1. एक जमाने में राजसूय यज्ञ करने वाले राजपाट छोड़ देते थे, और आज अनिश्चित कुर्सियों के इस देश में एक मुख्यमंत्री, जिसे सौ तिकड़म और उठा-पटक करने के बाद बतौर भीख और इनाम के मुख्यमंत्री पद मिलता है ,उसे त्यागते या निकाले जाते समय किटाने क्रियाकलाप करता है। अंतिम क्षण तक चिपके रहने की सम्भावना खोजी जाती है।
2. राजनीतिज्ञों की एक अदा है ,मौक़े पर चुप्पी मारना। कुछ लोग सिर्फ़ यह कहने के लिए पत्रकारों को बुलाते हैं कि मुझे कुछ नहीं कहना।
3. राज्यों में भ्रष्टाचार बढ़ता रहता है और वहाँ का समझदार वर्ग मन ही मन सोचता रहता है कि कब मंत्रिमंडल बदले। वह एक बयान नहीं देगा, कोई पहल नहीं करेगा। लोग सच भी स्वार्थवश बोलते हैं। अपना कोई लाभ नहीं तो सच बोलकर क्या करना ?
4. हमारा राष्ट्रीय चरित्र खिलाड़ियों का नहीं, दर्शकों का रहा है। जो जीता उसे कंधे पर उठाया , जो हारा उसे हूट करने लगे। साफ़ नहीं चिल्लाकर कहते कि हम किसके साथ हैं। छत पर चढ़कर आवाज़ लगाने का साहस अपने घर पर पत्थर पड़ने के डर से समाप्त हो जाता है।
5. लोग जब अति चतुराई बरतने लगते हैं ,तब न बड़ी क्रांति होती है और न छोटी। छोटे परिवर्तन होते भी हैं तो विकल्प उतना ही व्यर्थ होता है।
6. नए नेता को कुर्सी मिलने वाली है। कचरा- पेटी में से जिसे उठाकर इस कुर्सी पर बिठा दिया जाएगा , लोग हार-फूल लेकर उसकी तरफ़ दौड़ेंगे। राज्य के विधायक इतना तो कह सकते हैं कि हमें एक अच्छा मुख्यमंत्री दो। हम मूर्ख और भ्रष्ट को सहन नहीं करेंगे। पर इतना कहने से ही विद्रोही मुद्रा बनती है। भविष्य ख़तरे में नज़र आता है। जो भी मिल जाए ,स्वीकार है।
7. किसी भी प्रदेश में मुख्यमंत्रियों के कमी नहीं है। ग़ालिब एक ढूँढो हज़ार मिलते हैं। पर सारे मुरीद तो एक अदद कुर्सी पर लड़ नहीं सकते। मुख्यमंत्री का पद एक टूटी पुरानी कुर्सी है। लम्बा आरामदेह सोफ़ा नहीं। यदि संविधान में इस पद को सोफ़ा-कम-बेड बनाने की गुंजाइश होती तो आज उस पर कितने पसरे मिलते।
8. मुख्यमंत्री चुनना सुंदरियों की भीड़ में एक अदद परसिस खंबाटा चुनने की तरह कठिन है। केंद्र से निर्णय फ़ीता लेकर आते हैं। सबकी राजनीतिक कमर नापते हैं। क़द, कोमलता ,मुस्कान और अन्य टिकाऊ गुण जाँचते हैं और घोषित करते हैं , यह रहा तुम्हारा भावी मुख्यमंत्री।
9. मुहावरों के उपयोग का सबसे बड़ा लाभ यह है कि लोग कथ्य से अधिक भाषा के चमत्कार में रुचि लेने लगते हैं। हम लेखक प्रायः यह ट्रिक अपनाते हैं। जब कहने की बात नहीं रहती तब हम शब्दों को अधिक रंगीन और ज़ोरदार बनाने की कोशिश करते हैं।
10. अब काला धन सात तालों में है ही नहीं। अधिकांश काल धन खुले में घूमता , घुमाया जाता है, उपयोग होता नज़र आता है। खुली आँखों नज़र आता है। मसाले के पान , फ़ाइवस्टार के पैकेट, व्हिस्की की बोतल, शानदार पार्टी, पाँचतारा संस्कृति ,विदेशी माल, बेहतरीन कार और आलीशान इमारतों तक काला धन तालों में छुपकर बैठा नहीं, बल्कि लगभग नग्न अवस्था में दिखाई पड़ता है।
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