1. वास्तव में अनाथ तो उस अनाथालय के अध्यक्ष और मन्त्री और कमेटी के मेम्बर हैं। ये लड़के तो उनके पालनकर्ता हैं। ये बैन्ड बजाकर पैसे मांगते हैं और उस पैसे से उन लोगों का पेट भरता है। ये तो अनाथालय के प्रबन्धकों के माई-बाप हैं। असल अनाथ तो वे हैं जो अनाथालय चलाते हैं।
2. टिकट के मौसम में गांधीवादी बाज होता है। झपट्टा मारा और टिकट ले भागे।
3. अपनी स्त्री से बढकर अपनी प्रसंशा सुनने वाला धैर्यवान श्रोता और कौन मिलेगा।
4. जो जितना बड़ा होता है उतनी ही चापलूसी पसन्द होता है।
5. व्यभिचार से जाति नहीं जाती; शादी से जाती है।
6. अरे, जब यह कहा जाये कि स्त्री बाहर निकले , तब यह अर्थ होता है कि दूसरों की निकलें, अपनी नहीं।
7. अश्लील पुस्तकें कभी जलायी नहीं गयीं। वे अब अधिक व्यवस्थित ढंग से पढी जा रही हैं।
8. स्मगलिंग तो अनैतिक है लेकिन स्मगल किये हुये सामान से अपना या अपने भाई-भतीजे का फ़ायदा होता है, तो यह काम नैतिक हो जाता है।
9. साहूकार खुदा का सच्चा नूर होता है।
10. दुनिया भगवान को पूजती है, पर अपने से कम अक्ल भी उसे समझती है।
11. अगर दो साइकिल सवार सड़क पर एक-दूसरे से टकराकर गिर पड़ें तो उनके लिये यह लाजिमी हो जाती है कि वे उठकर सबसे पहिले लड़ें, फ़िर धूल झाड़ें। यह पद्धति इतनी मान्यता प्राप्त कर चुकी है कि गिरकर न लड़नेवाला साइकिल सवार बुजदिल माना जाता है, क्षमाशील सन्त नहीं।
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