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तरह तरह के ईमानदार
By फ़ुरसतिया on December 31, 2013
जब
से दुनिया में करप्शन का हल्ला हुआ है, ईमानदार मिलने कम हो गये हैं।
दुर्लभ प्रजाति के माने जाने लगे हैं ईमानदार लोग। आम धारणा है कि अगर आज
के जमाने में कोई ईमानदार है तो इसका मतलब उसको बेईमानी करने के उचित अवसर
नहीं मिले या उसकी दिमागी असेम्बेली में कुछ चूक रह गयी है जिसका खामियाजा
उसको ईमानदारी की जिन्दगी बसर करके भुगतना पड़ रहा है।
इधर नयी सरकार बनते ही हल्ला हुआ कि सरकार ईमानदार नौकरशाहों को जिम्मेदारी के काम सौंपेगी। जिम्मेदार जगह पर ईमानदार अफ़सर तैनात किये जायेंगे।
सरकार ने ईमानदार अफ़सरों का आह्वान किया कि वे आगे आयें और ईमानदारी से काम करें।
अब सरकार ने यह तो बताया नहीं कि उसको किस तरह के ईमानदार चाहिये। लेकिन हमारे एक मित्र जो काफ़ी अनुभवी हैं ईमानदारी के मामले में, ने ईमानदार अफ़सरों की कुछ वैराइटी के बारे में जानकारी दी।
कट्टर ईमानदार : जिन्दगी में हमेशा ईमानदारी को तरजीह देता है। काम भले न हो लेकिन ईमानदारी की हमेशा रक्षा करता है। कोई भी काम उसके पास आये वह उसमें कोई न कोई बेईमानी की गुंजाइश देख ही लेता है। बेईमानी की गुंजाइश का पता लगते ही काम को रद्द कर देता है। कभी किसी काम में अगर कोई बेईमानी पकड़ न पाया तो मानता है कि कार्य का प्रस्ताव अव्यवहारिक है। कोई भी सरकारी योजना कैसे हो सकती है जिसमें गड़बड़ी की कोई गुंजाइश न हो? बाद में जब व्यवहारिक प्रस्ताव आता तो उसको उसकी गड़बड़ी के अनुसार उसको निरस्त कर देता है।
लाउड स्पीकर ईमानदार: इस तरह के ईमानदार हरदम अपनी ईमानदारी का हल्ला मचाते रहते हैं। अपनी हर कमी को अपनी ईमानदारी के आंचल में छिपाते रहते हैं। कोई काम न कर पाये तो कहते हैं बेईमानी हमसे न हो सकेगी। अपनी ’ईमानदारी का चालीसा’ पढ़ने को ही वे अपना फ़ुल टाइम काम मानते हैं।
व्यवहारिक ईमानदार: व्यवहारिक ईमानदार खुद कभी कोई ऐसा काम नहीं करता जिसमें बेईमानी की जरा सी भी गुंजाइश हो। लेकिन इसके चलते वह काम में कभी कोई हर्जा नहीं होने देता। वह जिस भी किसी काम में गड़बड़ी की जरा सी भी गुंजाइश देखता है उसको कभी हाथ नहीं लगाता । एक दो दिन छुट्टी पर चला जाता है और अपने अधीनस्थ को काम करने की सख्त हिदायत दे जाता है। इस तरह वह अपनी ईमानदारी और काम दोनों के बीच संतुलन बनाकर चलता है।
बेवकूफ़ ईमानदार: इस तरह का ईमानदार व्यक्तिगत तौर पर बड़ा ईमानदार होता है। लेकिन काम को ईमानदारी से ज्यादा महत्वपूर्ण समझता है। वह काम चोरी को सबसे बड़ी बेईमानी समझता है। इस चक्कर में कई ऐसे भी निर्णय लेता है जो काम के हित में होते हैं लेकिन किसी किसी नियम को शब्दश: पालन न करके उसकी भावना के हिसाब से पालन करता है। इस चक्कर में तमाम अक्सर जांच के चक्कर में फ़ंसा रहता है। लोग उसे बेवकूफ़ ईमानदार कहते हैं।
लोकतांत्रिक ईमानदार: लोकतांत्रिक ईमानदार हमेशा बहुमत के हिसाब से काम करता है। ईमानदारी के निर्धारण में अपना दिमाग नहीं लगाता। साथ के लोग जैसा काम करते हैं उसी के हिसाब से काम करता है। वह मानता है जैसा बाकी लोग करते आ रहे हैं वही ईमानदारी का सही रास्ता है। बहुमत की राय से चलने के कारण कभी कोई ऊंच-नीच हो भी जाती है तो फ़ंसने की गुंजाइश नहीं होती। कभी फ़ंसे भी तो बहुमत के चलते बचने की हमेशा गुंजाइश रहती है।
बवालिया ईमानदार: ये सबसे खतरनाक टाइप के ईमानदार होते हैं। ये न खुद कभी बेईमानी करते हैं न अपने आप-पास किसी को करने देते हैं। इनको लगता है कि बिना बवाल किये ईमानदारी की रक्षा हो ही नहीं सकती। कालान्तर में यह मानने लगते हैं कि जिस किसी काम में बवाल न हुआ इसका मतलब उसमें बेईमानी हुई है। उसके चलते कभी-कभी पूरे हुये काम को निरस्त करवा कर मानते हैं।
समझदार ईमानदार: इन लोगों के का मतलब बॉस का आज्ञा का आंख मूंदकर पालन करना होता है। साहब जो कहें वह काम ईमानदारी का होता है बाकी सब बेईमानी। हमारे मित्र ने जानकारी देते हुये बताया कि आजकल इसई तरह के ईमानदार बहुतायत में पाये जाते हैं। वे अपने परिवार और बॉस और परिवार को सुखी रखते हुये खुद भी सुखी रहते हैं।
हमने अपने मित्र से पूछा कि अच्छा ये बताओ कि आजकल सबसे ज्यादा किस तरह के ईमानदार प्रभावशाली हैं?
हमारे मित्र ने मुस्कराते हुये बताया- आजकल तो सबसे ज्यादा वह ईमानदार प्रभावशाली है जो ऊपरी कमाई के बंटवारे में कोई गड़बड़ी नहीं करता। सबका निर्धारित हिस्सा यथासमय पहुंचा देता है। काम न होने पर पैसा एडवांस तुरंत वापस कर देता है। सब उसकी बात का भरोसा करते हैं। ऐसे ही लोग भरोसे मंद ईमानदार आजकल सबसे ज्यादा प्रभाव शाली हैं।
हम इंतजार में हैं यह देखने के लिये कि जिन ईमानदारों की अर्जी स्वीकृत होती है वे किस तरह के ईमानदार हैं।
इधर नयी सरकार बनते ही हल्ला हुआ कि सरकार ईमानदार नौकरशाहों को जिम्मेदारी के काम सौंपेगी। जिम्मेदार जगह पर ईमानदार अफ़सर तैनात किये जायेंगे।
सरकार ने ईमानदार अफ़सरों का आह्वान किया कि वे आगे आयें और ईमानदारी से काम करें।
अब सरकार ने यह तो बताया नहीं कि उसको किस तरह के ईमानदार चाहिये। लेकिन हमारे एक मित्र जो काफ़ी अनुभवी हैं ईमानदारी के मामले में, ने ईमानदार अफ़सरों की कुछ वैराइटी के बारे में जानकारी दी।
कट्टर ईमानदार : जिन्दगी में हमेशा ईमानदारी को तरजीह देता है। काम भले न हो लेकिन ईमानदारी की हमेशा रक्षा करता है। कोई भी काम उसके पास आये वह उसमें कोई न कोई बेईमानी की गुंजाइश देख ही लेता है। बेईमानी की गुंजाइश का पता लगते ही काम को रद्द कर देता है। कभी किसी काम में अगर कोई बेईमानी पकड़ न पाया तो मानता है कि कार्य का प्रस्ताव अव्यवहारिक है। कोई भी सरकारी योजना कैसे हो सकती है जिसमें गड़बड़ी की कोई गुंजाइश न हो? बाद में जब व्यवहारिक प्रस्ताव आता तो उसको उसकी गड़बड़ी के अनुसार उसको निरस्त कर देता है।
लाउड स्पीकर ईमानदार: इस तरह के ईमानदार हरदम अपनी ईमानदारी का हल्ला मचाते रहते हैं। अपनी हर कमी को अपनी ईमानदारी के आंचल में छिपाते रहते हैं। कोई काम न कर पाये तो कहते हैं बेईमानी हमसे न हो सकेगी। अपनी ’ईमानदारी का चालीसा’ पढ़ने को ही वे अपना फ़ुल टाइम काम मानते हैं।
व्यवहारिक ईमानदार: व्यवहारिक ईमानदार खुद कभी कोई ऐसा काम नहीं करता जिसमें बेईमानी की जरा सी भी गुंजाइश हो। लेकिन इसके चलते वह काम में कभी कोई हर्जा नहीं होने देता। वह जिस भी किसी काम में गड़बड़ी की जरा सी भी गुंजाइश देखता है उसको कभी हाथ नहीं लगाता । एक दो दिन छुट्टी पर चला जाता है और अपने अधीनस्थ को काम करने की सख्त हिदायत दे जाता है। इस तरह वह अपनी ईमानदारी और काम दोनों के बीच संतुलन बनाकर चलता है।
बेवकूफ़ ईमानदार: इस तरह का ईमानदार व्यक्तिगत तौर पर बड़ा ईमानदार होता है। लेकिन काम को ईमानदारी से ज्यादा महत्वपूर्ण समझता है। वह काम चोरी को सबसे बड़ी बेईमानी समझता है। इस चक्कर में कई ऐसे भी निर्णय लेता है जो काम के हित में होते हैं लेकिन किसी किसी नियम को शब्दश: पालन न करके उसकी भावना के हिसाब से पालन करता है। इस चक्कर में तमाम अक्सर जांच के चक्कर में फ़ंसा रहता है। लोग उसे बेवकूफ़ ईमानदार कहते हैं।
लोकतांत्रिक ईमानदार: लोकतांत्रिक ईमानदार हमेशा बहुमत के हिसाब से काम करता है। ईमानदारी के निर्धारण में अपना दिमाग नहीं लगाता। साथ के लोग जैसा काम करते हैं उसी के हिसाब से काम करता है। वह मानता है जैसा बाकी लोग करते आ रहे हैं वही ईमानदारी का सही रास्ता है। बहुमत की राय से चलने के कारण कभी कोई ऊंच-नीच हो भी जाती है तो फ़ंसने की गुंजाइश नहीं होती। कभी फ़ंसे भी तो बहुमत के चलते बचने की हमेशा गुंजाइश रहती है।
बवालिया ईमानदार: ये सबसे खतरनाक टाइप के ईमानदार होते हैं। ये न खुद कभी बेईमानी करते हैं न अपने आप-पास किसी को करने देते हैं। इनको लगता है कि बिना बवाल किये ईमानदारी की रक्षा हो ही नहीं सकती। कालान्तर में यह मानने लगते हैं कि जिस किसी काम में बवाल न हुआ इसका मतलब उसमें बेईमानी हुई है। उसके चलते कभी-कभी पूरे हुये काम को निरस्त करवा कर मानते हैं।
समझदार ईमानदार: इन लोगों के का मतलब बॉस का आज्ञा का आंख मूंदकर पालन करना होता है। साहब जो कहें वह काम ईमानदारी का होता है बाकी सब बेईमानी। हमारे मित्र ने जानकारी देते हुये बताया कि आजकल इसई तरह के ईमानदार बहुतायत में पाये जाते हैं। वे अपने परिवार और बॉस और परिवार को सुखी रखते हुये खुद भी सुखी रहते हैं।
हमने अपने मित्र से पूछा कि अच्छा ये बताओ कि आजकल सबसे ज्यादा किस तरह के ईमानदार प्रभावशाली हैं?
हमारे मित्र ने मुस्कराते हुये बताया- आजकल तो सबसे ज्यादा वह ईमानदार प्रभावशाली है जो ऊपरी कमाई के बंटवारे में कोई गड़बड़ी नहीं करता। सबका निर्धारित हिस्सा यथासमय पहुंचा देता है। काम न होने पर पैसा एडवांस तुरंत वापस कर देता है। सब उसकी बात का भरोसा करते हैं। ऐसे ही लोग भरोसे मंद ईमानदार आजकल सबसे ज्यादा प्रभाव शाली हैं।
हम इंतजार में हैं यह देखने के लिये कि जिन ईमानदारों की अर्जी स्वीकृत होती है वे किस तरह के ईमानदार हैं।
Posted in बस यूं ही | 7 Responses
http://www.satyarthmitra.com/2012/09/blog-post.html
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..कुछ अलग रहेगा नया साल
‘आप’ काहे एतना समझदारी आउर जिम्मेदारी से सतुआ बाँध के ईमानदारी के पीछे पड़ गए हैं ?? ई तो पक्का बेईमानी है
हाँ नहीं तो !!
Swapna Manjusha की हालिया प्रविष्टी..नव वर्ष….!!
HARSHVARDHAN की हालिया प्रविष्टी..अनोखा विमान
arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..क्या करूं क्या न करूं -अजीब धर्मसंकट था वह (सेवा संस्मरण -१६)
प्रणाम.
दीपक बाबा की हालिया प्रविष्टी..कितनी बेबसी से जा रहा है बीस सौ तेहरा