Saturday, November 16, 2024

जीवन बदल देने वाली घटनायें

'जीवन बदल देने वाली घटनायें'  कानपुर के यायावर गोपाल खन्ना के जीवन के कुछ संस्मरणों का संकलन है। गोपाल खन्ना जी मूर्तिकला, चित्रकला, फ़ोटोग्राफ़ी ,काष्ठकला , रोमांचक भ्रमण एवं रोमांचक खेलों से जुड़े रहे हैं। काव्य एवं कथा लेखन से भी संबद्ध रहे है। घुमक्कड़ी से लम्बे समय तक जुड़ाव और विभिन्न अभियानों के चलते नाम के पहले यायावर स्थाई रूप से जुड़ गया। यायावरी से संबंधित लेख और संस्मरण भी लिखते रहे हैं। एकल एवं सामूहिक कला प्रदर्शनियों में प्रतिभाग करते रहे हैं। उनके    100 से अधिक मूर्तिशिल्प अमेरिका, कनाडा , इंग्लैंड , स्विट्ज़रलैंड ,दुबई ,पाकिस्तान व जापान आदि देशों के व्यक्तिगत संग्रहालयों में संग्रहीत हैं। 


 2008 में बैंक आफ बड़ौदा से सेवानिवृत्त 76 वर्षीय गोपाल खन्ना जी के संग्रह ख़ज़ाने ने 2000 से अधिक प्राचीन एवं समकालीन खिलौने , सिक्के , शंख , सीप ,पत्थर ,मेडल्स , पिक्चर पोस्टकार्ड और अनेक प्राचीन वस्तुएँ  शामिल हैं। निरंतर सृजन शील यायावर गोपाल शहर के लगभग हर सांस्कृतिक ,सामाजिक आयोजन में शामिल होते रहते हैं। उनकी सक्रियता अनुकरणीय है।

 खन्ना जी ने दो दिन पहले फ़ोन पर सूचित किया कि उनकी संस्मरण पुस्तक 'जीवन बदल देने वाली घटनायें' का विमोचन 15.11.2024 को यूनाइटेड पब्लिक स्कूल में होना हैं। आने का अनुरोध किया। हमने हामी भारी और जाने का तय किया।

यूनाइटेड पब्लिक स्कूल में दो साल पहले मृदुल कपिल की किताबों 'मोहब्बत 24 कैरेट' का भी  विमोचन हुआ था। वह किताब अपने में अनूठी है। 

कल समय पर पहुँचे। कुछ ही लोग आए थे उस समय तक। धीरे-धीरे सभागार भर गया।  कानपुर के  माननीय सांसद रमेश अवस्थी जी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। व्यस्तता के कारण वे थोड़ा विलम्ब से आए और कुछ देर सुनकर अपनी बात कहकर चले गए। 

कार्यक्रम में विभिन्न वक्ताओं ने किताब में सम्मिलित संस्मरणों के बारे में अपनी राय व्यक्त की। कुल जमा 110 पेज की किताब में कुल 57 संस्मरण हैं। अधिकतर संस्मरण गोपाल खन्ना जी के बचपन और नौकरी के समय के हैं। रोज़मर्रा के जीवन के ये संस्मरण  एक संवेदनशील मन के संस्मरण हैं। इनमें घर परिवार से जुड़े लोग हैं, दोस्त हैं, अध्यापक हैं, पड़ोसी हैं, बच्चे हैं , बुजुर्ग हैं। एक तरह के  'सामाजिक संदेश' हैं ये संस्मरण। 

वक्ताओं के विचार के बीच में माननीय सांसद जी का वक्तव्य हुआ। लगभग हार बात में माननीय प्रधानमंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी का ज़िक्र। राजनीति से जुड़े लोगों की यह मजबूरी सी होती है कि वे हर मंच को अपनी पार्टी के प्रचार के लिए उपयोग करें। सांसद जी ने शहर में नए पुस्तकालय खुलवाने की योजना बनाकर देने की बात कही। इस पर वहाँ मौजूद वक्ताओं में से एक सुरेश अवस्थी जी ने शहर के मौजूदा पुस्तकालयों जैसे मारवाड़ी पुस्तकालय, फूलबाग पुस्तकालय आदि के सुचारु संचालन की व्यवस्था करने का आग्रह किया। सांसद महोदय जी ने आश्वासन दिया। विदा हुए। 

 गोपाल खन्ना जी ने भी अपने किताब में सम्मिलित संस्मरण में से कुछ सुनाए। एक रोचक संस्मरण में उन्होंने बताया कि पहाड़ की एक यात्रा के दौरान उन्होंने एक युवा महिला का फ़ोटो खींचा था। उसको फ़ोटो भेजने की बात भी कही थी। किसी कारणवश फ़ोटो भेज नहीं पाए। भूल गए। फिर जाना नहीं हुआ। संयोगवश क़रीब बीस-बाइस साल बाद वहीं गए तो फ़ोटो साथ लेते गए। उस महिला की खोज की जिसकी फ़ोटो खींची थी उन्होंने। पता चला उसकी शादी हो गयी और वह कहीं दूर रहती है। लेकिन उसकी बेटी पास ही रहती है। बेटी से मुलाक़ात हुई। बेटी एकदम उसी तरह लग रही थी जैसी बीस बाइस साल पहले उसकी माँ दिखती थी। गोपाल खन्ना जी ने फ़ोटो बेटी को दे दिए कि वो अपनी माँ को देगी। विदा होने के पहले लड़की ने पूछा -'माँ से कुछ कहना तो नहीं है?' इसका कोई जबाब यायावर जी के पास नहीं था। 

और भी किस्से सुनाए गोपाल खन्ना जी ने। अच्छा लगा उनको सुनना। उनके संस्मरण एक उदात्त मन के सहज व्यक्तित्व के संस्मरण हैं। सभी में यह ध्वनित होता है कि दुनिया भले ही कितनी ही बदल रही हो , कितनी ही व्यावसायिक  मतलबी हो रही हो लेकिन आज भी संवेदनशील भावों का महत्व है। अच्छाई , उदारता और अच्छा समझा जाने वाला काम तुरंत करने के लिए प्रेरित करने वाले संस्मरण हैं 'जीवन बदल देने वाली घटनायें' में। 


हमने सोचा था कि समारोह के बाद किताब ख़रीदेंगे। लेकिन समारोह ख़त्म होने के पहले ही सभी को एक-एक किताब भेंट की गई। साथ में नाश्ता भी। 

घर लौटकर किताब पढ़नी शुरू की। कल रात से लेकर आज सुबह तक सभी   57 संस्मरण पढ़ लिए।    110 पेज की किताब 24 घंटे से कम के समय में पढ़ ली जाए यह अपने आप में उसकी पठनीयता और रोचकता का परिचायक है। सभी संस्मरण पाठक के जीवन से जुड़े संस्मरण लगते हैं। यह यायावर गोपाल खन्ना जी के लेखन की सफलता है। मैं इसके लिए उनको बधाई देता हूँ। 






No comments:

Post a Comment