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ए टी एम के कुछ व्यवहारिक उपयोग
By फ़ुरसतिया on July 26, 2007
एक आम हिंदुस्तानी आदतन जुगाड़ी होता हैं।
दुनिया भर में तरह-तरह के ट्रैक्टर फोर्ड, महिन्द्रा, सोनालीका, एस्कोर्ट, एच.एम.टी. और न जाने कौन-कौन से नाम के चलते हैं। इन सबको ठेंगा दिखाते हुये तमाम गांवों में भानुमती का कुनबा टाइप सवारी चलती है जिसे जुगाड़ कहते हैं। इसका कोई स्पेशीफिकेशन नहीं है- सिवाय उपलब्ध सामग्री के। जो मिला जोड़ के जुगाड़ वाहन बना लिया- चल रहा है।
पिछ्ले साल जीतेंद्र ने भारतीयों द्वारा गर्भनिरोधक के व्यवहारिक उपाय बताये थे। आप ने अगर न पढ़े हों तो यहां पढ़्कर अपना ज्ञानवर्धन कर सकते हैं।
जुगाड़ शब्द का प्रयोग करने में शायद आपको थोड़ा अटपटापन लगे तो और यह अहसास हो कि आपको तो जनता की भाषा झेलायी जा रही है जबकि आप पढे-लिखें हैं। अगर ऐसा है तो आप जुगाड़ की जगह व्यवहारिक उपयोग शब्द का प्रयोग करें। आपको अच्छा लगेगा।
भारतीय आदमी वो होता है जो टूथब्रश के आगे वाले हिस्से के खराब हो जाने के बाद चाकू गरम करके ब्रश के आगे के हिस्से को काटकर बचे हुये हिस्से से पायजामे में नाड़ा डालने का जुगाड़ बनाता है।
किसी भी वस्तु के उपयोग का व्यवहारिक उपयोग करना कोई हंसी-खेल नहीं है। इसके लिये उस वस्तु के बारे में पूरी जानकारी की दरकार होती है। अगर आपको कटिया फ़ंसाकर बिजली का उपयोग करना है तो आपकी जानकारी का स्तर एक आम बिजली वाले से ऊपर का होना चाहिये। आप भले ही मात्र चोरी कर रहे हों लेकिन आपके दिल में हौसला डकैतों का होना चाहिये। आपका सामाजिक दायरा ऐसा होना चाहिये कि बिजली वाले के आने की खबर आपके पास उड़ते हुये पहुंच जाये और आप उछलते हुये कटिया निकालकर फ़ेंक दें।
उज्जैन के कवि ओमव्यास ने एक भारतीयों के व्यवहारिक ज्ञान के किस्से सुनाये थे। उनके अनुसार भारतीय आदमी वो होता है जो टूथब्रश के आगे वाले हिस्से के खराब हो जाने के बाद चाकू गरम करके ब्रश के आगे के हिस्से को काटकर बचे हुये हिस्से से पायजामे में नाड़ा डालने का जुगाड़ बनाता है। भारतीय आदमी के व्यवहारिक ज्ञान का जिक्र करते हुये उन्होंने बताया कि लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर जूता पालिश करने की मशीने लगी हैं। एक पैर डालो जूते में पालिस हो जाती है, दूसरा पैर डालो पालिस हो जाती है। इसके बाद वह पैर पकड़ लेती है और जब पचास सेंट डालो तब छोड़ती है। एक भारतीय ने अपनी व्यवहारिक बुद्दि का परिचय देते हुये एक पैर एक मशीन में डाला ,दूसरा पैर दूसरी मशीन में डाला और पालिस् कराके बिना पैसे दिये चलता बना। मरन तो बेचारे उसे अंग्रेज की हुयी जिसका पहला पैर डालते ही मशीन ने उसे पकड़ लिया। मशीन के लिये तो वह दूसरा पैर था।
अगर आपको कटिया फ़ंसाकर बिजली का उपयोग करना है तो आपकी जानकारी का स्तर एक आम बिजली वाले से ऊपर का होना चाहिये। आप भले ही मात्र चोरी कर रहे हों लेकिन आपके दिल में हौसला डकैतों का होना चाहिये।
इस बहुत संक्षिप्त जुगाड़ भूमिका के बाद आइये आपको ए.टी.एम. के व्यवहारिक उपयोग के बारे में बताते हैं। आपको पता ही होगा कि ए.टी.एम. का मतलबआटोमेटेड टेलर मशीन होता है। जब मन आये तब पैसा निकाल लो। देश भर में हजारों ए.टी.एम. लगे हैं। हर शहर में हर बैंक के ए.टी.एम.। लोग ए.टी.एम. जाते हैं, पैसा निकालते हैं चले आते हैं। ए.टी.एम. से लोगों को बहुत सुविधा हो गयी है। बरबाद करने के लिये बहुत सारा टाइम मिल जाता है।
लेकिन अफ़सोस की बात है कि हमने ए.टी.एम. को मात्र पैसा निकालने की मशीन मानकर इसके दूसरे उपयोगों की तरफ़ बिल्कुल ध्यान ही नहीं देते। अपनी क्षमता का समुचित उपयोग न करना हम भारतीयों की आदत है। इसी आदत के चलते हमने आजतक ए.टी.एम. के व्यवहारिक उपयोग की तरफ़ ध्यान नहीं दिया। लेकिन अब जब बात आ ही गयी तो ए.टी.एम. के कुछ व्यवहारिक उपयोग बताने का प्रयास करता हूं। आप अपना दिमाग लगाकर इनमें इजाफ़ा कर सकते हैं-
1. ए.टी.एम. का प्रयोग करते ही आप एक नये वर्ग से जुड़ाव महसूस कर सकते हैं। दुनिया को दो वर्गों में बांट सकते हैं। ए.टी.एम. सहित और ए.टी.एम. रहित। ए.टी.एम. कार्ड लेते ही आप रहितवर्ग से सहितवर्ग में आ जाते हैं।
2. ए.टी.एम. के उपयोग से आप एक नयी शब्दावली से जुड़ते हैं। नये मुहावरे गढ़ सकते हैं। कोई अपने बास को कोसते हुये कह सकता है- हमारा बास हमको ए.टी.एम. समझता है, जब मन आता है ए.टी.एम. कार्ड की तरह हुकुम ठूंस कर काम निकाल लेता है।
3.अब जब सरकार कल्याणकारी कार्यों से बिदकने लगी और बस स्टाप बनवाने सरीखी बचकानी सुविधाऒं से हाथ खींचने लगी है तब पता बताने के लिये बस स्टाप कम होते जा रहे हैं। ऐसे में पता संदर्भों के लिये ए.टी.एम. का उपयोग किया जा सकता है। तीसरे मोड़ के आगे एक ए.टी.एम. है उसके आगे वाली गली में बायीं तरफ़ तीसरा घर हमारा है।
3.अब जब सरकार कल्याणकारी कार्यों से बिदकने लगी और बस स्टाप बनवाने सरीखी बचकानी सुविधाऒं से हाथ खींचने लगी है तब पता बताने के लिये बस स्टाप कम होते जा रहे हैं। ऐसे में पता संदर्भों के लिये ए.टी.एम. का उपयोग किया जा सकता है। तीसरे मोड़ के आगे एक ए.टी.एम. है उसके आगे वाली गली में बायीं तरफ़ तीसरा घर हमारा है।
4. जैसे-जैसे दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती जायेगी वैसे-वैसे ए.टी.एम. के उपयोग बढ़ते जायेंगे। जो लोग ए.सी. जैसी सुविधाऒं का जुगाड़ नहीं कर पायेंगे वे ए.टी.एम. कार्ड लिये इस ए.टी.एम. से उस ए.टी.एम. में टहलते रहेंगे। वहां लगे ए.सी. में थोड़ा गर्मी से राहत लेने का जुगाड़ करेंगे। इसके बाद पौशाला की तर्ज पर जगह-जगह ए.टी.एम. लगवाने की मांग उठेगी। सरकारें अपने लक्ष्य में शामिल करें शायद- अगली पंचवर्षीय योजना तक हम हर घर के लिये एक ए.टी.एम. की व्यवस्था कर देंगे।
5. गांवो में जैसे ही कोई पाहुन आया उसकी खटिया ए.टी.एम. के अंदर बिछवा दी जायेगी। कोई पैसा निकालने आयेगा तो बाहर खड़ा कोई व्यक्ति उसे रोक देगा- बड़ी दूर से आये हैं थोड़ा सुस्ता लेने दो। पैसा तो हाथ का मैल है। गंदगी थोड़ी देर में निकाल लेना। ए.टी.एम.को गांव में लोग पंचायत के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
कोई अपने बास को कोसते हुये कह सकता है- हमारा बास हमको ए.टी.एम. समझता है, जब मन आता है ए.टी.एम. कार्ड की तरह हुकुम ठूंस कर काम निकाल लेता है।
ए.टी.एम. का सबसे व्यवहारिक उपयोग शिक्षा के प्रसार में किया जा सकता है।
6. ए.टी.एम. का सबसे व्यवहारिक उपयोग शिक्षा के प्रसार में किया जा सकता है। आप जानते हैं कि तमाम लोग किताब-कापी की कमी के कारण पढ़ नहीं पाते। ए.टी.एम. का उपयोग करके कापी की कमी तुरन्त दूर की जा सकती है। ए.टी.एम.में बैलेन्स, खाता विवरण आदि बताने के लिये कागज की पर्ची पर हिसाब प्रिंट करके देता है। उन पर्चियों के पिछवाड़े क उपयोग लिखाई पढ़ाई के लिये किया जा सकता है।
7. ए.टी.एम. पर्ची के पिछवाड़े वाली जगह का उपयोग ब्लागिंग के लिये भी किया जा सकता है। जैसे बगल की पर्ची पर मेरी पसंद वाली कवितायें एक ए.टी.एम. की पर्ची पर लिखीं हैं।
8. जैसे ही आपके खाते में कोई खास संख्या के पैसे हो जायें आप उसका प्रिंट आउट लेकर एक पोस्ट ठेल सकते हैं- मेरे खाते में एक हजार रुपये पूरे। आपकी देखा-देखी कम से दस लोग अपनी पर्चियां दिखाकर पोस्ट लिख मारेंगे।
9. ए.टी.एम. को आये अभी कुछ ही दिन हुये हैं। जल्दी ही ए.टी.एम. को लेकर तमाम कहानियां कवितायें लिखी जायेंगी। नायक-नायिका ए.टी.एम. के दरवाजे पर भिड़ जायेंगे और अन्धे हो दिखता नहीं, गुस्से में बड़ी हसीन लग रही हो से शुरू करके एक-दूजे के लिये होने का सफ़र तय किया जायेगा। इसे ए.टी.एम. प्यार के नाम से जाना जायेगा और साहित्य में इस तरह की कहानियों, कविताओं,लेखों को ए.टी.एम. युग का साहित्य माना जायेगा।
1o. जैस-जैसे समय बीतता जायेगा कागजी मुद्रा चलन से बाहर से होती जायेगी। ऐसे में ए.टी.एम. युग का अवसान होगा। तब ए.टी.एम. कम्पनियां अपनी ए.टी.एम. खोखों को दूसरे काम के लिये इस्तेमाल करने लगेगीं। सुलभ शौचालय की तर्ज पर सम्भव है सुलभ शीतालय चालू हो जायें जहां लोग घंटे-आधे घंटे के लिये अपनी शरीर और जेब की गर्मी निकाल सकें।
11. जब ए.टी.एम. इतना इफ़रात में चलन में होगा तो इसके बारे में कोई न कोई स्कूल का बच्चा अपनी कापी में कभी न कभी कुछ न कुछ लिखेगा। उसकी कापी से नकल करके आलोक पुराणिक एक लेख लिखकर पहले अखबार में और बाद में अपने ब्लाग में ठेल देंगे। अगर लड़्के अपनी कापियों में लिखना बंद कर दें तो आलोक पुराणिक का लेखन पतला हो जायेगा।
इसके अलावा और तमाम व्यवहारिक उपयोग हैं ए.टी.एम. के लेकिन हम उनको आपको बताना नहीं चाहते। इसके पीछे एक कारण तो यह है कि लोग हमारी नकल करके फिर लम्बी पोस्ट लिखते हैं यह कहकर कि फ़ुरसतिया से प्रभावित होकर यह लिखा। वे अपना लेख तो रबड़ की तरह घसीट लेते हैं लेकिन विषय वस्तु अपनी ही रखते हैं इससे पाठक को बड़ी तकलीफ़ होती है जो कि मुझसे बर्दास्त नहीं होती। आखिर मैं भी एक पाठक हों। और सौ बात की एक बात- मुसीबत जितनी छोटी हो उतनी अच्छी।
है कि नहीं!
Posted in इंक-ब्लागिंग, बस यूं ही | 19 Responses
2. ये 11 प्वाइण्टी पोस्ट भी बड़ी लम्बी है हमारे पैमाने से!
एटीएम पर कर रहे, अपाहि का इन्तजार
कौन जाने किस शाम को, हो जाये दीदार.
ए टी एम जाकर वेरीफाय किया, पर्ची पर कलम चलाई.
आने वाली नस्ल के प्रेम में ट्विस्ट ही एटीएम के ब्रांड से आएगा।