तुम्हारी याद आई औ मन गुदगुदा गया
एक मिनट , जरा कोई फोन आ गया।
धनिया की जगह फिर से टमाटर ले आये
दुकान पर तेरा चेहरा फिर याद आ गया।
पूरा दिन बीता पर तुम्हें याद नहीं किया,
मना है याद करने को, ये याद आ गया।
प्रेम गली खुदी है,सीवर के पाइप पड़ रहे
इसीलिये उचक के मैं फेसबुक पे आ गया।
तेरी तस्वीर पे इत्ती जोर से लाइक लिया
अंगूठा मेरा स्क्रीन के पार* आ गया ।
पढ़ के मेरा मेसेज लगता है मुस्कराई हो,
यहां लॉन पूरा रौशन, गुलजार हो गया।
-कट्टा कानपुरी
*शेर संसोधन हरमेश सिंह की सलाह पर।
एक मिनट , जरा कोई फोन आ गया।
धनिया की जगह फिर से टमाटर ले आये
दुकान पर तेरा चेहरा फिर याद आ गया।
पूरा दिन बीता पर तुम्हें याद नहीं किया,
मना है याद करने को, ये याद आ गया।
प्रेम गली खुदी है,सीवर के पाइप पड़ रहे
इसीलिये उचक के मैं फेसबुक पे आ गया।
तेरी तस्वीर पे इत्ती जोर से लाइक लिया
अंगूठा मेरा स्क्रीन के पार* आ गया ।
पढ़ के मेरा मेसेज लगता है मुस्कराई हो,
यहां लॉन पूरा रौशन, गुलजार हो गया।
-कट्टा कानपुरी
*शेर संसोधन हरमेश सिंह की सलाह पर।
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