Sunday, October 11, 2015

चाहना (प्रमिला के लिए)



मैं तुम्हारे तन की
ताजगी होना चाहता हूँ
तुम्हारे चेहरे की आभा


तुम्हारे हृदय का
उल्लास होना चाहता हूँ
वाणी का स्फुरण

तुम्हारे कण्ठ का
गीत होना चाहता
तुम्हारी जिव्हा का शाप

तुम्हारे श्वास की
सुगन्ध होना चाहता हूँ
मन की उदारता

तुम्हारी चेतना का
चेहरा होना चाहता हूँ
प्रेरणा का प्रकाश

तुम्हारीं आकांक्षाओं का
आगार होना चाहता हूँ
सम्बंधों की घनिष्टता

तुम्हारी पेशानी का
पसीना होना चाहता हूँ
तुम्हारी पीड़ा का पतझड़

मैं फिर से वही
तुम्हारे विश्वास की
खिलती कली होना चाहता हूँ।

-प्रियंकर पालीवाल
'वृष्टि छाया प्रदेश का कवि' कविता संग्रह की
कविता Priyankar जी ने अपनी पत्नी प्रमिला जी
के लिए लिखी। हम लोग कलकत्ता में मिले पिछले माह
तो जबरियन यह रिकार्डिंग हुयी।
अड्डेबाजी हुई शिवकुमार मिश्र के दफ्तर में।

https://youtu.be/IX7_zWQRYHA

No comments:

Post a Comment