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इंक-ब्लागिंग के कुछ फुटकर फ़ायदे
By फ़ुरसतिया on July 17, 2007
इंक-ब्लागिंग क्या होती है, कैसे करते हैं, क्यों करते हैं इसके बारे में पर्याप्त लिखा जा चुका है। इसके बावजूद मसिचिट्ठाकारी न तोमसिजीवी कर रहे हैं न फ़सादजीवी। इसका एक कारण तो मुझे यही नजर आता है कि लोगों को इंक-ब्लागिंग के बारे में जानकारी नहीं है। इसलिये जनहित में मैं मसिचिट्ठाकारी के कुछ फ़ायदे यहां गिना रहा हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि इनको पढ़ने के बाद आप बहुत सारे फ़ायदे अपने आप खोज लेंगे और इंक-ब्लागिंग करें या न करें लेकिन लोगों को इसके फ़ायदे अवश्य गिनाना शुरू कर देंगे। तो आइये गिनना शुरू करते हैं-
1. इंक-ब्लागिंग करते हुये आप अपने आप को बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के समथिंग डिफ़रेन्ट टाइप का महसूस कर सकते हैं। प्राचीन और नवीन तकनीक का अपने आपको पुल मान सकते हैं।
2. इंक-ब्लागिंग करना मतलब हाई-वे पर बैलगाड़ी चलाने जैसा एहसास प्रदान करता है। आप अपने बारे में शान से कह सकते हैं-सात-आठ सौ हिंदी चिट्ठाकारों की भीड़ में मैं अकेला इंक-ब्लागर हूं।
3. अगर आप नारा प्रेमी हैं तो अपने बारे में अगड़म-बगड़म शैली के नारे न लगाकर सीधे हिट नारे लगा सकते हैं जैसे हम इंक-ब्लागिंग करने वालों की बात ही कुछ और है या फिर जो अपने आप से करे प्यार वो कैसे करे इंक-ब्लागिंग से इंकार या फिर इंक-ब्लागिंग करे, शान से/सर उठा के जियें या फिर वह जो आप सोच रहे हैं।
4.अगर आप अच्छा लिखते हैं तो किसी पेन कम्पनी को झांसा देकर उसके पेन का प्रचार कर सकते हैं और पैसा झटक सकते हैं। पेन कम्पनी वाली कोई सुमिखि-सुन्दरी आपके ब्लाग का हवाला देकर प्रचार करेगी-फ़लाने ब्लागर हमारे पेन से ब्लागिंग करते हैं इसीलिये हिट हैं।
5.अगर आपकी राइटिंग बहुत ही नैसर्गिक मतलन आप लिखें खुदा बांचे टाइप है तब भी आप किसी प्रतिष्ठित पेन कम्पनी से पैसा झटक सकते हैं। आप अपने ब्लाग पर लिखें कि आपकी इस नैसर्गिक राइटिंग का श्रेय इस पेन कम्पनी को जाता है। पेन कम्पनी का मालिक आपके पास भागता-भागता आयेगा और पहले तो किसी अपनी कम्पनी की जगह किसी प्रतिद्वंदी कम्पनी का नाम लिखने को कहेगा, एक टाइपिस्ट आपके पास लगा देगा या फिर आपको अपना ब्लाग और मुंह बन्द करने के लिये पैसे देने की पेशकश करेगा। आपकी मोलतोल क्षमता आपकी राइटिंग की कंडमता के समानुपाती होगी।
6.अगर ऊपर बिंदु (5) वाले मामले में धन के बदले अपने ज़मीर और ब्लाग बेचने के खिलाफ़ हैं और सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं टाइप आइटम हैं तो आपका ब्लाग बंद करवाने के लिये पेन कम्पनी एड़ी-चोटी का जोर मारेगी। अगर वह असफ़ल रही तो आप हीरो बन जायेंगे और ऐसे ब्लागर के रूप में मशहूर हो जायेंगे जिसने बाजार की ताकत को पटखनी दे दी। अगर आपकी दुकान बंद हो गयी तो दुनिया भर के ब्लागर आपके समर्थन में खड़े होकर नारेबाजी करेंगे। आपकी शहादत आपको ब्लागिंग की दुनिया का मंगल पांडे बना देगी या फिर अमिताभ बच्चन बशर्ते आपकी राइटिंग खराब हो।
7. इंक-ब्लागिंग की शुरुआत करते ही आपकी टाइपिंग की सारी कमियां समाप्त हो जायेंगी। न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी के सिद्धान्त के तहत जब आप टाइपिंग ही नहीं करेंगे तो गलतियां कैसे होंगी!
8. इंक-ब्लागिंग करते ही आपका चिट्ठाचोरी होने की सारी संभावनायें शून्य हो जायेंगी। कोई चुरायेगा भी तो राइटिंग एक्सपर्ट के सहयोग से आप उसको पकड़वा सकते हैं। मान( यदि है) हानि का दावा कर सकते हैं या अदालत के बाहर कोई खुशनुमा सेटेलमेंट कर सकते हैं।
9. इंक-ब्लागिंग करते हुये आप अपने को आसानी से पढ़ा-लिखा साबित कर सकते हैं। टाइपिंग तो ठेके पर करायी जा सकती है लेकिन इंक-ब्लागिंग स्वयंसेवा के रूप में खुद ही की जा सकती है।
10. टाइप करके ब्लाग लिखने में आपको आये दिन कोई न कोई टोंकता रहेगा- फायर-फ़ाक्स में नहीं दिख रहा, ओपेरा में नहीं खुलता, लेफ़्ट एलाइन करो, जस्टीफ़ाई करो। इंक-ब्लागिंग करते ही इन सब झंझटों से मुक्ति।
11. इंक-ब्लागिंग के माध्यम से आप आसानी से अपनी भावनाओं की बेहतर अभिव्यक्ति कर सकते हैं। किसी भावुक लेख में स्याही के ऊपर पानी की एक बूंद गिरा कर लिख सकते हैं- लिखते-लिखते मेरे आंसू निकल पड़े। जगह-जगह पान मसाला (अगर खाते हों) बिखरा कर कह सकते हैं- ये हमारी हंसी के छींटे हैं।गुस्से का इजहार आप कागज का कोना जला कर सकते हैं।
12. किसी कविता प्रेमी मित्र के साथ आप कविता-ब्लागिंग की जुगलबंदी कर सकते हैं। वह कविता सुना रहा है ,आप अपना इंक-ब्लाग लिख रहे हैं। आप पोस्ट करेंगे तो लोग कहेंगे -साधु-साधु। इसके पहले कि कोई ज्ञानी इसके लिये नया शब्द उछाले आप इस जुगलबंदी को पो-ब्लागिंग, चिट्ठाकविता ,मसि-कविताकारी जैसे किसी भी नाम से पेटेण्ट करा लें।
13. आप अगर किसी मीटिंग प्रधान माहौल में रहते हैं तो मीटिंग करते समय भी अपना ब्लाग लिख सकते हैं। इस जुगलबंदी को आप मीटिंग-ब्लागिंग के नाम से प्रचलित कर सकते हैं।
14. फ़ाइलें निपटाते-निपटाते कविता कर डालने वाले लोग अपने सारे कविता-उत्पादों को इंक-ब्लागिंग के रूप में पोस्ट करके चिट्ठाजगत में अपनी रैंकिग की बाल सुलभ इच्छा पूरी कर सकते हैं।
15. किसी डायल-अप कनेक्शन वाले मित्र से आप अगर खफ़ा हैं तो अपने इंक-ब्लागिंग की सारी पोस्ट उसको जरूरी कहकर पढ़वा दें। उसके समय और टेलीफोन बिल का चूना लगाकर आपकी खफ़ा भावना रफ़ा-दफ़ा-सफ़ा हो जायेगी।
16. इंक-ब्लागिंग करेंगे तो कुछ लिखने में गलतियां भी होंगी। जहां गलतियां हों उस जगह फूल-पत्ती या कोई चित्र बनाकर गलती ढंक सकते हैं। इसके बाद अपने किसी अजीज मित्र को मेल करके/फोन से बता सकते हैं वह फूल तुम्हारी याद में था। यह पत्ती तुम्हारी सुधि में। यह अपनी कमियों का भावनात्मक दोहन है। आम के आम गुठलियों के दाम की यह सुविधा टाइप ब्लागिंग में नहीं है।
17. इंक-ब्लाग लिखते समय आप घर में भी निडर रह सकते हैं क्योंकि आप कम्प्यूटर से दूर बैठकर भी लिखने में मशगूल होंगे तो घर वाले समझेंगे आप किसी जरूरी काम में जुटे हैं।
18. आम तौर पर ब्लागर की पोस्ट की कुछ लाइनें कापी-पेस्ट करके तारीफ़-बुराई, वाह-वाह, आह-आह कर देते हैं। इंक-ब्लागिंग में यह शार्टकट नहीं चलता। आपके दोस्त-दुश्मन, तारीफ़-निंदा करने वाले जो भी होंगे , आपकी पोस्ट के प्रति समर्पित होंगे,मेहनती होंगे ईमानदार होंगे।
19. लोग कहते हैं कि आपका लेखन (हस्तलेख) आपके व्यक्तित्व का परिचायक होता है। इंक-ब्लाग लिखना शुरू करते ही फ़टाक से आपका एक ठो व्यक्तित्व बन जायेगा। आज जब आदमी की औकात कीड़े-मकौड़े जैसी हो गयी है ऐसे में एक व्यक्तित्व का एहसास कितनी बड़ी उपलब्धि है, आप खुद समझ सकते हैं।
20. इंक-ब्लाग की शुरुआत करते ही आप दुनिया के किसी भी तरह के फ़ांट की गुलामी से मुक्ति पा लेते हैं। आप चाहें तो टाइप करने वाले ब्लागरों पर टांट भी कस सकते हैं- ये तो फ़ांट-निर्भर ब्लागर हैं।
21. लोग तथा आप अपने आप को किसी काबिल नहीं मानते फिर भी आप काबिलियत का एहसास पाल सकते हैं। बस सिखाना शुरू कर दें- इंक-ब्लागिंग कैसे करें।
ये कुछ फ़ायदे हमने आपको बताये इंक-ब्लागिंग के। आपको भी कुछ पता होंगे और बताना चाहते होंगे इसीलिये हमने सब फ़ायदे नहीं बताये। आप जोड़िय इस कड़ी में कड़ी। इसके बाद हम और बतायेंगे। सबसे पहले वाले लोग चाहें तो इंक-ब्लागिंग के नुकसान शीर्षक से एक पोस्ट घसीट दें।
Posted in इंक-ब्लागिंग | 19 Responses
कायदे से देखा जाये, तो आप मसि का इस्तेमाल कर रहे हैं, आप ही मसिजीवी असली वाले (रजिस्टर्ड टाइप हैं), और तो सारे अब की-बोर्ड जीवी हो लिये हैं।
बहुत धांसू च फांसू लिखा है।
निवेदन है कि चालू रखा जाये।
आपके वन लाइनरों दा जवाब नहीं जी।
इतना थ्रू-एण्ड-थ्रू सोच लेने का जबरदस्त मानसिक कीड़ा आपके पास है कि एक भी सूत्र जोड़ने में पसीना छूट जाये. कुछ तो मसाला टिपेरों के लिये छोड़ दिया करें. बेचारे बहुत अच्छा, बहुत बढ़िया, सही कहा के अलावा कुछ लिख ही नहीं पाते.
@आलोकजी, धन्यवाद्। इंक-ब्लागिंग् चालू आहे।
@रामचंद्र् मिश्र्, हां एक मच्छर् का खून हो गया।
@ज्ञानजी, आप लिखना शुरू तो करिये। पांच् क्या पचीस् लिख सूत्र मारेंगे।
@समीरलाल, धन्यवाद्।
@संजीव तिवारी, हस्तलेख् जरूर् सुधरेगा बशर्ते खराब हो। शुरू करें।
@संजय बेंगाणी, असफलता बताती है कि सफ़लता का प्रयत्न पूरे मन् से नहीं किया गया। हिंसा के लिये यही कह् सकते हैम् जो हमारे रास्ते में आयेगा उसे छ्ह् माइक्रोन् काट् दिया जायेगा। मच्छर् आया चला गया।
@प्रियंकरजी, बाई-पास् पर् गाड़ियां तेज् चलतीं हैं। आइये चलें न्!:)
@सुजाताजी, शुक्रिया।
@संजय् तिवारी, सही है। लिपि बचाओ इंक-ब्लागिंग् अपनाओ नारा दिया जाये।
@युनुसजी, करिये जल्दी शुरू करिये लिखना।