आज सुबह इतवारी है। शिद्दत से पंकज बाजपेयी याद आये। साइकिल स्टार्ट किये। 'पैडल स्टीरियिंग' दबाते हुए पहुंच गए ठीहे पर । बीच का तमाम तसबरा बाद में। पहले मिलाते हैं पंकज जी से।
पंकज बाजपेयी ठीहे पर बैठे थे। देखते ही उठकर बोले-'कहाँ थे आये नहीं इत्ते दिन।'
हमने बताया -'घर बदल गया है। इसलिए इधर से नहीं गुजरते।'
गाड़ी कहाँ है? -- पंकज जी ने पूछा
'वो खड़ी है।'- हमने साईकल की तरफ इशारा किया।
कार किधर है आपकी ? -फिर सवाल।
घर में है - हमने बताया।
आप नई कार ले लो। 300 रुपये क़िस्त में मिल जाएगी। मम्मी से बात कर लो अभी। घर में हैं। फ्लाइट भी है उनमें। दो मिनट में लखनऊ पहुंच जाओगे।
हमने कहा - ले लेंगे।
इसके बाद फिर कोहली की शिकायत करने लगे। कोहली को पकड़वाओ। लड़कियों को खराब कर रहा। लीबिया वाले बच्चों को पकड़ ले जा रहे हैं। खाते हैं । उनकी शिकायत करो।
हमने उनकी तबियत पूछी। बोले -'सब ठीक है। बस स्नोफिलिया है।'
मामा की दुकान पर चाय पीने गए। गए । बोले - इनको। चाय पिलाओ।
अपनी चाय पास के मग में लेकर वापस ठीहे पर लौट आये। चाय वाले ने बताया - 'कोई आता है सुबह। कुछ पांच-दस रुपये दे देता है। इसीलिए वहीं चले गए। थोड़ी देर में दूध का पैकेट लेकर पियेंगे।'
और बताया - 'इत्ती बड़ी प्रापर्टी पर लोगों ने कब्जा कर लिया। ऊपर एक कमरे में पड़े रहते हैं। इलाज कौन कराए।'
लौटे तो फिर बात हुई।हमने कहा -' हमारे दोस्त शर्मा जी हैं बात करना चाहते हैं। करेंगे?'
ले आइए कभी भी -बोले।
हमने कहा - फोन पर बात करेंगे?
बोले -नहीं।
फोटो दिखाई तो बोले -इसमें रंग नहीं आ रहे। दूसरा ले लो मोबाइल।
हमने दिखाया तो बोले -हां अब ठीक।
चलते हुए हाथ मिलाया। फिर बोले -'कोहली को पकड़वाओ।'
फिर कुछ याद आया।बोले -'वो थानेदार ने मेरे खिलाफ वारंट निकलवाया है। वो दूसरे पंकज हैं। उसने गड़बड़ किया है। थानेदार ने पैसे खाये हैं।'
हमने कोहली को पकड़वाने का वादा किया। थानेदार की शिकायत का भी भरोसा दिलाया और वापस चल दिये।
यह पोस्ट पंकज बाजपई के ठीहे से उनसे 15 कदम दूर खड़े-खड़े लिखी गयी। बाकी के किस्से बाद में।
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