सवारियों के लिए खाना लग रहा है। एक घंटे बाद आने वाली ट्रेन के लिए लग रहा है खाना। सारी प्लेट अनुशासन से एक के बग़ल एक सटी तैयार हो रहीं हैं। कोई प्लेट किसी से लड़ाई नहीं कर रही है। प्लेट का सामान भले ही अलग- अलग जगह से आया हो, चावल कहीं से , आटा कहीं से , अचार कहीं से लेकिन प्लेट पर आकर सब एक हो गए हैं। एक सूत्र में बंध हुए हैं। एक ही गाड़ी में जाने को तैयार। किसी की कोई जिद नहीं कि लीडर हमको बनाओ, तभी साथ आएंगे। थाली का खाना सच्चे अर्थों में मेल-जोल और बंधुत्व भाव का नायाब उदाहरण है। भाई चारा और बहकापा हो तो थाली के खाने की तरह। यहाँ मिर्च और रसगुल्ला अगल-बग़ल में गलबहियाँ डाले मस्ती से रह लेते हैं। बिना सीटों में बँटवारे के लिए जूतमपैजार के गठबंधन बना लेते हैं। उनको लोगों का पेट भरना है , कोई सरकार बनाकर सेवा के नाम पर मनमानी थोड़ी करनी है।
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