1. इस देश में सामप्रदायिक दंगे का उन्माद मिर्गी के फ़िट की तरह कुछ शहरों में आता रहता है।
2. मिर्गी के फ़िटग्रस्त को जूता सुंघाया जाता है, जिससे वह होश में आ जाता है। मगर इन शहरों में साम्प्रदायिक दंगा कराने वाले नेताओं, रहनुमाओं को आजतक जूता नहीं सुंघाया गया। ये मिर्गी के स्थायी फ़िट के आनन्द में रहते हैं।
3. भजन भी दो नम्बरी हो गये। जहां नेता, व्यापारी, शासक. धर्मगुरु, समाज सेवक सब दो नम्बरी हो गये, वहां भगवान एक नम्बरी रहकर क्या अपनी दुर्गति करायें? क्या ईमानदार अफ़सर की तरह जंगली इलाके में तबादले का बनवास भोगें? भगवान भी दो नम्बरी हो गया।
4. भगवान के सोने की चोरी के शक में जो पकड़े गये हैं, उनमें मन्दिर के प्रधान महन्त भी शामिल हैं। भगवान भी नेता की तरह चमचे से हार जाते हैं।
5. हम नेता की बुरी हरकत का फ़ौरन अनुकरण करते हैं। नेता अगर कोई औरत भगा ले जाये, तो उसके हजारों अनुयायी औरत भगाते हैं। पर कोई नेता अगर ठीक कर चुकाये , तो इससे उल्टी प्रेरणा पाकर उसके अनुयायी कर-चोरी करते हैं।
6. देश को छोटे-छोटे क्षेत्रों में, भाषाई इकाइयों में, साम्प्रदायिक आधार पर , सांस्कृतिक समूहों में, जाति में, वर्ण में, बांटने की तैयारी कर रहे हैं –हमारे बौने नेता। भारत की एकता नष्ट करने के आसार हैं।
7. इस देश का नेता जनता को बदचलन औरत समझकर उसे तरह-तरह से फ़ुसलाता है – अपनी नेताई छवि से, वादों से, नारों से, उछल-कूद से, लोभ से, छाती-पीट से, अश्रुपात से, हिन्दूवाद से, गांधीवाद से, समाजवाद से- गाने गाता है, सीटी बजाता है, हाव-भाव करता है। मगर कभी जनता पलटकर इस नेता को चप्पल जड़कर कहती है – हरामजादे, मैं क्या तुझे जानती नहीं हूं, तू शोहदा है। मैं कोई बदचलन औरत नहीं हूं।
8. पद पर चिपका रहने वाला नेता, जब इस्तीफ़ा देता है, तब वह ’मेकप’ करता है।
9. इतिहास को जब न्याय करना होता है, तब वह अन्यायी के हाथ में कुदाली देकर कहता है- अपनी कब्र खोद।
10. अमरीकी शासक वर्ग का यह चरित्र है कि वह अनुभव से कभी कुछ नहीं सीखता।
11. हीरो ही नहीं ’विलेन’ भी हरा सकता है। बस, विकल्प चाहिये। जनता के सामने विकल्प पेश करने की जरूरत है। जनता उसे राजसत्ता सौंप देगी।
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