क्या खूब मजे का हिसाब है,
आज नौकरी भी इंकलाब है!
आज नौकरी भी इंकलाब है!
पता नहीं कब कहां रगड़ दें,
मालिकों का दिमाग खराब है।
मालिकों का दिमाग खराब है।
कल जिस काम पर खुश थे,
आज उसी पर गर्म बेहिसाब हैं।
आज उसी पर गर्म बेहिसाब हैं।
अरे चाय पियो यार मस्त रहो,
आज दुनिया का यही हिसाब है।
आज दुनिया का यही हिसाब है।
-कट्टा कानपुरी
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