महाजनों येन गत: स: पन्था मानते हुये हम भी सबेरे की छुट्टी मार देते हैं।
तब तक आप पढ़ें मेरी दो पसंदीदा कवितायें। इनमें पहली न्यूयार्क के कवि सम्मेलन में पढ़ी गयी- इसका लिंक है-http://www.youtube.com/watch?v=Wx8IlgqaArc
१.आपद धर्म
अंगारे को तुमने छुआ
और हाथ में फ़फ़ोला नहीं हुआ
इतनी सी बात पर अंगारे को तोहमत मत लगाओ
जरा तह तक जाओ
आग भी कभी-कभी आपद धर्म निभाती है
अपनी ऊष्मा को अपने में पचाती है
और जलने वाली की झमता को देखकर जलाती है।
२.खारे पन का एहसास
खारे पन का एहसास
मुझे था पहले से
पर विश्वासों का दोना सहसा बिछल गया।
कल
मेरा एक समंदर गहरा-गहरा से
मेरी आंखों के आगे उथला निकल गया
डा. कन्हैया लाल नंदन
छुट्टी के बाद तरोताज़ा होकर लौटें और तब “खालिस फ़ुरसतियाई” पोस्ट पढ़वाएं!!