आज सचिन ने अपना आखिरी मैच खेला। मैच खतम होते ही सचिन को भारत रत्न
देने की घोषणा हो गयी। सचिन के सैकड़ा होते ही जैसे उनके प्रशंसक खुशी से
उछल पड़ते थे । उसी तरह सचिन के रिटायर होते ही लगता है सरकार खुशी से उछल
पड़ी और उनको भारत रत्न थमा दिया। ऐसा लग रहा है देश के इस महान खिलाड़ी से
करार हुआ होगा- सचिन तुम क्रिकेट छोड़ दो,हम तुम्हें भारत रत्न देंगे।
सचिन के पहले स्व. ध्यानचंद को भारतरत्न देने की बात सुनी जा रही थी। सचिन ने आज संन्यास लेकर दद्दा को भारतरत्न की दौड़ में पीछे छोड़ दिया और एक और रिकार्ड बनाया – किसी खिलाड़ी को मिलने वाले पहले भारत रत्न का। अच्छा ही हुआ उनको भारत रत्न देने की घोषणा आज ही हो गयी। अगर आज सचिन को भारत रत्न मिलने की घोषणा नहीं होती तो शायद इस दौड़ में उनका नाम भी स्व. ध्यानचंद जी की तरह पीछे हो जाता। सरकार ने सोचा- तुरत दान महाकल्याण। आज न अपन ने न दिया तो कल को पता नहीं और कोई दे जाये। इनाम का श्रेय किसी और को क्यों दिया जाये।
लोगों का कहना है कि मेजर ध्यानचन्द ने उस गुलामी मे बिना कोई संसाधन ,चमके और इस देश को,हाकी को वड़ी ऊंचाई दी,वह अभी तक अभूतपूर्व है। लेकिन सरकार की भावुकता का लोगों की भावुकता से क्या मुकाबला? सरकार सचिन के रिटायरमेंट की घोषणा से भावुक हो गयी और उनको भारत रत्न दे डाला। नियमों में बदलाव करते हुये यह किया गया। पता नहीं क्या इस बारे में भी सोचा गया होगा कि मेजर ध्यानचंद को भी सचिन के साथ ही भारत रत्न की घोषणा कर दी जाती। लेकिन आजादी के पहले का महानायक बुजुर्गों की तरह किनारे हो गया शायद।
हड़बड़ी में इस इनाम की घोषणा शायद इसलिये हुयी हो कि सरकार को लग रहा हो कि देश सचिन के रिटायरमेंट की घोषणा शायद सहन न कर पाये। भारत रत्न की घोषणा से उनका दर्द कुछ कम हो जाये शायद।
इस भारत् रत्न के पीछे मीडिया का भी बहुत बड़ा योगदान है। उसको भी कुछ हिस्सा अपने आप मिल जाना चाहिये भारत रत्न का। लोग कह रहे हैं - सचिन को भारतरत्न मे मीडिया का आधा (हिस्सा) है।
सचिन के रिकार्ड के बारे में तो बच्चा-बच्चा जानता है। लेकिन जिन वैज्ञानिक महोदय को इनाम मिला है उनके बारे में मीडिया तक को कुछ हवा नहीं है। उल्टे उनके बारे में नकात्मक खबरे तैरने लगी हैं सोशल मीडिया में। सरकार द्वारा आज के भारत रत्न की घोषणा एक उलार बैलगाड़ी की तरह है। जिसमें एक नाम ऊपर उठा हुआ सबको दिख रहा है, जबकि दूसरा हिस्सा जमीन में धंसा जा रहा है।
हम शरमाये जा रहे हैं कि भारत रत्न से सम्मानित दो लोगों में एक के बारे में कुछ नहीं जानते। यह बात हमारी और हमारे देश के मीडिया की वैज्ञानिक मामलों में रुचि की परिचायक है। यह भी लग रहा है कि क्या स्व. ध्यानचंद का नाम अब भारत रत्न की दौड़ से हमेशा के लिये बाहर हो गया।
एक सर्वकालीन बेहतरीन खिलाड़ी और एक नामचीन वैज्ञानिक को भारत रत्न मिलने की बधाई।
सचिन के पहले स्व. ध्यानचंद को भारतरत्न देने की बात सुनी जा रही थी। सचिन ने आज संन्यास लेकर दद्दा को भारतरत्न की दौड़ में पीछे छोड़ दिया और एक और रिकार्ड बनाया – किसी खिलाड़ी को मिलने वाले पहले भारत रत्न का। अच्छा ही हुआ उनको भारत रत्न देने की घोषणा आज ही हो गयी। अगर आज सचिन को भारत रत्न मिलने की घोषणा नहीं होती तो शायद इस दौड़ में उनका नाम भी स्व. ध्यानचंद जी की तरह पीछे हो जाता। सरकार ने सोचा- तुरत दान महाकल्याण। आज न अपन ने न दिया तो कल को पता नहीं और कोई दे जाये। इनाम का श्रेय किसी और को क्यों दिया जाये।
लोगों का कहना है कि मेजर ध्यानचन्द ने उस गुलामी मे बिना कोई संसाधन ,चमके और इस देश को,हाकी को वड़ी ऊंचाई दी,वह अभी तक अभूतपूर्व है। लेकिन सरकार की भावुकता का लोगों की भावुकता से क्या मुकाबला? सरकार सचिन के रिटायरमेंट की घोषणा से भावुक हो गयी और उनको भारत रत्न दे डाला। नियमों में बदलाव करते हुये यह किया गया। पता नहीं क्या इस बारे में भी सोचा गया होगा कि मेजर ध्यानचंद को भी सचिन के साथ ही भारत रत्न की घोषणा कर दी जाती। लेकिन आजादी के पहले का महानायक बुजुर्गों की तरह किनारे हो गया शायद।
हड़बड़ी में इस इनाम की घोषणा शायद इसलिये हुयी हो कि सरकार को लग रहा हो कि देश सचिन के रिटायरमेंट की घोषणा शायद सहन न कर पाये। भारत रत्न की घोषणा से उनका दर्द कुछ कम हो जाये शायद।
इस भारत् रत्न के पीछे मीडिया का भी बहुत बड़ा योगदान है। उसको भी कुछ हिस्सा अपने आप मिल जाना चाहिये भारत रत्न का। लोग कह रहे हैं - सचिन को भारतरत्न मे मीडिया का आधा (हिस्सा) है।
सचिन के रिकार्ड के बारे में तो बच्चा-बच्चा जानता है। लेकिन जिन वैज्ञानिक महोदय को इनाम मिला है उनके बारे में मीडिया तक को कुछ हवा नहीं है। उल्टे उनके बारे में नकात्मक खबरे तैरने लगी हैं सोशल मीडिया में। सरकार द्वारा आज के भारत रत्न की घोषणा एक उलार बैलगाड़ी की तरह है। जिसमें एक नाम ऊपर उठा हुआ सबको दिख रहा है, जबकि दूसरा हिस्सा जमीन में धंसा जा रहा है।
हम शरमाये जा रहे हैं कि भारत रत्न से सम्मानित दो लोगों में एक के बारे में कुछ नहीं जानते। यह बात हमारी और हमारे देश के मीडिया की वैज्ञानिक मामलों में रुचि की परिचायक है। यह भी लग रहा है कि क्या स्व. ध्यानचंद का नाम अब भारत रत्न की दौड़ से हमेशा के लिये बाहर हो गया।
एक सर्वकालीन बेहतरीन खिलाड़ी और एक नामचीन वैज्ञानिक को भारत रत्न मिलने की बधाई।
No comments:
Post a Comment