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लोकपाल को गांधी डिवीजन
By फ़ुरसतिया on December 19, 2013
कल आखिर लोकपाल कानून संसद में पास ही हो गया।
सालों से इम्तहान दे रहा था लोकपाल। कभी कोर्स बदल जाता कभी जांचने वाले लोग। हर बार किसी न किसी कारण के चलते बेचारा फ़ेल हो जाता। लेकिन लोकपाल भी माना नहीं। इस बार तीन साल रगड़ के मेहनत की। ’अन्ना- केजरीवाल कोचिंग इंस्टीट्यूट’ में कोचिंग ली। धरना-प्रदर्शन की सोर्स सिफ़ारिश लगवाई। संसद में कापी जांचने वालों को बताया कि इस बार पास न हुआ तो ’ओवरएज’ हो जायेगा बेचारा। अगला इम्तहान देने लायक न रहेगा। उनको भी दया आ गयी। आखिर में लोकपाल पास ही हो गया।
जैसे लोकपाल कानून के दिन बहुरे वैसे सबके बहुरें।
अन्ना जी ने कहा लोकपाल बनते ही 40% भ्रष्टाचार तो कम हो जायेगा। मतलब अन्ना जी ने लोकपाल को 40% नंबर दिये। 40% नंबर लेकर पास हुआ लोकपाल। मतलब थर्ड डिवीजन पास हुआ। थर्ड डिवीजन मतलब गांधी डिवीजन।
आज जब 100% नम्बर पाने वालों को लोग नहीं पूछते तो गांधी डिवीइज वाले को कौन पूछेगा? लेकिन लोकपाल के पास होने की खुशी तो है ही। इत्ते साल बाद इम्तहान पास किये हैं भले गांधी डिवीजन। कम बड़ी उपलब्धि थोड़ी है।
लोकपाल बिल पास होते ही सब तरफ़ खुशी की लहर दौड़ गयी। लड्डू बंटने लगे। सबके मन मयूर नाच उठे। यह एक बड़ी उपलब्धि है। सब तरफ़ खुशी का माहौल है। सबको दिख रहा है कि लोकपाल ने 40% भ्रष्टाचार की जमीन पर कब्जा करके वहां सदाचार की इमारत खड़ी कर दी है।
लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू भी है आइये उसे भी देखते चलें।
लोकपाल कानून पास होते ही करप्शन के रेट बढ़ गये हैं। बिचौलियों ने अपने कमीशन में ’लोकपाल रिस्क फ़ैक्टर’ को भी जोड़ लिया है। रेट तत्काल प्रभाव से लागू हो गये हैं। जिस भ्रष्टाचार को रोकने के लिये लोकपाल कानून आया है वह और चौड़ा हो गया है। वह लोकपाल कानून को घूरते हुये ऐसे देख रहा है मानो उसे कच्चा चबा जायेगा। गुर्राते हुये कह रहा है -” बेट्टा तेरा भी हाल सूचना के अधिकार सा न किया तो मेरा नाम भी भ्रष्टाचार नहीं।”
पहले शिकायत करने वाले बिना सोचे शिकायत कर देते थे। अब लोकपाल में खबर है कि शिकायत झूठी पाये जाने पर लाख रुपये जुर्माना भी है। मतलब शिकायत के लिये टेंट में लाख रुपये फ़ालतू रखो तब शिकायत रखो। गरीब के लिये लोकपाल की शिकायत करना रोजी-रोटी से भी मुश्किल काम होगा।
लोकपाल अब आय का पैमाना भी बन सकता है। लड़का लाख रुपये महीना पाता है की जगह लोग कहेंगे- लड़का हर महीने लोकपाल कानून में एक शिकायत करने लायक कमाता है। भगवान ने चाहा तो अगले साल तक दो शिकायत लायक कमाने लगेगा।
बैंकें आकर्षक किस्तों में लोकपाल शिकायत के लिये लोन देने लगेंगी। सरकारें चुनाव वर्ष में गरीबों का लोकपाल कानून में शिकायत करने के लिये कर्जा माफ़ करेंगी।
लोगों की फ़िजूलखर्ची के किस्से सुनाते हुये लोग कहेंगे- सब पैसा लोकपाल की शिकायत में उड़ा दिया।
तमाम दुकाने खुल जायेंगी- आइये लोकपाल में सस्ती दरों में शिकायत दर्ज करायें।। शिकायत आपकी, जुर्माना हमारा।
बीमा कम्पनियां “जीवन सुरक्षा पॉलिसी” की तरह सरकारी कर्मचारियों के लिये “लोकपाल सुरक्षा पॉलिसी” स्कीम लायेंगी। इसमें किस्तें जमा करेंगे लोग। लोकपाल कानून में फ़ंसने पर बीमा कम्पनियां उनके मुकदमें का खर्चा उठायेंगी। पकड़े जाने पर नियमित मासिक भुगतान करेंगी ताकि नौकरी जाने पर बीमा कराने वाला भूखा न मरे।
कानून की फ़ाइलों में दर्ज होने के लिये जैसे ही लोकपाल पहुंचेगा तो पहले से मौजूद कानून लोकपाल कानून को उसी तरह घूरेंगे जैसे रेल के जनरल डिब्बे में बैठे यात्री नये यात्री को देखते हैं।
कहीं आते-जाते लोकपाल कानून और करप्शन किसी गली में टकराये तो शायद भ्रष्टाचार लोकपाल कानून को शोले के गब्बरसिंह की तरह धमकाये भी- क्या सोच के आये थे? तेरे आने से करप्शन कम होगा? घपले कम हो जायेंगे? ईमानदारी के बच्चे! भ्रष्टाचार को अगर कोई खतम कर सकता है तो वह भ्रष्टाचार ही कर सकता है (छोटे करप्शन को बड़े करप्शन से)। इसके लिये अगर वह थोड़ी फ़ीस (घूस) वसूलता है तो क्या बुरा करता है?
अब देखना है कि लोकपाल करप्शन के इस डायलाग का जबाब कैसे देता है। शोले के वीरू, जय और ठाकुर की तरह भ्रष्टाचार के गब्बर को काबू में कर पाता है या वैसा ही हाल होता है इसका भी जैसा और कानूनों का होता अमल होने में।
अभी तो लोकपाल को गांधी डिवीजन में पास होने की बधाई।
सालों से इम्तहान दे रहा था लोकपाल। कभी कोर्स बदल जाता कभी जांचने वाले लोग। हर बार किसी न किसी कारण के चलते बेचारा फ़ेल हो जाता। लेकिन लोकपाल भी माना नहीं। इस बार तीन साल रगड़ के मेहनत की। ’अन्ना- केजरीवाल कोचिंग इंस्टीट्यूट’ में कोचिंग ली। धरना-प्रदर्शन की सोर्स सिफ़ारिश लगवाई। संसद में कापी जांचने वालों को बताया कि इस बार पास न हुआ तो ’ओवरएज’ हो जायेगा बेचारा। अगला इम्तहान देने लायक न रहेगा। उनको भी दया आ गयी। आखिर में लोकपाल पास ही हो गया।
जैसे लोकपाल कानून के दिन बहुरे वैसे सबके बहुरें।
अन्ना जी ने कहा लोकपाल बनते ही 40% भ्रष्टाचार तो कम हो जायेगा। मतलब अन्ना जी ने लोकपाल को 40% नंबर दिये। 40% नंबर लेकर पास हुआ लोकपाल। मतलब थर्ड डिवीजन पास हुआ। थर्ड डिवीजन मतलब गांधी डिवीजन।
आज जब 100% नम्बर पाने वालों को लोग नहीं पूछते तो गांधी डिवीइज वाले को कौन पूछेगा? लेकिन लोकपाल के पास होने की खुशी तो है ही। इत्ते साल बाद इम्तहान पास किये हैं भले गांधी डिवीजन। कम बड़ी उपलब्धि थोड़ी है।
लोकपाल बिल पास होते ही सब तरफ़ खुशी की लहर दौड़ गयी। लड्डू बंटने लगे। सबके मन मयूर नाच उठे। यह एक बड़ी उपलब्धि है। सब तरफ़ खुशी का माहौल है। सबको दिख रहा है कि लोकपाल ने 40% भ्रष्टाचार की जमीन पर कब्जा करके वहां सदाचार की इमारत खड़ी कर दी है।
लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू भी है आइये उसे भी देखते चलें।
लोकपाल कानून पास होते ही करप्शन के रेट बढ़ गये हैं। बिचौलियों ने अपने कमीशन में ’लोकपाल रिस्क फ़ैक्टर’ को भी जोड़ लिया है। रेट तत्काल प्रभाव से लागू हो गये हैं। जिस भ्रष्टाचार को रोकने के लिये लोकपाल कानून आया है वह और चौड़ा हो गया है। वह लोकपाल कानून को घूरते हुये ऐसे देख रहा है मानो उसे कच्चा चबा जायेगा। गुर्राते हुये कह रहा है -” बेट्टा तेरा भी हाल सूचना के अधिकार सा न किया तो मेरा नाम भी भ्रष्टाचार नहीं।”
पहले शिकायत करने वाले बिना सोचे शिकायत कर देते थे। अब लोकपाल में खबर है कि शिकायत झूठी पाये जाने पर लाख रुपये जुर्माना भी है। मतलब शिकायत के लिये टेंट में लाख रुपये फ़ालतू रखो तब शिकायत रखो। गरीब के लिये लोकपाल की शिकायत करना रोजी-रोटी से भी मुश्किल काम होगा।
लोकपाल अब आय का पैमाना भी बन सकता है। लड़का लाख रुपये महीना पाता है की जगह लोग कहेंगे- लड़का हर महीने लोकपाल कानून में एक शिकायत करने लायक कमाता है। भगवान ने चाहा तो अगले साल तक दो शिकायत लायक कमाने लगेगा।
बैंकें आकर्षक किस्तों में लोकपाल शिकायत के लिये लोन देने लगेंगी। सरकारें चुनाव वर्ष में गरीबों का लोकपाल कानून में शिकायत करने के लिये कर्जा माफ़ करेंगी।
लोगों की फ़िजूलखर्ची के किस्से सुनाते हुये लोग कहेंगे- सब पैसा लोकपाल की शिकायत में उड़ा दिया।
तमाम दुकाने खुल जायेंगी- आइये लोकपाल में सस्ती दरों में शिकायत दर्ज करायें।। शिकायत आपकी, जुर्माना हमारा।
बीमा कम्पनियां “जीवन सुरक्षा पॉलिसी” की तरह सरकारी कर्मचारियों के लिये “लोकपाल सुरक्षा पॉलिसी” स्कीम लायेंगी। इसमें किस्तें जमा करेंगे लोग। लोकपाल कानून में फ़ंसने पर बीमा कम्पनियां उनके मुकदमें का खर्चा उठायेंगी। पकड़े जाने पर नियमित मासिक भुगतान करेंगी ताकि नौकरी जाने पर बीमा कराने वाला भूखा न मरे।
कानून की फ़ाइलों में दर्ज होने के लिये जैसे ही लोकपाल पहुंचेगा तो पहले से मौजूद कानून लोकपाल कानून को उसी तरह घूरेंगे जैसे रेल के जनरल डिब्बे में बैठे यात्री नये यात्री को देखते हैं।
कहीं आते-जाते लोकपाल कानून और करप्शन किसी गली में टकराये तो शायद भ्रष्टाचार लोकपाल कानून को शोले के गब्बरसिंह की तरह धमकाये भी- क्या सोच के आये थे? तेरे आने से करप्शन कम होगा? घपले कम हो जायेंगे? ईमानदारी के बच्चे! भ्रष्टाचार को अगर कोई खतम कर सकता है तो वह भ्रष्टाचार ही कर सकता है (छोटे करप्शन को बड़े करप्शन से)। इसके लिये अगर वह थोड़ी फ़ीस (घूस) वसूलता है तो क्या बुरा करता है?
अब देखना है कि लोकपाल करप्शन के इस डायलाग का जबाब कैसे देता है। शोले के वीरू, जय और ठाकुर की तरह भ्रष्टाचार के गब्बर को काबू में कर पाता है या वैसा ही हाल होता है इसका भी जैसा और कानूनों का होता अमल होने में।
अभी तो लोकपाल को गांधी डिवीजन में पास होने की बधाई।
Posted in बस यूं ही | 10 Responses
सांसदो कि जय हो बेचारे को ‘ओवर-ऐज’ से बचने के लिए…………….
प्रणाम.
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..चलो रूप परिभाषित कर दें
अगर लोकपाल बनाने वालों ने इसे देख लिए तो आप गए काम से ! वे कहेंगे मुर्गी जान से गयी और सुकुल जी को आनंद ही नहीं आया !
सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..तुम भी कौन समझ पाए थे, धत तेरे की -सतीश सक्सेना
रचना त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..सावधानी हटी दुर्घटना घटी..!