पिछले हफ़्ते मेरा तबादला महाप्रबंधक, आयुध वस्त्र निर्माणी शाहजहाँपुर से महाप्रबंधक, मार्केटिंग एंड एक्सपोर्ट्स टीसीएल हेडक्वार्टर , कानपुर के लिए हुआ।
कल निर्माणी से विदाई कार्यक्रमों के दौरान कामगार साथियों से मुलाकात के दरम्यान एक साथी खुर्शीद अकरम ने दो शेर शेर सुनाए। आप भी सुनिए:
कुल उलझने हैं ऐसी मेरी जिंदगी के साथ,
माना तेरी जिन्दगी में कुछ भी नहीं हूँ मैं,
जा उनसे जाके पूछ जिनको मयस्सर नहीं हूँ मैं।
दूसरा शेर सुनकर कृष्ण बिहारी 'नूर' का शेर याद आया:
मैं कतरा सही लेकिन मेरा वजूद तो है,
हुआ करे जो समन्दर मेरी तलाश में है।
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