*इंसान को मुसीबतजदा लोगों की तरफ से जरूर लड़ना चाहिए, लेकिन अगर वह लड़ाई के सिवा हर चीज में दिलचस्पी लेना बंद कर दे तो लड़ाई का क्या फायदा?
*प्यार के बगैर दुनिया मौत की तरह सूनी है और हमेशा इंसान की जिंदगी में ऐसा वक्त आता है जब वह कैद से, अपने काम से, कर्तव्य परायणता से ऊब जाता है, और सिर्फ एक ही चीज की तमन्ना करने लगता है - किसी प्रिय चेहरे की, प्यार भरे किसी दिल की गरमी और जादू पाने की।
*इंसानों में घृणा करने योग्य बातों की अपेक्षा प्रशंसनीय गुण अधिक मात्रा में हैं।
अल्वेयर कामू के उपन्यास ' प्लेग' से।
https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10222259703254963
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