हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै
जहां-जहां उपस्थित हो तुम , वहां-वहां बंजर कुछ नहीं रहना चाहिए ,निराशा का कोई अंकुर फूटे,तुम्हें ऐसा कुछ नहीं कहना चाहिए|
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