Saturday, November 16, 2019

पोर्टलैंड- मल्टनोमाह फ़ॉल की सैर


सुरेंद्र Surendra Gupta के यहां से देर रात लौटे। थके थे। सोये तो फ़िर सुबह ही नींद खुली।

सुबह उठते ही कई चाय के दौर चले। इंद्र Indra के बेटे देवांशु खुद चाय नहीं पीते लेकिन बनाते बढ़िया है। उनके इस हुनर की तारीफ करते हुए उनका जमकर शोषण किया गया। कई बार 'बढ़िया चाय' बनवाई गई।
तारीफ अक्सर मोहब्बत के साथ शोषण की आधारशिला होती है।
चाय के दौर के बाद प्रभा( श्रीमती इंद्र अवस्थी) को लेने एयरपोर्ट गए। बिटिया डिम्पी सर्विस करती हैं। बिटिया को बाहर का खाना-पीना उतना जमता नहीं इसलिए बिटिया की मम्मी अक्सर बिटिया के साथ रहती हैं। उसी तरह जैसे अपने यहां कोटा से इंजीनियरिंग की कोंचिंग करने वाले बच्चों की मम्मियां उनके साथ रहती हैं।


प्रभा ने आते ही घर का मोर्चा संभाला। चाय से शुरु करके नाश्ते, खाने के मोर्चे पर जमकर बैटिंग की। खूब रन बटोरे। हम लोग भी न , न करते हुए खाने-पीने में लगे रहे। प्रभा को हर काम के पूरे नम्बर मिलते रहे। वो भी यात्रा की थकान किनारे करके जुटी रहीं।
दोपहर के करीब हम घूमने निकले। शहर से बाहर निकलते ही मौसम सुधर गया। आशिकाना टाइप। धूप गुलजार हो हो गयी। जिधर देखो उधर हरियाली। समझ लीजिए मौसम एकदम अंगेजी में 'आसम ' मतलब कातिलाना हो गया।
शहर से निकलते ही सामने बर्फ से ढंकी कुछ चोटियां दिखने लगीं। लगा एक बार फिर लेह-लद्दाख पहुंच गए। इंद्र ने बताया कि पहाड़ की चोटी के पास ही ज्वालामुखी हैं।


इनमें से एक सेंट हेलन ज्वालामुखी जीवित ज्वालामुखी है। पोर्टलैंड से 50 मील दूर उत्तर-पूर्व में। यह आखिरी बार यह 18 मई, 1980 को फटा था। विस्फोट में 57 लोग मारे गए । विस्फ़ोट के बाद ज्वालामुखी की ऊंचाई 9677 फुट से घटकर 8363 फुट हो गयी। शायद विस्फ़ोट से 57 लोगों को निपटा देने की सजा मिली हो। क्या पता इस सजा के चलते ही ज्वालामुखी उसके बाद नहीं फटा।
दूसरा ज्वालामुखी माउन्ड हुड भी शहर से 50 मील दूर है। पूर्व में। जाते देखने तो घण्टे भर में किसी भी ज्वालामुखी तक पहुंच जाते। लेकिन गए नहीं।मारे डर के। क्या पता हमको देखकर ही उनकी भुजाएं फड़क उठतीं। कोई फट जाता। तो अमेरिका वाले हमको दोष देते। बिना बात के हम बुरे नहीं बनना चाहते थे। इसलिए हम उधर नहीं गए। माल्टोना झरना देखने चल दिये।


620 फुट ऊंचा मल्टनोमाह झरना अमेरिका का दूसरा सबसे ऊंचा झरना है जिसमें साल भर पानी बहता है।झरने का नाम विलायमत नदी के मुहाने पर रहने वाले अमेरिका के चिनूकन कबीले से जुड़ा है। मन्टोना मतलब नीचे बहने वाली नदी। झरने में 75 गैलन/सेकेंड से लेकर 7500 गैलन/सेकेंड पानी बहता है। ओरेगन प्रांत में स्थित इस झरने को हर साल करीब 20 लाख लोग आते हैं।
झरने के रास्ते में कई जगह दर्शनीय स्थल दिखे। गांव भी दिखे। लेकिन गांव का मतलब अपने यहां के गांव जैसे नहीं कि 50-100 घर बनें हो। झोपड़ियां हों। पनघट हो। गोबर पाथने के लिए गोबर हो। पुआल हो। जाति के हिसाब से अलग-अलग टोले हों। जाति बाहर शादी पर कत्ल होते हों।


अमेरिका के गांव सड़क किनारे ही होते हैं। हर तरह की न्यूनतम सुविधाओं से युक्त । बिजली, पानी, फोन की सुविधा से लैस। किसानों के पास सैकड़ों एकड़ जमीन होती है। ट्रेक्टर और अन्य सुविधा सहित। पूरी खेती यंत्रों के साथ करने के लायक होती है। यह नहीं कि धान रोपाई के समय कहीं से मजदूर आ रहे हैं, गेंहू कटाई के समय भी। सब काम खुद करने की सुविधा से युक्त होते हैं यहां के किसान। यहां किसान 'ग्राम देवता नमस्कार'वाला दीन हीन प्राणी नहीं होता। चकाचक साधन युक्त नागरिक होता है। उनके रहन सहन को देखकर लगा कि कम से कम कर्ज चुकाने में असमर्थ रहने पर यहां कोई किसान आत्हत्या नहीं करता होगा।
सड़क किनारे कुछ गांवों के पास से गुज़रते हुए हमने घरों के बाहर खड़े ट्रैक्टर देखे। अस्तबलों में हिनहिनाते हट्टे-कट्टे घोड़े देखे। झुंड में चरती गायें देखी। एक जगह सड़क के एकदम बगल में खेत में बंद गोभी की क्यारियां दिखीं। उनमें सैकड़ों बन्द गोभियां धूप-स्नान कर रहीं थीं।


हमारे अगल-बगल कोलंबिया नदी बह रही थी। साफ नीला पानी। कुछ जगहों पर पिकनिक स्पॉट टाईप बने थे। ऐसी जगहों पर रुककर लोग फोटो खींच रहे थे। शहर से बहुत दूर इन स्थानों पर गाड़ियों की पार्किग के लिए मार्किंग बनी थी। लोग उनमें ही अपनी गाड़ियां खड़ी कर रहे थे।
एक जगह हमने खड़े होकर भी फोटो खिंचाई। हमारे वहां रहते दो बुजुर्ग , शायद रिटायर्ड, महिलाएं वहां आईं। हम लोगों के अनुरोध पर उन्होंने हमारी फोटो खींची। फिर अपनी भी खिंचवाई। धन्यवाद का हिसाब बराबर हुआ। महिलाएं चहकती हुई गाड़ी में बैठकर चलीं गयीं। अमेरिका में महिलाओं का यह अकेले घूमने का आत्मविश्वास आम बात है। अपने यहां शहर से इतनी दूर महिलाओं का अकेले घूमने जाना अभी उतना सहज और आम नहीं हो पाया है।
मल्टनोमाह फ़ॉल पर पहुंचकर गाड़ी से उतरे। कसकर अंगड़ाई ली। बदन तोड़ा- मरोड़ा। फिर हाथ-पैर झटककर रेस्टरूम में हल्के हुए। इसके बाद झरने के दर्शनार्थ गम्यमान हुए।


झरना स्थल पर रेस्ट रूम, गिफ्ट सेंटर, काफी-नाश्ते के साथ-साथ झरने से सम्बंधित जानकारी प्रदान करने के लिए सहायता केंद्र भी था। सहायता केंद्र में स्वयंसेवक भी थे जो लोगों को उत्साह पूर्वक जानकारी दे रहे थे। आसपास के झरने के बारे में जानकारी और उसके बारे में फोटो एलबम भी था वहां।
गिफ्ट सेंटर की बात चली तो बतातें चलें कि जैसे अपने यहां हर मंदिर पर फूल-माला या प्रसाद की दुकान होती है वैसे ही यहां हर दर्शनीय स्थल/स्मारक पर गिफ्ट सेंटर अवश्य होता है। देखकर निकलो तो याद के रूप में कुछ न कुछ लेते जाओ। यह अलग बात कि हम मंदिर में प्रसाद चढ़ाने के लिये उतावले नहीं रहते हैं । यह आदत अभी तक यहां भी बनी हुई है। हर गिफ्ट सेंटर से अभी तक बेदाग, बेख़र्च सलामत बाहर आते रहे।
झरने के चारों तरफ ऊंचे पेड़। झरना एकदम अनुशासित बच्चे सा ऊपर से नीचे बह रहा था। तेज चलती हवा उसको इधर-उधर भटकाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन शरीफ झरना हवा के बहकावे में आये बिना बिना किसी भटकाव के ऊपर से नीचे बहता रहा।
झरने के पास खड़े होकर लोग फोटो खिंचाने में जुटे हुए थे। हम भी लग लिए। कई पोज में फोटो खिंचाई। सब लोगों की साथ फोटो खिंचाने के लिए वहां मौजूद लोगों से 'एक्सक्यूज मी' और 'थैंक्यू वेरी मच' के हथियार का उपयोग फोटो खिंचाये गए।
वहां दो युवा पुरुष हाथ में हाथ डाले टहल रहे थे। साथ के लोगों ने घोषणा की कि जोड़ा समलैंगिक है। उनके साथ एक छोटा बच्चा भी था। हनारा सवाल यह था कि अगर यह जोड़ा समलैंगिक है तो बच्चा किसका होगा?
हमारे सवाल का जबाब यह आया कि किसी का भी हो सकता है बच्चा, हो सकता है कि गोद लिया हो लेकिन यह पक्का है कि जोड़ा समलैंगिक है। उनके हाव-भाव बताते हैं।
अमेरिका में समलैंगिक होना अपराधबोध या 'लोग क्या कहेंगे ?' घराने के सवालों से मुक्त है। लोग खुलकर स्वीकर करते हैं और सहज जीवन जीते हैं। पुरुष समलैंगिक जोड़े में दोनों लोग अपने साथी को 'माई हसबैंड' कहते हैं। इसी तरह 'महिला समलैंगिक' दोनों लोग एक-दूसरे की 'माई वाइफ' होते हैं।
भारत में कानूनन समलैंगिकता अपराध न होने के बावजूद सामाजिक रूप से इसे सहज स्वीकृति नहीं मिली है। ऐसे जोड़े महानगरों में भले आराम की जिंदगी जी सकें लेकिन छोटे जगहों में छिपकर, छिपाकर ही जीते हैं। 'अलीगढ़ टाइम्स' पिक्चर में इस समस्या के बारे चित्रण है जिसमें सामाजिक तिरस्कार के चलते समलैंगिक प्रवृत्ति का प्रोफेसर अंततः आत्महत्या कर लेता है।
कुछ देर वहां रहने के बाद अपन लोग वापस लौटे। सड़क बहुत दूर तक कोलंबिया नदी के साथ चलती रही। नदी मानो सड़क के साथ-साथ भागती चली। साफ नीला पानी धूप में क्यूट एन्ड स्वीट च लग रहा था।
एक जगह नदी किनारे खड़े होकर फोटो खींचे। हवा इतनी तेज चल रही थी कि मेरा पूरा शरीर हवा में पतले बांस की तरह हिल रहा था। बहुत तेज हवा शरीर को ऐसे हिल रही थी मानो गिरहबान पकड़कर झकझोर रही हो मुझे। फोटो खींचने के लिए मोबाइल कैमरा पकड़े हाथ इतनी तेज आगे-पीछे हो रहे थे कि अगर मोबाइल छोड़ देते तो वह न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के अधीन नीचे गिरने की बजाय सीधे मेरे दांत तोड़कर गिरा देता। न्यूटन गुरुत्वाकर्षण बल की बेइज्जती खराब हो जाने से बचाने के लिए हमने कैमरा इतनी तेजी से पकड़ा जितनी तेजी से गठबंधन सरकारें अपने निर्दलीय विधायकों को मंत्रीपद आदि देकर जकड़कर रखती हैं। फोटोबाजी करके हम आगे बढ़े। शाम होने से पहले पोर्टलैंड लौट आये।

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