धर्म छोटे बड़े नहीं होते
जानते तो लड़े नहीं होते
चोट तो फूल से भी लगती है
सिर्फ़ पत्थर कड़े नहीं होते।
धर्म छोटे बड़े नहीं होते
जानते तो लड़े नहीं होते
कानपुर के हमारे प्रिय गीतकार विनोद श्रीवास्तव जी कुछ दिन पहले शाहजहाँपुर आए। उनसे मिलना भी हुआ । विनोद जी के कुछ गीत रिकार्ड किए। उनमें से एक मुक्तक यहाँ पेश है।