Monday, April 08, 2024

पांडिचेरी की सुबह



गयी रात देर तक पांडिचेरी के समुद्र तट के किनारे टहलते रहे। सागर की लहरें किनारे तट से टकरा-टकराकर लौटती रहीं। रात होते-होते लोगों की आमद कम गयी। हम वापस आकर होटल में जमा हो गए।
देर रात तक समुद्र की लहरें हल्ला मचाती रहीं। उनकी आवाज उलाहने की तरह लग रही थी। मानों कह रहीं हों -'यहां आकर सोने आये हो? कुछ देर तो और बिताओ हमारे साथ।'
हमने कब लहरों का आमंत्रण ठुकराया और कब सो गए , पता ही नहीं चला।
सुबह उठे तो समुद्र तट देखने गए। सौ कदम से भी कम की दूरी पर समुद्र तट था। लहरों ने इठलाते हुए गुडमार्निंग किया। अपन किनारे बैठकर लहरों और आसपास की खूबसूरती निहारते रहे।
ऊपर सूरज भाई भी ड्यूटी ज्वाइन कर लिए थे। पूरी चमक के साथ आसमान में बैठे किरणों को जगह-जगह ड्यूटी पर लगा रहे थे।
बीच पर लोग टहल रहे थे। कुछ लोग काम पर जा रहे थे। मौसम खुशनुमा था। काफी देर वहीं एक बेंच पर बैठे बीच सुषमा को निहारते रहे। ढेर सारी फोटो ली। अपनी और लोगों की। अलग-अलग अंदाज में। कभी इस पोज में कभी उस पोज में। कोई चश्मा लगाकर कोई बिना चश्मे में। यह बात अलग कि फोटो जैसे हम थे वैसी ही आईं। कैमरे ने कोई अतिरिक्त सहयोग नहीं दिया।
तट किनारे से टहलने के बाद पास की ही बस्ती में घूमने निकले। लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजते दिखे। सड़क के दोनों किनारे लाइन से स्कूटर/बाइक्स खड़ीं थीं। ऑटो वाले सवारियों का इंतजार कर रहे थे। अपन को कहीं जाना तो था नहीं। अलबत्ता एक ऑटो का फ़ोटो जरूर खींच लिए। ऑटो वाले ने भी मना नहीं किया। सुबह-सुबह अच्छे मूड में रहा होगा।
पांडिचेरी 1954 तक फ्रांसीसी उपनिवेश रहा। आसपास जो घर बने हैं उनमें फ्रांसीसी झलक लगी। कई घरों में लिखाई रोमन अक्षरों में थी। समझ में नहीं आया, मतलब फ्रेंच में ही कुछ लिखा होगा। सड़कों पर ज्यादा भीड़ नहीं थी। हमारे देखते-देखते कई महिलाएं स्कूटर पर फर्राटा मारते हुए निकली। शक्ल से अंदाजा लगाया कि फ्रांसीसी ही रही होंगी। हो सकता है कहीं और से आईं हों लेकिन हमने फ्रांसीसी मान लिया तो मान लिया।
थोड़ी देर सड़क पर टहलने के बाद होटल वापस लौट आये। होटल के टैरेस से समुद्र तट साफ दिख रहा था। हमको याद आया कि हमने इस टेरस के लिए , जिससे समुद्र तट दिखता हो ,के लिए हजार रुपये अतिरिक्त दिए हैं। यह याद आते ही
हमने हजार रुपये वसूलने की मंशा से टेरेस पर खड़े होकर तमाम फोटो खींच डाले। ज्यादातर फोटो समुद्र की ही थीं। लगभग हर फोटो में समुद्र की किरणें इठलाती हुई हमको छेड़ सा रही थीं गोया कह रहीं हों-'वहां होटल में काहे घुसे बैठे हो। आओ हमारा समुद्र के स्टेज पर डांस देखो।'
हमने समुद्र की लहरों की बातों को अनसुना करते हुए टेरेस से ही फोटो लेना जारी रखा। वहीं किनारे पर एक युवा जोड़ा एकदम किनारे खड़ा फोटोशूट में जुटा था। अलग-अलग पोज में फोटो खिंचाते हुए। हमने जोड़े का भी एक फोटो खींच लिया। दूर से खींचे हुये फोटो को देखकर मुझे ऐसा लगा मानों कन्या अपने साथी के सर को अपने सामने झुकाए देख रही हो कि कहीं उसके बालों में रूसी तो नहीं है। हो सकता है कि कोई शैम्पू कम्पनी इस तरह की फोटो का उपयोग करके कहे -'हमारा शैम्पू इस्तेमाल करते तो यह स्थिति न आती।'
इस सब फोटोबाजी में दस बज गए। हमारे ड्राइवर का फोन भी आ गया। वो आने वाला था। हमने नहा-धोकर नाश्ता किया। नाश्ता टेरेस पर ही बैठकर किया। इस बहाने हजार रुपये का कुछ हिस्सा और वसूल किया।
नाश्ता करके अपन होटल खाली करके गाड़ी में बैठगये और पांडिचेरी शहर घूमने निकल लिए।
पांडिचेरी पर लिखी पिछली पोस्ट पढ़ने के लिए #पांडिचेरी क्लिक करें।

https://www.facebook.com/share/p/dBcwvPujHt98jnT6/

No comments:

Post a Comment