलिस वाले लगाये जायें। वे जेब में जाने से पहले ही रुपये बरामद कर लें।
- पकड़े जाने अगर पैंट उतरवाना अनिवार्य हो तो उसी कम्पनी की उसी साइज की पैंट फ़ौरन दी जाये। ताकि पकड़े जाने पर अधोवस्त्रों में जाना पड़े पकड़े जाने वाले को।
- पुलिस दल के साथ एक दर्जी भी जाना चाहिये जो कि नयी पैंट को उसके साइज के हिसाब से फ़िट कर दे।
- संवेदनशील महकमों के सभी कर्मचारियों को अपने साथ दूसरी पैंट लाना अनिवार्य कर दिया। पता नहीं कब छापा में सहयोग करना पड़े।
- क्या पता कोई कंपनी घूस-फ़्रेंडली पैंट बनाने लगे। एक उतर भले जाये लेकिन दूसरी बनी रहे जांघिये के ऊपर।
चलिये टी.वी. देखते हैं। कर्नाटक में नई सरकार बनने वाली है। जिसकी भी बनेगी उसके मुखिया का स्वच्छ प्रशासन देने का वायदा सुनते हैं।
Posted in बस यूं ही | 6 Responses
arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..घर में घुस आया वह अनचाहा संगीतज्ञ!
काजल कुमार की हालिया प्रविष्टी..कार्टून :- धृतराष्ट्र राजा, आ माल खाजा…
बाकी तो काका ने कहा ही है :
“रिश्वत पकड़ी जाए, छूट जा रिश्वत देकर” |
बाकी पैंट उतरने के इलाज आपने बता दिए , अब रिश्वत लेना एक दम आराम की बात हो गयी |
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..नंदी हिल्स पर फ़तेह !!!