Tuesday, September 22, 2015

मुस्कराओ खिली रहो हमेशा

तुमको मुस्कराते देखा
तो मन किया
स्टेच्यू बोल दूँ तुमको
ताकि मुस्कान बनी रहे
तुम्हारे चेहरे पर हरदम।

पर फिर सोचा
फिर तो तुम बनकर
रह जाओगी मैनिक्वीन
जिसमे चस्पा रहती है
हमेशा एक सी मुस्कान।

अब यह चाहता हूँ
कि हमेशा मुस्कराओ
नए नए अंदाज में
हर अंदाज पहले से अलग।

मुस्कराओ
खिली रहो हमेशा
जैसे खिलते हैं घाटियों में फूल
बगीचे में फूलों पर इतराती हैं तितलियाँ
और मुस्कराती है कायनात सूरज की किरणों के साथ।

-अनूप शुक्ल

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