वे डरते हैं
किस चीज से डरते हैं वे
तमाम धन -दौलत
गोला-बारूद-पुलिस-फौज के बावजूद?
वे डरते हैं
कि एक दिन
निहत्थे और गरीब लोग
उनसे डरना बंद कर देंगे।
-गोरख पांडेय
I have read this one before in English ! (basically same thought,
different translation). Humm that makes it rather interesting, will try
to find out where i read it. You are sure this was not plagarized,
correct Even if it was who cares sounds good by itself.
अनामजी ,गोरखपांडेय के बारे मेँ विस्तार से
लिखूँगा.सुनीलजी ,अनुवाद कर के कविता
भेजियेगा इतालवी में.इसीके नीचे उसे भी
लिख देँगे.काली भाई, यह कविता गोरखपांडेय
की है.इसी भावबोध की कविता दूसरी भाषाओँ
मेँ भी मिल सकती है.
अरे इन लोगो को तो इस जनता का कोइ डर नही होगा क्योकि वह जानते हे कि
गरीब लोग और वह भी इस देश के, कभी भी नहि जागेन्गे. इसि लिये तो इन्दिरा
गान्धी तक ने गरीबो कि भावना ओ से खेल लिया और शाशन भी कीया…मगर कविता
बढिया है. अछ्ह्छ्ही कल्पना..
लिखूँगा.सुनीलजी ,अनुवाद कर के कविता
भेजियेगा इतालवी में.इसीके नीचे उसे भी
लिख देँगे.काली भाई, यह कविता गोरखपांडेय
की है.इसी भावबोध की कविता दूसरी भाषाओँ
मेँ भी मिल सकती है.