सबेरे-सबेरे ट्रेन तेजी से भागती जा रही है.पटरी के पास के पेड़ उत्ती ही तेजी से पीछे भाग रहे हैं. शायद अपनी जान बचाते. दूर के पेड़ कोहरे की चादर ताने खर्राटे मारते से खड़े हैं. खेतों में पौधे सर ताने खड़े हैं.गर्वीले और अनुशासित. सूरज की किरणे सब के सर पाँव रखते हुये इतराती सी उतर रही है. किरणों की बारिश सी हो रही है. पेड़ , पौधे, खेत, मकान, तलाब, जमीन सब रौशनी की बारिश में नहा रहे है. उजाले का शैम्पू लगते ही पूरी कायनात चमकने लगी है.
किरने रेल की खिड़की से घुस कर डिब्बे को जगमग कर रही हैं. खिड़की की सरिया पर दो ओस की बूंदे लटकी हुई हई है. रेल के चलने के साथ झूला सा झूलती. किरणों ने उन बूंदों को चमका दिया. बूंदे उनके स्पर्श से खिलखिलाने लगी. किरने उनको अपनी गोद में लेकर कहीं सुरक्षित जगह पर ले गयी.
तालाब के ऊपर अनगिनत पक्षी चहल-पहल कर रहे हैं. जुलूस सा निकाल रहे है. जगह-जगह मोबाईल टावर विकास के ठप्पे से लगे खड़े हैं.
रेल के डिब्बे में जगहर हो गयी है. एक यात्री मोबाईल पर आरती बजा रहा है. उसकी बच्ची उसकी गोद में निश्चिंत ऊंघ रही है.कुछ लोग बात कर रहे हैं. एक कह रहा है- एक पागल दुसरे पर भरोसा नहीं कर सकता. जनरल डिब्बे में नये यात्रियों को पुराने यात्री घूर-घूर कर देख रहे है. थोड़ी देर में वे घुल-मिलकर अगले नए यात्रियों को घूरने लगते हैं.
एक यात्री का मोबाईल गिर गया .एक बुजुर्ग महिला रात भर उसे अपने पास रखे रही. सुबह होते ही उसने -"बेटा ये तुम्हारा मोबाईल रात को गिर गया था " कहते हुए मोबाईल लौटा रही है. बेटा जी मुस्कराते हुए माता जी से बतियाने लगे. सूरज की किरणों ने दोनों के चेहरे पर रौशनी मलते हुए हैप्पी होली कहा.
स्टेशन पर एक चाय वाला चाय गर्म चाय कहते हुए चाय बेच रहा है. चाय लेते हुए हम सोच रहे हैं क्या पता कल को यह भाइयो और बहनों कहते हुए वोट माँगे. तब क्या मैं कह पाउँगा -यार उस दिन तुम्हारी चाय ठंडी थी. क्या उसकी गर्मी अपनी आवाज में मिलाने के लिए निकाल ली थी.
चाय की आवाज सुनते ही सूरज भाई भी आ गए . खिड़की पर खड़े खड़े बतियाने लगे. बोले सामान समेटो कानपुर आ गया. हम सामान के साथ खुद को समेटने लगे.
सुबह हो गयी. आउटर पर चेन पुलिंग करके उतरने वालो को उतार कर गाडी आगे बढ़ी. स्टेशन आने वाला है. कानपुर आ गया - "झाड़े रहो कलट्टर गंज "
- Pramod Singh ऐसी तेजी से मत भगाइये लेकिन, अतीत के व्यामोहों पर तेजी के इन दुराचारी असरों की कुछ खबर रहती भी है आपको ?
- Lata R. Ojha Gaalon pe roshni malte hue happy holi kah rahin..waah.. Lajawaab..aur haan...jhaade raho kalattarganj
- Sudeep Joshi अनूपजी, ये चाय वाला प्रसंग बहुत ही मौलिक और अनूठा रहा ! कृपया बधाई स्वीकार करें, साथ ही होली की भी!!!!
No comments:
Post a Comment