कल एक वीडियो लगाया अपनी आवाज में उस पर दोस्तों में काम भर की दाद मिली। हो सकता है तारीफ बस यूँ ही टाइप हो लेकिन सहज विश्वासी होने के नाते हमने उनको सच माना। तारीफ़ को सच मानते ही 'कट्टा कानपुरी' की दूसरी तुकबन्दियाँ भी ठुनकते हुए बोली- हमको भी 'यू ट्यूब' ले चलो। फेसबुक पर सटाओ।
हमने हीला-हवाली की तो कुछ युवा तुकबन्दियां तो नारेबाजी करने लगीं। नारे चुक गए तो इंकलाब जिंदाबाद और वन्देमातरम की चिंघाड़ लगाने लगी। मजबूरी में फिर हमने एक मोहब्बत की तुकबन्दी को 'यू ट्यूब' पर डाल दिया। सुनिए।आप भी लाइक तो कर ही चुके।
हमने हीला-हवाली की तो कुछ युवा तुकबन्दियां तो नारेबाजी करने लगीं। नारे चुक गए तो इंकलाब जिंदाबाद और वन्देमातरम की चिंघाड़ लगाने लगी। मजबूरी में फिर हमने एक मोहब्बत की तुकबन्दी को 'यू ट्यूब' पर डाल दिया। सुनिए।आप भी लाइक तो कर ही चुके।
यह वीडियो और कल का वीडियो भी लगाते हुए कहना यह है कि जिन मित्रों को कविता /कहानी/ व्यंग्य पाठ या फिर गीत में रूचि है वे भी अपनी आवाज में यू ट्यूब पर टेप करके साझा कर सकते हैं। हमसे खराब आवाज तो किसी की ही हो शायद।जब हम साझा कर सकते हैं तो आप क्यों नहीं।
फिलहाल यह वीडियो सुनिए:
https://www.youtube.com/watch?v=AnTooQ5CVqU
फिलहाल यह वीडियो सुनिए:
https://www.youtube.com/watch?v=AnTooQ5CVqU
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