राजनीति की मुश्किल समझो भैया,
कैसे आयें नेता अच्छे,बढिया भैया।
ढेर पईसा चहिये चुनाव लड़ने को,
वोटर को दारू-पानी चहिये भैया।
वोटर को दारू-पानी चहिये भैया।
जाति-वाति भी तो देखनी पड़ती है,
नेता मतलब लिकड़मी हो भैया।
नेता मतलब लिकड़मी हो भैया।
सीधा-साधे को तो सब खा जायेंगे,
नेता तो बाहुबली ही चहिये भैया।
नेता तो बाहुबली ही चहिये भैया।
ऐसे में तो कुछ केस बनेंगे ही जी,
कुछ में सजा तो हो जायेगी भैया।
कुछ में सजा तो हो जायेगी भैया।
अब उनको भी यदि बैन करोगे जी,
कैसे फ़िर अपना देश चलेगा भैया।
कैसे फ़िर अपना देश चलेगा भैया।
राजनीति तो वैसे ही मुश्किल है जी,
अब ये नया लफ़ड़ा भी झेलों भैया।
अब ये नया लफ़ड़ा भी झेलों भैया।
जनता की सेवा कित्ती मुश्किल है,
राजनीति की मुश्किल समझो भैया।
राजनीति की मुश्किल समझो भैया।
-कट्टा कानपुरी
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