1. हमारे प्रजातांत्रिक देश में एक बड़ी सुविधा है कि आप महात्मा गांधी से सहमत होकर सत्तारूढ़ पार्थी चला सकते हैं और इसी महात्मा गांधी से सहमत होकर विरोधी दल बना सकते हैं।
2. मुझे बीड़ी पीता आदमी एक खादी पहने व्यक्ति से ज़्यादा गांधीवादी लगता है। इसमें भारतीय आत्मनिर्भरता है। बीड़ी की टेक्नोलाजी और पैकिंग, जिसे हम बंडल कहते हैं, भारत में परम्परा से विकसित टेक्नोलाजी है।
3. भ्रष्टाचार से परिचय बाल्यकाल में हो जाता है। जन्म लेते ही बच्चे को पता लग जाता है कि नर्स को कुछ लिए-दिए बिना उसकी सफलता से जचकी नहीं हो पाती।
4. पिछले वर्षों में व्यवस्था में मनुष्य के जीवन की सारी सुविधाएँ कम करते और छीनते हुए बाज़ार उपभोक्ता सामग्री से पाट दिया है। रिटायर्ड अफ़सर भी चैन से नहीं बैठता। वह प्राइवेट पार्टी के चक्कर काटता, चंद रुपयों के लिए सरकारी रहस्य बेचता, अपने पुराने प्रभाव को भुनाते हुए टेंडर मंज़ूर करवाता फिरता है। नौकरियाँ तलासता रहता है ,ताकि जीवन की सुरक्षा बनी रहे और जीवन की और ऐश की सामग्रियाँ ख़रीदी जा सकें।
5. जगह और परिस्थितियाँ पक्ष में हों ,तो शासन करने वाला हद दर्जा नीच हो सकता है।
6. जिसमें ख़रीदने की ताक़त होती है, उसका कभी कुछ नही बिगड़ता।
7. संसार के सभी देश एक कोण से दुकान होते हैं।
8. लू चली तो लोग मरे, ठंड बढ़ी तो लोग मरे, बाढ़ आयी तो कुछ डूब गए, तूफ़ान आया और इतनी मौतें हुई, प्रकृति संबंधी हर सूचना इस देश में मृत्यु की सूचना है।
9. हमारे देश में हेलिकाप्टर का यही महत्व है कि बाढ़ का तांडव देखा जाए। पानी जब जमा हो जाए तब उस पर आंसू बरसाकर पानी का स्तर और उठाया जाए।
10. सड़क से लेकर जंगल तक हमने आदमी को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। किसी के मरने से हमें कमी महसूस नहीं होती। हमारे देश के बड़े लोग शायद उसे माल्थस के सिद्धांत के अनुसार ज़रूरी और सही मानते होंगे।
11. सरकार यह मानकर चलती है कि मौसमी मौतें तो होंगी। जब सब कुछ नष्ट होने के साथ मौतें भी होंगी, तब हम भोजन के पैकेट गिराएँगे। जीवित को बचाने के लिए नहीं, मृतकों का श्राद्ध करने के लिए। हमारी यह संवेदना है, यही संस्कृति है।
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