जब मनुष्य को वर्तमान से अतीत अधिक सुंदर दिखाई देने लगे और भविष्य दिखाई देना बंद हो जाये तो समझ लेना चाहिए कि वो बूढ़ा हो गया है। यह भी याद रहे कि बुढ़ापे का जवानीलेवा हमला किसी भी उम्र में... विशेष रूप से जवानी में हो सकता है। अगर अफीम या हेरोइन उपलब्ध न हो तो उसे अतीत की याद और फैंटेसी में, जो थके- हारों का अंतिम आश्रय-स्थल है, खुशी महसूस होती है। जैसे कुछ बहादुर और कड़ियल लोग अपनी भुजाओं की शक्ति से अपना भविष्य आप बनाते हैं, इसी तरह वो अपने विचारों की शक्ति से अपना अतीत आप बना लेता है।
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
’खोया पानी ’
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