सबेरे एक मधुमक्खी दिखी थी नहानघर में। काटा नहीं उसने तो हम उसको ऐसे ही छोड़कर चले गए दफ्तर।
अभी शाम को फिर देखा तो वह बाशबेसिन के शीशे पर चुपचाप बैठी थी। लगा दिन भर इधर-उधर उड़ते- उड़ते थक गयी होगी। हम उसको शीशे पर बैठा छोड़कर आकर लेट गए।
फिर लेते-लेते सोचते रहे कि क्या पता वह भूखी हो।कुछ खाने को न मिला हो दिन भर।
अभी शाम को फिर देखा तो वह बाशबेसिन के शीशे पर चुपचाप बैठी थी। लगा दिन भर इधर-उधर उड़ते- उड़ते थक गयी होगी। हम उसको शीशे पर बैठा छोड़कर आकर लेट गए।
फिर लेते-लेते सोचते रहे कि क्या पता वह भूखी हो।कुछ खाने को न मिला हो दिन भर।
कुछ देर सोचने के बाद पैंट की जेब से रुमाल निकाला। उसमें लपेटकर उसको
बाहर छोड़ दिया। छोड़ते समय रुमाल इतनी तेज झटका कि लगा कन्धा एक बार फिर उतर
जायेगा।
अब अंदर आकर फिर सोच रहे हैं कि कहीँ ऐसा तो नहीं कि उसका मन कमरे के अंदर ही रहने का कर रहा हो। हमने उसे बाहर छोड़ दिया तो वह दुखी हो गयी हो। क्या पता दिन भर में उसकी किसी से दोस्ती हो गयी हो और बाहर कर देने से उससे उसकी दूरी बढ़ गयी हो और वह उदास हो।
अगर मधुमक्खी हिंदी जानती होती तो वह अपने मन की बात मुझे बता देती और हम उसके हिसाब से उसके साथ आचरण करते।
इसीलिये कहते हैं कि सबको हिंदी सीखनी चाहिए।
अब अंदर आकर फिर सोच रहे हैं कि कहीँ ऐसा तो नहीं कि उसका मन कमरे के अंदर ही रहने का कर रहा हो। हमने उसे बाहर छोड़ दिया तो वह दुखी हो गयी हो। क्या पता दिन भर में उसकी किसी से दोस्ती हो गयी हो और बाहर कर देने से उससे उसकी दूरी बढ़ गयी हो और वह उदास हो।
अगर मधुमक्खी हिंदी जानती होती तो वह अपने मन की बात मुझे बता देती और हम उसके हिसाब से उसके साथ आचरण करते।
इसीलिये कहते हैं कि सबको हिंदी सीखनी चाहिए।
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