सैनफ्रांसिस्को में रहने के दौरान आसपास की कई जगहें देखीं। एक दिन सेल्सफोर्स आफिस भी गए देखने। सेल्सफोर्स में हमारे बड़े बेटे सौमित्र काम करते हैं। सौमित्र ने ग्रेजुएजन करने के बाद चार साल बैंक आफ़ अमेरिका में नौकरी की। इसके बाद नौकरी छोड़कर एमएस करने अमेरिका गए। एम एस कंप्यूटर साइंस में किया जबकि बीटेक उन्होंने दूसरी ब्रांच से किया था। बहुत मेहनत करनी पड़ी। लेकिन मेहनत और लगन का ही परिणाम हुआ कि वे सफल हुए और काम भी मिल गया। एक बार फिर मेरा भरोसा इस बात पर मजबूत हुआ कि लगातार मेहनत और लगन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। इस मामले में मेरा बेटा मेरा रोल माडल बना।
सेल्सफोर्स अमेरिका की बड़ी साफ्टवेयर कंपनियों में से एक है। इसकी स्थापना 1999 में हुई थी। मुख्यत: ग्राहकों के संबंध प्रबंधन का (customer relationship management (CRM))। 23 साल पहले शुरू हुई कंपनी में करीब 56000 लोग काम करते हैं। 1999 से याद आया कि इसी साल हमने पहली कार खरीदी थी जिसको बेंच देने के के सुझाव रोज मिलते हैं। कार और कंपनी में यही फरक होता है। 1999 के बाद ही Y2K का हल्ला हुआ था। पूरी दुनिया में इस बात पर चिंतित थी कि 1999 से 2000 होते ही सारे कंप्यूटर बावले हो जाएंगे। कंप्यूटर पर आधारित कंपनियों के 12 बजे हुए थे। कंप्यूटर का ‘क’ जानने वाले और ‘की बोर्ड’ पर खटर-पटर कर लेने वाले थोक के भाव अमेरिका जा रहे थे। पता नहीं सेल्सफोर्स की स्थापना में Y2K का भी कुछ योगदान था कि नहीं लेकिन आज यह कंपनी अमेरिका की अच्छी साफ्टवेयर कंपनियों में मानी जाती है।
सैनफ्रान्सिसको में सेल्सफोर्स कंपनी का मुख्यालय है। 61 मंजिला सेल्सफोर्स टावर, जिसमें यह कंपनी स्थित है , सैनफ्रान्सिसको की सबसे ऊंची इमारत है। समुद्र किनारे की ऊबड़-खाबड़ जमीन पर 61 मंजिला इमारत बनाना बड़ी चुनौती है लेकिन जहां चाह- वहाँ राह। 326 मीटर ऊंची इस इमारत की नींव लगभग 91 मीटर गहराई तक गई है। इस टावर में कई प्रसिद्ध कंपनियों के दफ्तर हैं।
टावर की पाँचवी मंजिल में बना बगीचा अपने आप में अनूठा है। जमीन से पाँच मंजिल की ऊंचाई पर फूल, पौधे , पेड़ , घास का मैदान दिखना अपने में अनूठा अनुभव था।
सेल्सफोर्स टावर की 61 वीं मंजिल से पूरी शहर का नजारा दिखता है। ऊंची इमारतें , गोल्डन गेट , समुद्र का नजारा और धूप में खिला शहर। जगह-जगह अलग-अलग अंदाज में मूर्तियां , पेंटिंग्स और दीगर चीजें। आइंस्टीन बाबा की मूर्ति भी वहां दिखी। उसे कारीडोर में खूबसूरत फूल और पत्तियों वाला लता पेड़ भी दिखा।
61 वीं मंजिल ओहाना फ्लोर कहलाता है। हवाई भाषा के शब्द ओहाना का मतलब पारिवारिक होता है। नाम के अनुसार ही ओहाना मंजिल में एकदम पारिवारिक माहौल था। ऐसे जैसे किसी शादी-बारात में बड़े हाल में लोग आए हों। आपस में बैठे-बतियाते-गपियाते लोग। कई तरह के काउंटर में अलग-अलग तरह के खाने-पीने का इंतजाम। लोग खाने के काउंटर पर लैपटाप पर काम करते हुए खाने का इंतजार कर रहे थे। तरह-तरह के व्यंजन, केक, चाय-काफी , जो मन आए खाओ। सब कुछ फ्री। माले मुफ़्त, दिले बेरहम। यह पता होते हुए भी कि दुनिया में मुफ़्त कुच्छ भी नहीं होता, यह व्यवस्था आकर्षित करती है।
मल्टीनेशनल कंपनियों में खाने-पीने की मुफ़्त व्यवस्था मध्यमवर्गीय परिवारों से काम करने आए लोगों के लिए बड़े आकर्षण का काम करती हैं। बड़े शहरों में अकेले रहते हुए काम करने वाले लोगों के लिए यह भी दफ्तर जाने का एक
आकर्षण होता है।
कंपनियों में मुफ़्त के खाने की यह व्यवस्था तो तमाम लोकतान्त्रिक देशों की राजनीति की धुरी बन गई है। राजनीतिक पार्टियां मुफ़्त राशन , बिजली , पानी , पढ़ाई , मकान , लैपटाप आदि की घोषणा करते हुए चुनाव जीतने का जतन करती हैं। जिसके मुफ़्त के सामान का तुक्का लग जाता है वह पार्टी जीत जाती है। ‘ दुनिया में कुछ भी मुफ़्त होता’ वाली दुनिया में मुफ़्त के सामान के बदौलत सत्ता तक पहुँचने का यह अंदाज अपने में अनूठा विरोधाभास है।
ओहाना फ्लोर में मीटिंग के लिए कांफ्रेंस हाल भी है। हाल के चारों तरफ लगे शटर इस तरह के हैं कि जब मन आए खोल लो, जब मन आए हाल बंद करके मीटिंग करने लो। कंपनी के कर्मचारियों और अतिथियों के प्रयोग में आने वाला यह ओहाना फ्लोर सप्ताहांत में नानप्राफ़िट के लिए उपलब्ध हो सकता है।
ओहाना मतलब पारिवारिक माहौल वाला भाव सेल्सफोर्स कंपनी के काम-काज में भी होना बताया जाता है। 23 साल पहले शुरू हुई कंपनी का दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल होने में भी इस पारिवारिक भावना का भी योगदान होगा।
तीन-चार घंटे सेल्सफोर्स टावर घूमने के बाद हम वापस लौट आए। इमारत से बाहर निकलते ही मोबाइल पर संदेश आया – ‘सेल्सफोर्स आने का शुक्रिया।‘ हमने भी कहा –‘ शुक्रिया सेल्सफोर्स।‘
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