फ़ुरसतिया
हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै
Friday, August 15, 2014
पुलिया पर गुमसुम बैठे भाई
कल पुलिया पर ये भाई गुमसुम बैठे थे। अपने देश की तरह चुप। कुछ बात करने की कोशिश की तो बोले नहीं। चेहरे पर ’डोन्ट डिस्टर्ब’ का भाव चिपकाये दिखे।
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Deepti Singh
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Aradhana Mukti
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Amit Kumar Srivastava
पुलिया तो थोड़ी ऊंची है । इस पर तो लोग उचक कर बैठते होंगे और उचक कर बैठने वाले कहीं उचक्के तो नहीं । अपना ध्यान रखियेगा । पुलिया के नीचे भी कुछ लोग अवश्य बैठते होंगे ।
15 अगस्त पर 04:43 अपराह्न
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Satish Saxena
संतोष त्रिवेदी
भी जब जब इस पुलिया पर बैठे तो उठने का नाम ही नहीं ले रहे थे !
15 अगस्त पर 05:04 अपराह्न
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संतोष त्रिवेदी
हमारे आने के बाद पुलिया भीषण पतझड़ से जूझ रही है
15 अगस्त पर 05:21 अपराह्न
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Indra Awasthi
संतोष त्रिवेदी - jahan jahan charan pade santan ke
15 अगस्त पर 09:18 अपराह्न
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Indra Awasthi
Shukul - tum jab puliya ke pravakta ban gaye ho, to phir kya kare yeh bol kar
15 अगस्त पर 09:18 अपराह्न
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Anoop Shukla
हे प्रभु.........ये पुलिया है याकटरीना कैफ
16 अगस्त पर 08:25 पूर्वाह्न
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Shailendra Kumar Jha
sachhi me ......................... jis tarah se aap 'puliya' ko apne 'status' se saundarybodh de rahe hain .................... dil karta eek bar oos-par baith ke 'ishkiya' liya jai...................................
16 अगस्त पर 10:04 पूर्वाह्न
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Alok Ranjan
kabhi pareshaan bhi hota hai aadmi
16 अगस्त पर 12:50 अपराह्न
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